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पूर्व भारतीय क्रिकेटर सैयद आबिद अली का 83 वर्ष की उम्र में निधन

आबिद अली ने भारत का 29 टेस्ट और पांच वनडे में प्रतिनिधित्व किया, वह 1971 में इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज़ जीत में भारतीय टीम का हिस्सा भी थे

Syed Abid Ali is carried off the field by fans after securing India's series win, England v India, 3rd Test, The Oval, 5th day, August 24,1971

ओवल में भारत की सीरीज़ जीत के बाद Syed Abid Ali के प्रति प्रशंसकों का उमड़ता प्रेम  •  Getty Images

सैयद आबिद अली, जिन्होंने 1967 से 1974 के बीच 29 टेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया उनका 83 वर्ष की उम्र में कैलिफ़ोनिर्या में निधन हो गया। अपनी बेहतरीन फ़ील्डिंग के लिए प्रख्यात तेज़ गेंदबाज़ को विकेटों के बीच तेज़ दौड़ के लिए भी जाना जाता था। क्रिकेट के मैदान पर उनके सबसे यादगार पलो में से एक ओवल में 1971 में आया जब उन्होंने नंबर आठ पर बल्लेबाज़ी करते हुए भारत के लिए विजयी रन बनाया, इस जीत के चलते भारत को इंग्लैंड में पहली टेस्ट सीरीज़ जीत हासिल हुई। यह एक स्क्वायर कट था जो सीमारेखा तक नहीं पहुंच पाया क्योंकि इसके बाद भारी संख्या में दर्शक मैदान में प्रवेश कर गए थे। इसे पहले ESPNcricinfo ने पहले भी रिपोर्ट किया हुआ है।
आबिद अली ने 1974 और 1975 के बीच कुल पांच वनडे खेले जो कि भारत के भी पहले पांच वनडे थे।
29 टेस्ट में उन्होंने 47 विकेट चटकाए, जिसमें डेब्यू पारी में 55 रन देकर छह विकेट भी शामिल था जो कि उनके करियर में किसी पारी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है। यह प्रदर्शन उन्होंने 1967 में एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ किया था। उनका मिश्रण बल्लेबाज़ों की भरपूर परीक्षा लिया करता था, इसके अलावा उनके खाते में छह टेस्ट अर्धशतक भी हैं, जिसमें डेब्यू सीरीज़ में ही सिडनी टेस्ट में लगाए गए दो अर्धशतक भी शामिल हैं।
उन्हें एक ऑलराउंडर की संज्ञा दी जा सकती है क्योंकि सिडनी में उन्होंने दो अर्धशतक बतौर ओपनर लगाए थे। उन्होंने चौथे, 10वें और 11वें नंबर को छोड़कर भारत के लिए हर क्रम पर बल्लेबाज़ी की। हालांकि अपनी 53 टेस्ट पारियों में से 20 पारियों में उन्होंने नंबर आठ पर बल्लेबाज़ी की। इसके साथ ही उनकी फ़ील्डिंग भी शानदार थी जिसकी तस्दीक उनका ESPNcricinfo प्रोफ़ाइल कर रहा है।
एक बार टेस्ट मैच में उनके द्वारा थ्रो करने पर गेंद को नो बॉल करार दे दिया गया था। यह मैच न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ क्राइस्टचर्च में खेला गया था।, उन्होंने ऐसा गैरी बार्लेट के विरोध में किया था जिन्होंने छह विकेट चटकाए थे और भारतीय टीम ने उनके गेंदबाज़ी ऐक्शन को संदिग्ध माना था।
आबिद अली भारत के प्रमुख चेहरों में ख़ुद को स्थापित नहीं कर पाए क्योंकि उनके ही दौर में भारत के पास स्पिन चौकड़ी हुआ करती थी। हालांकि हैदराबाद में वह एक प्रमुख नाम हैं, जिन्होंने 20 सीज़न में कुल 212 प्रथम श्रेणी मैच खेलेत हुए 397 विकेट लेने के साथ ही 28.55 की औसत से 8732 रन बनाए हैं, जिसमें 13 शतक और 41 अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट दिसंबर 1974 और अंतिम टेस्ट जून 1975 में खेला, जबकि उन्होंने अपना अंतिम प्रथम श्रेणी मुक़ाबला 1978-79 में खेला था।
BCCI अध्यक्ष रॉजर बिन्नी ने अपने बयान में कहा, "सैयद आबिद अली एक बेहतरीन ऑलराउंर होने के साथ ही एक ऐसे क्रिकेटर भी थे जिन्होंने इस खेल को पूरे लगन से खेला। 70 के दशक में भारत की ऐतिहासिक जीतों में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। इस मुश्किल परिस्थिति में उनके परिवार और मित्रों के प्रति मैं अपनीव संवेदना प्रकट करता हूं।"
एक खिलाड़ी के तौर पर करियर समाप्त होने के बाद आबिद अली ने रणजी ट्रॉफ़ी में आंध्रा की टीम को कोचिंग दी, वहीं वह UAE और मालदीव के साथ भी बतौर कोच जुड़े रहे। अपनी मृत्यु के समय वह कैलिफ़ोर्निया के ट्रैसी में अपने परिवार के साथ रह रहे थे।