अरुंधति रेड्डी को यह उम्मीद नहीं थी कि उन्हें वेस्टइंडीज़ और आयरलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू श्रृंखला के लिए भारत की सफे़द गेंद टीम से बाहर कर दिया जाएगा। उन्हें ऐसे समय पर टीम से निकाला गया था, जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में खेले गए वनडे सीरीज़ के आख़िरी मैच में चार विकेट लिए थे, जो उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। हालांकि रेड्डी इस फै़सले से निराश होने के बजाय अपने कौशल को निखारने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं ताकि वह सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर बन सकें। उन्होंने कहा कि उन्होंने असफलता के डर को छोड़ना और मैदान पर खु़द को व्यक्त करना सीख लिया है।
रेड्डी और शेफ़ाली वर्मा वेस्टइंडीज़ और आयरलैंड श्रृंखला के लिए भारत की सीमित ओवरों की टीम से बाहर किए गए प्रमुख खिलाड़ियों में शामिल थीं। रेड्डी ने पिछले साल जून में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ अपना वनडे डेब्यू किया था। उसके बाद उन्होंने पांच मैच खेले हैं। उनका आख़िरी मैच पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ था, जहां उन्होंने
26 रन देकर 4 विकेट लिए थे।
रेड्डी ने सीनियर महिला वनडे चैलेंजर ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में कहा, "मुझे वास्तव में नहीं पता कि ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद क्या हुआ। लेकिन यह चीज़ें मेरे हाथ में नहीं हैं। मेरा क्रिकेट मेरे हाथ में है, और अगर मैं अपना काम करती रहूं, तो जब भी मौक़ा मिलेगा, मैं भारत के लिए अच्छा प्रदर्शन करूंगी।
"मेरे लिए सबसे ज़रूरी यह है कि मैं जिस भी टीम के लिए खेलूं, अच्छा प्रदर्शन करूं। और जब भी मैं मैदान पर उतरूं, मैं उस टीम के लिए मैच जीतना चाहती हूं। मैं हमेशा से इसी सोच के साथ खेलते आई हूं।"
चैलेंजर ट्रॉफ़ी में शैफ़ाली ने 414 रन बनाए और टूर्नामेंट की सबसे अधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी रहीं। वहीं रेड्डी ने पांच मैचों में सात विकेट लिए।
रेड्डी ने कहा, "यह टूर्नामेंट मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से एक बड़ी चुनौती थी। शुरुआत अच्छी नहीं रही, लेकिन मुझे दबाव में रहना पसंद है। हर बार जब मुझ पर दबाव डाला जाता है, तो मैं अच्छा प्रदर्शन करती हूं। फ़ाइनल जीतना शानदार होता, लेकिन यह हमारे लिए एक बेहतरीन मुक़ाबला था।"
रेड्डी को दिसंबर में वेस्टइंडीज़ श्रृंखला के लिए T20 टीम में न चुने जाने से भी सवाल उठे। उन्होंने 2018 में T20 डेब्यू किया था और 2021 में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। 2024 में उन्होंने WPL में अच्छा प्रदर्शन करते हुए फिर से टीम में वापसी की। पिछले साल उन्होंने सात T20 मैचों में 10 विकेट लिए और 6.50 की इकॉनमी रेट से रन दिए। इसमें UAE में खेले गए T20 वर्ल्ड कप का भी शामिल हैं, जहां उन्होंने चार मैचों में सात विकेट लेकर भारत की संयुक्त रूप से सबसे ज़्यादा विकेट हासिल किया था।
वह अनिश्चितता से कैसे निपटती हैं, इस पर उन्होंने बताया कि बेंगलुरु के नाइस एकेडमी में अपने कोच अर्जुन देव से चर्चा के बाद उन्होंने अपने खेल पर ध्यान केंद्रित रखना सीखा।
रेड्डी ने कहा, "मेरे कोच ने मुझसे कहा कि चाहे इंडिया का टैग हो या न हो, ध्यान दुनिया की सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर बनने पर होना चाहिए। क्लब का मैच हो या भारत का, लक्ष्य हमेशा टीम को जीताना होना चाहिए।"
पिछले साल रेड्डी ने रेलवे की टीम छोड़कर केरल का रुख़ किया। उन्होंने खु़द को मज़बूत और शांत बनाने पर काम किया है और अब हर टूर्नामेंट में स्पष्टता के साथ जाती हैं।
"मैं 12 साल की उम्र से घरेलू क्रिकेट खेल रही हूं। लेकिन पिछले एक-दो साल में मैंने सबसे अच्छा महसूस किया है। मैंने कठिन निर्णय लिए और इससे मुझे आज़ादी के साथ खेलने में मदद मिली। अब मुझे असफलता का डर नहीं है।"
रेड्डी फ़रवरी 2025 में WPL में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलेंगी। इसके साथ ही वह इस साल होने वाले घरेलू वनडे विश्व कप में वापसी की तैयारी कर रही हैं। उनका ध्यान अधिक विकेट लेने और बल्लेबाज़ों पर दबाव बनाने पर है।
उन्होंने कहा, "पिछले सीजन मैंने स्टंप्स की लाइन में अटैक करना सीखा। अगर आप स्टंप्स पर अटैक करेंगे, तभी विकेट मिलेंगे। यह मेरी ताक़त है और मैं इसे बेहतर बनाने पर काम कर रही हूं। पहले मैं सिर्फ़ इकॉनमी पर ध्यान देती थी, लेकिन अब मैं विकेट लेना चाहती हूं।"
रेड्डी ने कहा कि असफलता के डर को दूर करना और सकारात्मक दृष्टिकोण रखना उन्हें प्रेरित करता है। उनका मानना है कि जोख़िम उठाने से ही अच्छे अवसर मिलते हैं और यही उनके करियर की दिशा तय कर रहा है।