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IPL 2025 : राज्य T20 लीग का बढ़ता प्रभाव, टीमों को नहीं मिल रहा घरेलू पिचों का लाभ

क्या टीमों का घरेलू प्रभुत्व समाप्त हो रहा है? आइए डालते हैं IPL के मिड सीज़न रिव्यू पर एक नज़र

Ravindra Jadeja and MS Dhoni combined to end Ayush Badoni's charmed innings, Lucknow Super Giants vs Chennai Super Kings, IPL 2025, Lucknow, April 14, 2025

Ravindra Jadeja और MS Dhoni को उठानी होगी CSK की जिम्मेदारी  •  Associated Press

IPL 2025 का लगभग आधा दौर समाप्त हो चुका है और इस IPL में हमें कुछ नए ट्रेंड देखने को मिले हैं। आइए डालते हैं ऐसे कुछ ट्रेंड्स पर नज़र, जो हमारे रिपोर्टर्स और लेखकों ने इस दौरान देखा।

IPL में राज्य की T20 लीग्स का बढ़ता प्रभाव

एक समय था जब तमिलनाडु के TNPL और कर्नाटक के महाराजा प्रीमियर लीग को छोड़कर किसी भी राज्य के फ़्रैंचाइज़ी प्रीमियर लीग को बहुत गंभीरता के साथ नहीं देखा जाता था। लेकिन इस सीज़न की शुरूआत में जिस तरह से विप्रज निगम (उत्तर प्रदेश T20 लीग- UPTL), ज़ीशान अंसारी (UPTL), प्रियांश आर्या (दिल्ली प्रीमियर लीग- DPL), दिग्वेश राठी (DPL), अश्वनी कुमार (शेर-ए-पंजाब T20 लीग), अनिकेत वर्मा (MP प्रीमियर लीग) और विग्नेश पुथुर (केरला प्रीमियर लीग) ने प्रदर्शन किया है, उसने बताया है राज्य के इन T20 लीग को अब दरकिनार नहीं किया जा सकता।
इन खिलाड़ियों की सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि इनको अपने राज्य की तरफ़ से भी नियमित रूप से घरेलू क्रिकेट में मौक़ा नहीं मिलता है। पुथुर ने तो केरल के लिए कभी भी सीनियर स्तर पर किसी फ़ॉर्मैट में कोई मैच नहीं खेला है। हालांकि जब उन्हें बड़े खिलाडियों, बड़ी टीमों और बड़े क्राउड के सामने दबाव वाले मैचों में मौक़ा मिला, तो उन्होंने बिना दबाव लिए अपना प्रदर्शन किया और रातों-रात एक सितारा बनकर उभरे।
IPL का एक धेय्य वाक्य है- 'जहां प्रतिभा को अवसर मिलता है।' इस सीज़न यह ध्येय वाक्य एकदम से उपयुक्त बैठता है। हालांकि इन खिलाड़ियों के लिए भी यह चुनौती होगी कि वे एक मैच या एक सीज़न के प्रदर्शन को आगे बढ़ाए और सिर्फ़ 'वन मैच या वन सीज़न वंडर' ना साबित हों। दया सागर

क्या अब IPL में घर पर प्रभुत्व का दौर समाप्त हो चुका है?

IPL 2025 इस बार इस मायने में भी काफ़ी अलग रहा है कि टीमों को घर पर जीत हासिल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा है। चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) जैसी टीम जिसके लिए चेपॉक एक अभेद क़िला हुआ करता था, उन्होंने अब तक घर पर खेले चार मुक़ाबलों में से तीन मैच गंवाए हैं। गतविजेता कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) का हाल भी जुदा नहीं है और उनकी ओर से कोलकाता की पिच को लेकर असंतोष भी ज़ाहिर किया जा चुका है। हालांकि यह असंतोष पिछले सीज़न भी उभरकर सामने आया था लेकिन इस बार CSK और KKR के अलावा अन्य टीमें भी घरेलू परिस्थितियों को पढ़ पाने में असफल रही हैं। लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) की ओर से भी इस संबंध में टिप्पणी की जा चुकी है।
हालांकि RCB का चिन्नास्वामी में जीत प्रतिशत पहले भी 50 फ़ीसदी से कम था लेकिन इस सीज़न उन्हें सात मैचों में से मिली तीनों हार घर पर ही नसीब हुई हैं। RCB ने ही CSK को 2008 के बाद पहली बार चेपॉक में शिकस्त दी और मुंबई इंडियंस (MI) को लगभग एक दशक के बाद उन्होंने वानखेड़े में हराया। घर पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिहाज़ से टीमें ऑक्शन टेबल पर भी एक ख़ास रणनीति के साथ बैठती हैं लेकिन क्या यह IPL इस लीग से घरेलू टीमों का प्रभुत्व समाप्त होने का संदेशवाहक बन कर आया है। नवनीत झा

घरेलू पिचें बनीं IPL टीमों की उलझन: 'होम एडवांटेज' या 'होम पज़ल'?

IPL के इस सीज़न में कई बार घरेलू मैदानों का मिज़ाज खु़द अपनी टीमों के लिए सिरदर्द बन गया है। KKR ने इडेन गार्डेन्स की पिच पर सवाल उठाए, जहां उन्हें स्पिनरों को मदद मिलने की उम्मीद थी, वहां पिच कई बार सपाट दिखे।
अजिंक्य रहाणे ने तो यह तक कि कह दिया कि अगर मैं अब पिच के बारे में कुछ बोलूंगा तो बवाल हो जाएगा। घरेलू पिचों से परेशान होने के मामले में सिर्फ़ KKR ही नहीं बल्कि RCB, CSK, LSG और GT जैसी टीमों के कोचिंग दल या खिलाड़ियों में से किसी न किसी ने पिच के बारे में काफ़ी कुछ कहा। उदहारण के लिए कार्तिक ने पहले दो मैचों के बाद कहा था कि उन्हें जिस पिच की अपेक्षा थी, वह नहीं मिल रही है, वह इस बारे में क्यूरेटर से बात करेंगे। वहीं LSG के मेंटॉर तो पिच क्यूरेटर से इतने निराश थे कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि क्यूरेटर यह सोच ही नहीं रहे कि एकाना स्टेडियम में हम होमगेम खेल रहे हैं। इसी तरह से RCB के ख़िलाफ़ मिली हार के बाद स्टीफ़न फ्लेमिंग ने चेन्नई की पिच को अप्रत्याशित बताया था।
हालांकि इन सभी चिंताओं और शिक़ायतों के बीच एक बात लिखना आवश्यक है कि IPL नियमों के अनुसार घरेलू मैदान पर पिच तैयार करने की जिम्मेदारी IPL टीमों के पास नहीं, बल्कि BCCI के पिच क्यूरेटर पर होती है और वह बिना किसी दबाव के अपनी तरह की पिच तैयार कर सकते हैं। राजन राज

महान तिकड़ी का प्रदर्शन

इस सीज़न अब तक लीग के दो काफ़ी बड़े दिग्गज अपनी छाप नहीं छोड़ सके हैं। पहले सीज़न से लेकर इस सीज़न तक लगातार स्टार बने रहने वाले इन खिलाड़ियों में एमएस धोनी और रोहित शर्मा का नाम शामिल है। छह मैचों में रोहित के बल्ले से एक भी अर्धशतक नहीं निकला है और उनके स्कोर 0, 8, 13, 17, 18 और 26 रहे हैं। रोहित को इंपैक्ट प्लेयर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन वह ख़ास इंपैक्ट नहीं डाल पा रहे हैं।
धोनी ने सीज़न की शुरुआत विकेटकीपर बल्लेबाज़ के रूप में की थी, लेकिन अब वह चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में टीम को एक मैच में करारी हार और एक में क़रीबी जीत मिली है। धोनी ने इस सीज़न विकेटकीपिंग में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन बल्लेबाज़ी को लेकर उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ा है। ख़ास तौर से नौवें नंबर पर बल्लेबाज़ी के लिए आने पर उन्हें काफ़ी अधिक निशाने पर लिया गया था।
हालांकि, विराट कोहली ने अपने प्रदर्शन से लगातार एक और सीज़न में प्रभावित किया है। कोलकाता में नाबाद 59 रनों की पारी के साथ सीज़न की शुरुआत करने वाले कोहली ने अगले दो मैचों में 31 और 7 का स्कोर बनाया। इसके बाद मुंबई में 67 और जयपुर में नाबाद 62 रनों की दो और शानदार पारियां खेलीं। RCB को सीज़न के चारों अवे मैच जिताने में कोहली का अहम योगदान रहा है। हालांकि, घर में खेले गए मैचों में कोहली का बल्ला नहीं चल पाना टीम के लिए जरूर चिंता का विषय है। नीरज पाण्डेय

पावरप्ले में खूब रन बनाओ और मैच जीतो

इस बार देखने को मिला है कि अधिकतर टीमों ने पावरप्ले का भरपूर फ़ायदा उठाने का प्रयास किया है। जो टीम एक सफल पावरप्‍ले निकालती, वह मैच भी जीतती हुई दिखी। यही वजह रही कि कई टीमों ने अपने विशेष मैदान पर जीत के सूखे को भी इस सीज़न ख़त्‍म कर दिया। KKR, CSK, RCB और LSG को उनके घर में संघर्ष करते हुए देखा गया। .
जिन टीमों के पास विस्‍फ़ोटक ओपनर हैं वे इस सीज़न तालिका में ऊंची छलांग लगाती दिखी हैं, लेकिन रोहित की ख़राब फ़ॉर्म और ओपनरों के स्‍ट्राइक रेट से जूझ रही CSK ख़राब प्रदर्शन की वजह से तालिका में बहुत नीचे हैं। यही हाल सनराइज़र्स हैदराबाद का भी रहा है, अगर उनके ओपनर चले तो टीम की जीत निश्चित हुई है, लेकिन जब दोनों ओपनर नहीं चले तो मामला बद से बदतर हो गया। यही वजह थी कि उन्‍हें अपने चार लगातार मैच हारने पड़े थे।
निखिल शर्मा