के एल राहुल : टेस्ट क्रिकेट में ना इधर के, ना उधर के
2016-17 बॉर्डर-गावस्कर सीरीज़ में सफल रहने वाले भारतीय बल्लेबाज़ अब फ़ॉर्म की तलाश में जुटे हैं
कार्तिक कृष्णास्वामी
07-Feb-2023
राहुल सब कुछ कर सकते हैं लेकिन कभी-कभी यही विशेषता उनकी दुश्मन बन जाती है • Gallo Images/Getty Images
टेस्ट क्रिकेट में साउथ अफ़्रीका की वापसी के बाद से छह एशियाई ओपनरों ने वहां टेस्ट शतक जड़ा है। इस दौरान 14 ओपनरों ने इंग्लैंड में जबकि 10 ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट शतक दर्ज किया है।
केवल दो ही ऐसे खिलाड़ी हैं जो इन तीनों सूची का हिस्सा हैं। एक हैं पूर्व पाकिस्तानी बल्लेबाज़ सईद अनवर और दूसरे हैं के एल राहुल।
यह थोड़ा अचंभित करने वाला तथ्य है लेकिन जब छह साल पहले ऑस्ट्रेलिया ने भारत का दौरा किया था, आप राहुल से जुड़े इस आंकड़े की कल्पना कर सकते थे।
2016-17 की बॉर्डर-गावस्कर सीरीज़ चार विभिन्न तरह की पिचों पर खेली गई थी जिसमें से तीन पिच काफ़ी चुनौतिपूर्ण थीं। राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के परिपक्व गेंदबाज़ी क्रम का सामना करते हुए क्रमशः 64, 10, 90, 51, 67, 60 और 51* रन बनाए। स्टीवन स्मिथ और चेतेश्वर पुजारा के बाद राहुल के नाम सीरीज़ में तीसरे सर्वाधिक रन थे। यह वह दौर था जहां राहुल ने 14 पारियों में 10 बार 50 से अधिक रन बनाए।
इस बेहतरीन फ़ॉर्म के दौर से गुज़रते हुए राहुल 25 साल के हो गए थे। वह पहले ही तीनों प्रारूपों में शतक बना चुके थे और ऐसा लग रहा था कि वह कुछ भी कर सकते हैं।
छह साल बाद अब राहुल ने सब कुछ तो नहीं बल्कि हर तरह की बल्लेबाज़ी कर दिखाई है। वह आईपीएल में 14 गेंदों पर अर्धशतक लगा चुके हैं और लॉर्ड्स में टेस्ट शतक की राह पर 108 गेंदें खेलने के बाद अपनी पहली बाउंड्री भी लगा चुके हैं। वह अपने कमर के पास की गेंदों को आसानी से सीमा रेखा के बाहर पहुंचाते हैं और चौथे स्टंप की आउट स्विंग गेंदों को अंतिम समय पर छोड़ भी सकते हैं।
राहुल सब कुछ कर सकते हैं लेकिन कभी-कभी यही विशेषता उनकी दुश्मन बन जाती है। आज के युग में तीनों प्रारूपों में अनुकूल होना किसी भी क्रिकेट की ज़िम्मेदारियों का हिस्सा है। लेकिन यह चुनौती शायद उन लोगों के लिए सबसे मुश्किल है जो सबसे बहुमुखी हैं। विराट कोहली टी20 की तुलना में टेस्ट में अलग तरीक़े से बल्लेबाज़ी करते हैं।
राहुल बनाम शुभमन की जंग को दरकिनार नहीं किया जा सकता है•AFP/Getty Images
टी20 क्रिकेट की आतिशबाज़ी से टेस्ट क्रिकेट के ठहराव के बीच का सफ़र राहुल के लिए कठिन रहा और यह 2018 में उनके साधारण टेस्ट सीज़न के पीछे का एक कारण साबित हुआ। 2018 में खेले गए 12 टेस्ट मैचों में राहुल ने 22.28 की औसत से 468 रन बनाए। ऐसा नहीं था कि उन्होंने केवल कम स्कोर बनाए, उनकी तकनीक पर सवाल उठ खड़े हुए।
ठीक उसी तरह यह संयोग नहीं हो सकता है कि टेस्ट क्रिकेट में राहुल की सफल वापसी 2021 में हुई, एक ऐसा साल जहां उन्होंने गेंद को छोड़ते हुए लॉर्ड्स और सेंचूरियन में शतक बनाया। राहुल ने अपने टी20 खेल को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने पारी की शुरुआत में कम जोखिम उठाए और तीखी आलोचनाओं का सामना किया। हालांकि जब आप खेल की मांगों के साथ तीनों प्रारूपों में सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश कर रहे हैं, आप हर किसी को प्रसन्न नहीं कर सकते हैं।
राहुल की यह वापसी अजीबोगरीब रही। 2021 में एक समय पर भारतीय टेस्ट एकादश के नियमित सदस्य नहीं रहने वाले राहुल ने साल 2022 के पहले टेस्ट में नियमित कप्तान कोहली और रोहित शर्मा की अनुपस्थिति में टीम की कप्तानी की। साथ ही उन्होंने उस वर्ष के अंतिम दो टेस्ट मैचों में भी बांग्लादेश में टीम का नेतृत्व किया।
जैसे ही राहुल बतौर खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट के शिखर पर पहुंच रहे थे, उनका फ़ॉर्म नीचे गिरने लगा। पिछले साल आठ टेस्ट पारियों में उन्होंने केवल एक अर्धशतक बनाया और 17.12 की औसत से बल्लेबाज़ी की।
बेशक़, चार टेस्ट और आठ पारियां एक बहुत छोटा सैंपल साइज़ है लेकिन भारतीय बल्लेबाज़ों के पास हमेशा बड़े सैंपल साइज़ की सुविधा नहीं होती है। ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध घर पर खेली जाने वाली सीरीज़ में पांच विशेषज्ञ बल्लेबाज़ों का खेलना तय है लेकिन उन पांच स्थानों के लिए प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर है।
अगर श्रेयस अय्यर नागपुर टेस्ट के लिए फ़िट होते तो शायद पिछले टेस्ट के कप्तान, राहुल को एकादश से बाहर बैठना पड़ता। स्पिन के विरुद्ध ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी से श्रेयस ने भारतीय टेस्ट मध्य क्रम में अपना स्थान लगभग पक्का कर लिया है। ऐसे में भारत को शुभमन गिल को बतौर ओपनर खिलाना पड़ता। भले ही गिल ने सफ़ेद गेंद क्रिकेट में बड़े रन बनाए हैं, उन्हें टीम से बाहर रखना बहुत कठिन होता।
हालांकि श्रेयस की पीठ में जकड़न है जिसका अर्थ यह है कि शुभमन मध्य क्रम में खेलेंगे और राहुल पारी की शुरुआत करेंगे। अगर नागपुर में परिस्थितियां स्पिन के लिए अति-अनुकूल होती हैं तो भारत सूर्यकुमार यादव की छोटी लेकिन निर्णायक पारियों पर विश्वास दिखा सकता है और फिर से राहुल और शुभमन के बीच एक स्थान के लिए जंग हो सकती है।
राहुल बनाम शुभमन - यह अभी के लिए एक काल्पनिक जंग लग सकती है लेकिन इसे दरकिनार नहीं किया जा सकता है। जब ऑस्ट्रेलिया छह साल पहले भारत आई थी, मेज़बान टीम के पास एक ऊंचे क़द का बल्लेबाज़ था, जो गेंद को ख़ूबसूरती के साथ टाइम करता था। छह साल बाद बहुत कुछ बदल चुका है और बहुत कुछ वैसा का वैसा ही है।
कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।