सहवाग को आदर्श मानने वाले साकिबुल गनी का आईपीएल के ज़रिए भारत खेलने का सपना
गेंहू और चावल के खेत में पिता का हाथ बंटाने वाले साकिबुल ने जब पहले ही मैच में बना डाला विश्व कीर्तिमान
सैयद हुसैन
02-Mar-2022
अभिवादन स्वीकर करते हुए साकिबुल हसन • Sakibul Gani
कहते हैं कि कभी-कभी दुर्भाग्य भी भाग्य लेकर आता है, बिहार के युवा बल्लेबाज़ साकिबुल गनी पर ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। अपने पहले ही प्रथम श्रेणी मैच में तिहरा शतक लगाकर विश्व कीर्तिमान बनाने वाले साकिबुल अगर आर्थिक तौर पर संपन्न होते तो शायद वह बिहार से पलायन कर गए होते।
चार भाई और तीन बहनों में सबसे छोटे साकिबुल के पिता बिहार के एक छोटे से ज़िला मोतीहारी के अगरवा मोहल्ले में किसान हैं। गेहूं और चावल की खेती में अपने पिता का हाथ बंटाते-बंटाते साकिबुल को जब क्रिकेट के बल्ले से भी प्यार हो गया तो पिता ने अपने बेटे के इस ख़्वाब को पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। हालांकि एक वक़्त ऐसा भी था जब साकिबुल ने बिहार छोड़ने का भी मन बना लिया था, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वह ऐसा कर न सके।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के साथ बातचीत करते हुए बिहार के इस युवा सितारे ने अपने पुराने दिनों को याद किया और खुलकर अपनी बात कही।
"जब बिहार और झारखंड अलग-अलग हो गए थे तो बिहार को एफ़िलिएशन हासिल नहीं था, उस समय हालांकि मैं काफ़ी छोटा था लेकिन जब क्रिकेट खेलने लगा था तो दिमाग़ में आया था कि मैं भी शहबाज़ नदीम या इशान किशन की तरह बिहार की जगह दूसरे राज्य से क्रिकेट खेलने की कोशिश करूं। लेकिन घर की आर्थिक स्तिथि ऐसी नहीं थी कि मैं जा पाता। बिहार में ही लोकल टूर्नामेंट खेला करता था। बड़े भाई यही कहते थे कि अभी बिहार में ही खेलो कुछ समय बाद बाहर भेजूंगा, लेकिन मेरी क़िस्मत अच्छी थी कि कुछ साल पहले बिहार को पूर्ण मान्यता मिल गई।"साकिबुल गनी, बल्लेबाज़, बिहार
मोतीहारी से पटना क़रीब 152 किमी दूर है और चूंकि क्रिकेट के लिए साकिबुल के गृह ज़िला में पर्याप्त साधन नहीं थे, तो उन्हें बस से पटना आना होता था और इसमें चार घंटे से ज़्यादा लग जाते थे। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि उन्हें ट्रायल देने के लिए आना था और बस छूट गई। लेकिन उनके बड़े भाई फ़ैसल गनी और पिता फिर गाड़ी बुक करके उन्हें पटना पहुंचाते थे ताकि उनका बेटा एक दिन उनके दिन को पलट सके और अपने शहर और राज्य का नाम रोशन कर सके।
साकिबुल भी उन भरोसों पर खरे उतरे, पहले उनका चयन अंडर-23 में हुआ फिर विजय हज़ारे में भी उनका चयन बिहार सीनियर टीम में हुआ। लेकिन असली इम्तेहान तो भारत की सबसे बड़ी घरेलू प्रतियोगिता रणजी ट्रॉफ़ी में था, जहां उन्होंने पहले ही मैच में मिज़ोरम के ख़िलाफ़ प्लेट ग्रुप के मैच में वह कर दिखाया जो आज तक क्रिकेट इतिहास में कभी भी नहीं देखने या सुनने को मिला था। साकिबुल ने प्रथम श्रेणी के डेब्यू मैच में 341 रन की पारी खेली और ऐसा करने वाले वह दुनिया के पहले और इकलौते खिलाड़ी बन गए। हालांकि साकिबुल तब इस रिकॉर्ड से अनजान थे।
अपने परिवार के साथ साकिबुल गनी (दाएं से दूसरे नंबर पर)•Sakibul Gani
साकिबुल ने कहा, "डेब्यू मैच था तो थोड़ा दबाव मेरे ऊपर ज़रूर था लेकिन कोच और कप्तान (आशुतोष अमन) ने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। वर्ल्ड रिकॉर्ड के बारे में मुझे बिल्कुल नहीं पता था, एक खिलाड़ी को ये सब चीज़ें कहां पता होती हैं।"
हालांकि इस पारी के बाद अब तक शाकिबुल अपने दोस्त या परिवार से नहीं मिले हैं, लेकिन उन्होंने बताया कि जब उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड पारी के बाद फ़ोन पर मां से बात की तो वह रो पड़ीं।
"मम्मी से जब मैंने वर्ल्ड रिकॉर्ड पारी के बाद फ़ोन पर बात की तो वह रो पड़ी थीं, ये ख़ुशी के आंसू थे। मम्मी ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया, जब मैं मोतीहारी के बाहर खेलने जाता था तो वह साथ में खाना बनाकर देती थीं। रात भर जागी रहती थीं, मेरे लिए हमेशा दुआ करती थीं।"साकिबुल गनी, बल्लेबाज़, बिहार
एक और इत्तेफ़ाक ये भी है कि साकिबुल अपना आदर्श भी उन्हें मानते हैं जिन्होंने भारत के लिए पहली बार टेस्ट में तिहरा शतक जड़ा था, जी हां वीरेंद्र सहवाग। हालांकि साकिबुल ने अपनी पारी के दौरान अपने आदर्श के शॉट की नक़ल करने से ख़ुद को दूर रखा था, क्योंकि उन्होंने अपने कोच से कट और लॉफ़्टेड शॉट ना खेलने का वायदा किया था।
"सहवाग सर मेरे आदर्श हैं, हालांकि कोच सर के कहने की वजह से मैंने अपनी 341 रन की पारी में कट और लॉफ़्टेड शॉट का इस्तेमाल नहीं किया था। मैंने सारे शॉट सीधे बल्ले से खेला। लेकिन टी20 या वनडे में मैं पूरी कोशिश करूंगा कि सहवाग सर जैसा खेलूं। मेरा ख़्वाब है कि कभी मैं भी भारत के लिए खेलूं लेकिन उससे पहले आईपीएल में मौक़ा मिल जाए।"साकिबुल गनी, बल्लेबाज़, बिहार
साकिबुल की इस पारी से बिहार सीनियर टीम के प्रमुख कोच ज़िशान-उल-यक़ीन बेहद उत्साहित दिखे। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को ज़िशान ने बताया कि उन्हें नेट में ही साकिबुल की बल्लेबाज़ी से यक़ीन हो गया था कि उनमें बड़ी पारी खेलने के सारे गुण मौजूद हैं।
जबकि सहायक कोच पवन कुमार सिंह को आज भी लगता है कि अगर आर्थिक तंगी की वजह से साकिबुल किसी और राज्य में चले गए होते तो बिहार एक और नायाब हीरा खो देता।
इसमें कोई शक़ नहीं है कि प्लेट ग्रुप में खेलते हुए ऐसी पारियों पर लोगों का ध्यान कम जाता है, और साकिबुल भी यही मानते हैं, "मेरी कोशिश रहती है कि ऐसा प्रदर्शन करूं कि प्लेट ग्रुप में होते हुए भी सभी का ध्यानाकर्षित कर सकूं।"
सैयद हुसैन ESPNCricinfo हिंदी में मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट हैं।@imsyedhussain