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ऋद्धिमान साहा : सौरव गांगुली ने मुझे बंगाल के लिए फिर से खेलने को प्रेरित किया

इस रणजी सीज़न के बाद क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज़

Wriddhiman Saha met Sourav Ganguly during the Ranji Trophy, Bengal vs Kerala, Ranji Trophy 2024-25, Kolkata, 1st day, October 26, 2024

साहा और गांगुली (फ़ाइल फ़ोटो)  •  PTI

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने भारत और बंगाल के विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋद्धिमान साहा को बंगाल के साथ अपने करियर को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया था।
कर्नाटका के ख़िलाफ़ रणजी मैच के पहले दिन का खेल समाप्त हो जाने के बाद साहा ने बताया, "आप कह सकते हैं कि यह निर्णय बंगाल से भावनात्मक जुड़ाव की वजह से था। मैं इस साल खेलने वाला नहीं था, लेकिन सौरव गांगुली और मेरी पत्नी ने मुझे खेलनें के लिए प्रेरित किया ताकि दो सत्र त्रिपुरा से खेलने के बाद मैं बंगाल के साथ अपना करियर समाप्त कर सकूं।"
साहा ने यह स्पष्ट किया कि वह इस घरेलू सत्र में सफ़ेद गेंद के प्रारूप के लिए उपलब्ध नहीं होंगे, क्योंकि वह जानते थे कि एक और पूरा सत्र उनके शरीर के लिए कठिन होगा। उनका यह निर्णय इस कारण भी था कि वह अपनी जगह किसी और को देना चाहते थे, क्योंकि उन्होंने पहले ही गुजरात टाइटंस (GT) को सूचित कर दिया था कि वह IPL में भी अब नहीं खेलेंगे।
साहा के त्रिपुरा में जाने के बाद युवा विकेटकीपर अभिषेक पोरेल को एक बड़ा अवसर मिला और उन्होंने इसे दोनों हाथों से भुनाया। दिल्ली कैपिटल्स ने भी पोरेल को IPL 2025 के लिए रिटेन किया है। साहा के लिए यह एक बड़ी सफलता की तरह है क्योंकि वह पोरेल सहित देशभर के युवा विकेटकीपरों के लिए एक मेंटॉर की भूमिका भी निभाते हैं।
साहा ने कहा, "मैं पिछले साल से खुद को प्रोत्साहित कर रहा था, लेकिन मेरे शरीर की स्थिति और चोटों के कारण मैं पूरे सत्र में नहीं खेल सकता। इसीलिए मैंने सबसे महत्वपूर्ण प्रारूप रणजी ट्रॉफ़ी को चुना। यह कठिन निर्णय था। अगर हम नॉकआउट के लिए क्वालिफ़ाई करते हैं तो मैं सत्र के अंत तक खेलूंगा, नहीं तो मैं ईडन गार्डंस में अपने करियर को समाप्त होते देखना चाहूंगा।"
जब साहा से पूछा गया कि क्या संन्यास का निर्णय लेना कठिन था, तो उन्होंने कहा, "यह बहुत आसान था। मैं पहले से तैयार था कि इस साल नहीं खेलूंगा। लेकिन जब मेरी पत्नी और सौरव गांगुली ने मुझे मनाया, तो मैं मना नहीं कर सका।"
आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपरों में से एक माने जाने वाले साहा अपने फ़ैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं। वह अपने करियर से भी ख़ुश हैं, हालांकि उनका करियर भारत के दो सर्वकालिक विकेटकीपरों महेन्द्र सिंह धोनी और ऋषभ पंत के साथ टकराने के कारण लंबा नहीं चल पाया।
जब साहा से पूछा गया कि क्या वह कभी ख़ुद को इस मामले में दुर्भाग्यशाली मानते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, "नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। बहुत से खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने कड़ी मेहनत की लेकिन मौक़ा नहीं मिला- अमोल मजूमदार, पद्माकर शिवलकर जैसे लोग। मुझे गर्व है कि मैंने भारत के लिए 40 टेस्ट खेले।"
साहा अब कोचिंग और मेंटॉरिंग के अवसरों के लिए पूरी तरह से खुले हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पहले बंगाल के लिए ऐसा करना चाहेंगे।
साहा ने कहा, "मैंने अभी तक इस बारे में नहीं सोचा है, लेकिन अगर मुझे बंगाल या किसी अन्य राज्य से ऑफ़र मिलता है, तो मैं उस पर विचार करूंगा, नहीं तो परिवार के साथ समय बिताऊंगा। मैं बचपन से क्रिकेट खेल रहा हूं और मैंने कुछ और नहीं किया है। मैं जितना हो सके, क्रिकेट का ज्ञान साझा करना चाहता हूं और मैंने यह पहले ही कुछ अकादमियों में शुरू कर दिया है।"
साहा ने अपने टेस्ट करियर का समापन 1353 रन के साथ किया, जिसमें तीन शतक और छह अर्धशतक शामिल हैं। उनका सबसे शानदार पल 2016 में न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू धरती पर था, जब उन्होंने दोनों पारियों में नाबाद अर्धशतक बनाते हुए भारत को जीत दिलाई थी। साहा मानते हैं कि वह शायद बल्ले से और बेहतर कर सकते थे, लेकिन उनकी प्राथमिकता हमेशा विकेटकीपिंग रही।"
साहा ने कहा, "जब मैंने शुरुआत की थी, तो मैं जानता था कि मैं सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, वीवीएस लक्ष्मण और विराट कोहली जैसा नहीं बन सकता। इसलिए मैंने विकेटकीपिंग पर अधिक ध्यान केंद्रित किया था।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं