मुंबई से गुवाहाटी वाया कोलंबो : सुमित घड़ीगावंकर की दिलचस्प क्रिकेट यात्रा
मुंबई के मैदानों में क्रिकेट का ककहरा सीखने वाले घड़ीगावंकर की प्रथम श्रेणी क्रिकेट की यात्रा श्रीलंका में शुरू हुई, फ़िलहाल वह असम के लिए रणजी ट्रॉफ़ी खेल रहे है
सुमित ने श्रीलंका के घरेलू क्रिकेट में भी हिस्सा लिया है • Daya Sagar/ESPNcricinfo
असम के विकेटकीपर बल्लेबाज़ सुमित घड़ीगावंकर ने दिल्ली के ख़िलाफ़ हुए रणजी ट्रॉफ़ी के तीसरे राउंड के मैच में अपना दूसरा प्रथम श्रेणी शतक बनाया, लेकिन भारतीय सरज़मीं पर यह उनका पहला प्रथम श्रेणी शतक था। घड़ीगावंकर इससे पहले श्रीलंका में श्रीलंका की घरेलू टीम चिल्लॉ क्लब के लिए कोलंबो में भी प्रथम श्रेणी शतक लगा चुके हैं।
बचपन से 28 साल की उम्र तक मुंबई के मैदानों और क्लब क्रिकेट का हिस्सा रह चुके घड़ीगावंकर को जब सालों के संघर्ष के बाद मुंबई की रणजी टीम में हिस्सा नहीं मिला तो वह 2019-20 का सीज़न खेलने श्रीलंका चले गए। वहां उन्होंने पांच प्रथम श्रेणी मैचों में एक शतक और तीन अर्धशतकों की मदद से 330 रन बनाए, जबकि तीन लिस्ट ए मैचों में एक शतक और दो अर्धशतकों की मदद से 278 रन बनाए। हालांकि कोविड के कारण उन्हें बीच सीज़न ही भारत लौटना पड़ा और उनकी श्रीलंकाई पारी वहीं समाप्त हो गई।
श्रीलंका में खेलने के मौक़े पर बात करते हुए 32 साल के घड़ीगावंकर कहते हैं, "यह 2015 के बाद की बात है। मैं मुंबई में क्लब क्रिकेट तो खेल रहा था, लेकिन मुंबई क्रिकेट में कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण मेरा चयन रणजी ट्रॉफ़ी टीम में नहीं हो पा रहा था। इस बीच मेरे एक दोस्त ने मुझे श्रीलंका में प्रथम श्रेणी मैच खेलने का ऑफ़र दिया, जिसे मैं ठुकरा नहीं पाया। मैंने वहां एक प्रोफ़ेशनल के तौर पर पांच प्रथम श्रेणी और तीन रणजी मैच खेले, जहां पर मैंने दोनों फ़ॉर्मैट में शतक जड़ा। कुल मिलाकर यह मेरे लिए एक अच्छा अनुभव था।"
मुंबई क्रिकेट का खड़ूसपन सालों की मेहनत से मिलता है और इससे मुझे दुनिया भर में क्रिकेट खेलने में बहुंत मदद मिली। पूरी मुंबई में ही बहुत क्वालिटी क्रिकेट होता है। मैं 13 साल तक MIG क्लब के लिए खेलता रहा और फ़िलहाल मैं डीवाई पाटिल के लिए खेलता हूं। यहां का क्लब क्रिकेट या टाइम शील्ड मैच भी रणजी ट्रॉफ़ी के स्तर का होता है, जिसमें लगातार खेलने से मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत मदद मिली है।
सुमित घड़ीगावंकर
भारत लौटने के बाद घड़ीगावंकर के सामने फिर से वही सवाल उठा कि अगर उन्हें मुंबई की तरफ़ से खेलने का मौक़ा नहीं मिलता है, तो वह कहां खेलेंगे? हालांकि इसका जवाब उन्हें जल्द ही मिल गया, जब रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के इस कर्मचारी का तबादला गुवाहाटी में हो गया। इसके बाद घड़ीगावंकर असम के ही हो गए।
घड़ीगावंकर बताते हैं, "मैं मुंबई में प्रथम श्रेणी मैच तो नहीं खेल रहा था, लेकिन वहां क्लब क्रिकेट का स्तर भी बहुत ऊंचा होता है। मैं वहां RBI के लिए लगातार मैच खेल रहा था, जहां पर प्रथम श्रेणी और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर भी भाग लेते हैं। मैं अच्छा खेल रहा था, इसलिए दिमाग़ में कभी भी ऐसा नहीं आया कि मैं क्रिकेट को छोड़ दूंगा। इस बीच मेरा ट्रांसफ़र गुवाहाटी हो गया और मैं पिछले तीन साल से अब वहां ही क्रिकेट खेल रहा हूं।"
हालांकि घड़ीगावंकर के लिए यह सफ़र उतना भी आसान नहीं रहा। वह 2021 में ही असम पहुंच गए थे, लेकिन उन्हें भारत में अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू करने में तीन और साल लग गए। उन्हें इस साल की शुरुआत में छत्तीसगढ़ के ख़िलाफ़ भारत में अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच खेलने को मिला, जिसमें उन्होंने क्रमशः 26 और 16 रन बनाए, जबकि अपनी विकेटकीपिंग से चार कैच के साथ-साथ दो स्टंपिंग भी किया।
तब से घड़ीगावंकर असम के लिए आठ रणजी मैच खेल चुके हैं, जिसमें उनके नाम एक शतक और दो अर्धशतकों की मदद से 43 की औसत के साथ 517 रन हैं। इसके अलावा वह इस दौरान 11 कैच और पांच स्टंपिंग भी कर चुके हैं। घड़ीगावंकर का दूसरा अर्धशतक दिल्ली के ख़िलाफ़ मैच में ही आया, जब उन्होंने पहली पारी में शतक लगाने के बाद दूसरी पारी में भी नाबाद 76 रनों की पारी खेली। असम की टीम ऑलआउट हो गई, नहीं तो हम घड़ीगावंकर के नाम दोनों पारियों में भी शतक देख सकते थे।
वह कहते हैं, "यह शतक मेरे लिए बहुत संतोषजनक था क्योंकि भारतीय सरज़मीं पर यह मेरा पहला प्रथम श्रेणी शतक था। यह शतक यह भी साबित करता है कि अगर आप लगातार मेहनत कर रहे हो तो एक ना एक दिन आपका समय ज़रूर आएगा। मैं भी इसी चीज़ पर विश्वास करता हूं। अच्छी बात यह है कि यह शतक तब आया, जब टीम को इसकी सबसे अधिक ज़रूरत थी और मैं बहुत ख़ुश हूं।"
घड़ीगावंकर ने भारत के पूर्व बल्लेबाज़ जतिन परांजपे के अधीन क्रिकेट का ककहरा सीखा है, जबकि विकेटकीपिंग का अभ्यास मुंबई के लिए 100 प्रथम श्रेणी मैच खेल चुके विनायक सामंत के अधीन करते हैं। वह सूर्यकुमार यादव, शार्दुल ठाकुर और सिद्धेश लाड जैसे क्रिकेटरों के साथ क्रिकेट खेल चुके हैं और उनका मानना है कि भले ही वह दुनिया घूम लें लेकिन उनके अंदर अभी भी मुंबई क्रिकेट का 'खड़ूसपना' बाक़ी है।
घड़ीगावंकर कहते हैं, "मुंबई क्रिकेट का खड़ूसपन सालों की मेहनत से मिलता है और इससे मुझे दुनिया भर में क्रिकेट खेलने में बहुंत मदद मिली। पूरी मुंबई में ही बहुत क्वालिटी क्रिकेट होता है। मैं 13 साल तक MIG क्लब के लिए खेलता रहा और फ़िलहाल मैं डीवाई पाटिल के लिए खेलता हूं। यहां का क्लब क्रिकेट या टाइम शील्ड मैच भी रणजी ट्रॉफ़ी के स्तर का होता है, जिसमें लगातार खेलने से मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत मदद मिली है।"
घड़ीगावंकर यूनिवर्सिटी क्रिकेट भी बहुत खेले हैं और उन्होंने रिज़वी कॉलेज की तरफ़ से 2014 में इंग्लैंड में हुए कैंपस क्रिकेट वर्ल्ड फ़ाइनल्स में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इस टूर्नामेंट में एडेन मार्करम, हाइनरिक क्लासेन और मीर हम्ज़ा जैसे खिलाड़ियों ने भी भाग लिया था।
32 साल के घड़ीगावंकर अपने करियर के आख़िरी दौर की इस प्रगति से बहुत ख़ुश और संतुष्ट हैं। उन्हें बस क्रिकेट खेलना है, फिर मौक़ा कहीं भी मिले।