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गिल के स्पिन खेलने की ताक़त ने वानखेडे़ टेस्‍ट को रोमांचक बना दिया है

परिवर्तन के दौर से से गुज़र रही भारतीय टीम ने जिस खिलाड़ी पर भरोसा जताया है उसने संघर्ष में ख़ुशी ढूंढना सीख लिया है

वह जब आउट हुए तो बल्‍ले को पिच से रगड़ते हुए गए। वानखेड़े स्‍टेडियम की सीढ़‍ियों को चढ़ते हुए धीमे-धीमे ड्रेसिंग रूम की ओर गए। वह इस ड्रेसिंग रूम के आख़‍िरी स्‍थान पर पीछे की ओर बैठना चाहते थे।
शुभमन गिल वानखेड़े टेस्‍ट में एक ऐसी पारी खेल रहे थे जो उनको शीर्ष क्रम का बेहतरीन बल्‍लेबाज़ बना रही थी। यह सटीक पारी नहीं थी। यह चोट देने वाली पारी नहीं थी। यह शतक भी नहीं था। यह आसान भी नहीं था, लेकिन यह पारी बहुत ज़रूरी पारी थी।
वानखेड़े का मैदान इसके लिए एक बेहतरीन मंच था, जिसमें एक साथ कई चीज़ करने की क्षमता थी। यहां शोर हो सकता है। शनिवार को चायकाल से ठीक पहले आकाश दीप ने टॉम लेथम के स्टंप को बिखेरकर उस माहौल में एक नाटकीय अंदाज़ ला दिया। शुक्रवार शाम को विराट कोहली के रन आउट होने से 18,724 लोगों की आवाज़ ने शोर फैलाया, ये उसी भीड़ का शोर था जिसने इस साल की शुरुआत में हार्दिक पंड्या को रोने पर मजबूर कर दिया था।
दीपावाली के बाद मुंबई में धुंध इतनी घनी हो गई थी कि पूरी इमारतें उसमें ढक गईं। ऋषभ पंत ने भारत के पहले दिन के पतन की यादों को सहेजते हुए एजाज़ पटेल को जहां चाहा वहां मारा। हर एक रन उस समय बोनस के समान था। टेस्ट क्रिकेट में न्यूज़ीलैंड के ख़‍िलाफ़ भारत के किसी बल्लेबाज़ द्वारा बनाया गया यह सबसे तेज़ अर्धशतक एक बोनस ही था। इसका सीधा सा कारण यह था कि स्पिनर अपनी गुड लेंथ को नहीं पकड़ पाए।
ऐसा करते हुए गिल वास्तव में अपनी सर्वश्रेष्ठ लय में नहीं थे। गेंद को कठोर हाथों से मारने की आदत ने उन्हें विशेष रूप से फ़्रंटफ़ुट पर कमज़ोर बना दिया था। वहीं न्‍यूज़ीलैंड के स्पिनर अगर हल्‍की सी लेंथ को आगे करते तो उन्‍हें अपने मन मुताबिक़ परिणाम मिलने की उम्‍मीद थी। दूसरे दिन सुबह के सत्र में भारत 22वें ओवर में था। एजाज़ ने आगे गेंद डाली और गेंद बैट-पैड से लगती हुई सिली प्वाइंट पर चली गई, जहां कोई नहीं था। गिल खु़द को अक्सर इस स्थिति में पाते थे और स्पिन के ख़‍िलाफ़ उनकी औसत ने इस ओर इशारा भी किया है। 2024 की शुरुआत तक यह औसत 33.33 की थी। इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड के ख़‍िलाफ़ पहले टेस्ट के बाद अंतिम एकादश में उनकी जगह भी ख़तरे में पड़ गई थी।
एजाज़ के ख़‍िलाफ़ उस गेंद पर लगभग मुश्किल में फंसने के बाद गिल ने उस बदलाव को दर्शाया जिसको वह अपने करियर के गिरे फ़ेज़ से देख रहे थे। वह क्रीज़ से आगे निकले और इन साइड आउट कवर ड्राइव लगाया जो गैप में निकलते हुए एक्‍स्‍ट्रा कवर के ऊपर से चौके के लिए चला गया। यह इस तरह के शॉट होते हैं जहां पर बल्‍लेबाज़ गेंदबाज़ की लाइन को ख़राब करने की कोशिश करते हैं।
उनके सुधार के कई और उदाहरण थे। फ़्रंटफ़ुट पर कैसे पैर निकालना है। स्ट्राइक बदलने पर ध्‍यान, क्‍योंकि बाउंड्री मिलना भले ही राहत की बात होती हो लेकिन औसतन चार डिग्री टर्न लेने वाली पिच पर घंटों तक संघर्ष करना बड़ी बात है। यह टेस्ट क्रिकेट है और गिल इसके लिए क्षमता दिखा रहे हैं। 45 पर कैच छूटने के बाद उनकी ओर इशारा था कि अब जाग जाओ और इसके बाद गेंदबाज़ को शांत रखने के लिए उन्‍होंने पूरा प्रयास किया। कभी वह सफल होते तो कभी नहीं। उसी में उनका विकेट चला गया लेकिन जो उन्‍होंने किया उससे वह खु़श होंगे। इस साल की शुरुआत से गिल का स्पिन के ख़‍िलाफ़ औसत 61.55 है।
गिल ने मैच के बाद शनिवार को पत्रकार वार्ता में विस्‍तार से बताया कि कैसे उन्‍होंने बेहतर तरीके़ से स्पिन को खेलने की सोची और कहा, "हां, बिल्‍कुल जब से मैंने टेस्‍ट क्रिकेट खेलना शुरू किया है यह मेरी सर्वश्रेष्‍ठ पारियों में से एक है।"
"मैं पहले टेस्ट में चोटिल हो गया था। यहां तक ​​कि उस टेस्ट से पहले भी मैंने चोट के कारण उतना अभ्यास नहीं किया था। इसलिए, मुझे नेट्स में उतना समय नहीं मिला और पुणे टेस्ट मैच से पहले मुझे दो नेट सत्र मिले। मैं उस तरह का व्यक्ति हूं, जिसे लंबे अभ्यास सत्र पसंद हैं ताक़‍ि मैं अपने बारे में आश्वस्त महसूस करूं। इसलिए, कोच गौतम गंभीर के साथ बातचीत में सिर्फ़ इस बात पर अधिक ज़ोर दिया जा रहा था कि स्पिन खेलने में सक्षम होने के लिए मेरे लिए सबसे अच्छा विचार क्या है।"
शुभमन गिल, बल्लेबाज़, भारत
उन्होंने आगे कहा, "टेस्ट मैच की अगुवाई करते हुए मेरी ट्रेनिंग इन्‍हीं चीज़ों पर थी जो मैंने पहले भी किया है। हमने जो इंग्लैंड सीरीज़ खेली थी, मुझे लगता है कि जब मैं उस सीरीज़ में बल्लेबाजी कर रहा था, तो ऐसी ही बल्लेबाज़ी कर रहा था। स्पिनरों के ख़ि‍लाफ़ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश और बस उसी मानसिकता के साथ मैं खेल रहा था। स्पिनरों को खेलते समय जो मेरी स्थिति उस समय थी, इस बार मैं उसको ही दोहराने की कोशिश कर रहा था।"
भारत की बल्लेबाज़ी के भविष्य, भावी कप्तान चुने जाने के बाद यह एहसास हुआ कि गिल के लिए चीज़ें आसान हो रही हैं। ज़ाहिर तौर पर उस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। वह भी वास्तव में उससे बच नहीं सकते। वह जो सबसे अच्छा कर सकते हैं, वह यह है कि इस तरह की परिस्‍थतियों के लिए तैयार रहना। उनकी टीम पीछे थी, दिमाग़ में कई सवाल थे और उन्‍होंने टीम की वापसी कराई, क्‍योंकि ऐसी परिस्थितियों में जब खिलाड़ी निखरता है तो उसकी बात अलग होती है।
गिल ने कहा, "मैं बस लुत्‍फ़ ले रहा था। भले ही यह मुश्किल था, मैं सिर्फ़ उन पलों का आनंद ले रहा था क्योंकि आपको इतने सारे टेस्ट मैच खेलने को नहीं मिलते हैं और जब मैं वहां बल्लेबाज़ी कर रहा होता हूं तो मुझे लगता है कि अगर मैं ख़ुद पर बहुत अधिक दबाव डालूंगा तो ये मेरे ख़िलाफ़ जाएगा।बल्लेबाज़ी की कला लुत्‍फ़ लेना है और मैं यही करने की कोशिश कर रहा था।"
यह गिल के लिए मज़ेदार था और वानखेड़े में जो उन्‍होंने किया उसकी प्रतिक्रिया को देखते हुए भी मज़ेदार था।

अलगप्‍पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं।