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दिन में क्रिकेट और रात में नौकरी: वी कौशिक की सफलता की कहानी

इस रणजी ट्रॉफी सीज़न में कौशिक ने अब तक पांच मैचों में 24 विकेट लिए हैं

V Koushik has picked up 24 wickets in five games in this Ranji Trophy season, Ranji Trophy

'अगर मैंने 26 की बजाय 22-23 साल की उम्र में पदार्पण किया होता, तो मामला थोड़ा अलग हो सकता था'  •  KSCA

वासुकी कौशिक ने 17 साल की उम्र तक क्लब क्रिकेट भी नहीं खेला था। अपने बचपन के दिनों में वह खेलने से अधिक पढ़ने-लिखने में ज़्यादा ध्यान देते थे। विज्ञान में उनकी ख़ूब रूचि थी। इसी के कारण उन्होंने मैकनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री भी ली। हालांकि 21 साल की उम्र में उनका झुकाव क्रिकेट का तरफ़ बढ़ गया। उन्होंने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को बताया, ''मैंने पढ़ाई से एक साल का ब्रेक ले लिया था।"
हालांकि यह एक फ़ैसला था, जिसका उन्हें कोई पछतावा नहीं है। कर्नाटका की टीम के लिए वह एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने थोड़ी देर से ही सही लेकिन अच्छा प्रदर्शन किया है। क्रिकेट में इस स्तर तक पहुंचने में उनका रास्ता कहीं से भी आसान नहीं था। लेकिन अब वह कर्नाटका की तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण के मुख्य गेंदबाज़ों में से एक हैं। इस रणजी सीज़न में कौशिक ने अब तक पांच मैचों में 24 विकेट लिए हैं। वह ऐसे गेंदबाज़ हैं, जो कभी भी अपनी सटीक लाइन-लेंथ से छोटा मूवमेंट प्राप्त करते हुए भी आपको आउट कर सकते हैं।
कौशिक कहते हैं, "मैं ऐसा गेंदबाज़ नहीं हूं जो 140 की गति से गेंदबाज़ी करता है। शायद इसी कारण से मेरे अच्छे प्रदर्शन के बाद भी IPL में मुझे मौक़ा नहीं मिलता है। हालांकि यह कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसे मैं अचानक से बदल दूं। आप मुझे संदीप शर्मा, भुवनेश्वर कुमार और दीपक चाहर जैसे गेंदबाज़ों की फेहरिस्त में डाल सकते हैं, जो 120-130 की गति से गेंदबाज़ी करते हुए गेंद को मूव कराते हैं।"
पिछले सप्ताह कौशिक रेलवेज़ ख़िलाफ़ एक रन बनाते हुए नाबाद रहे थे और अपनी टीम को एक विकेट की जीत दिलाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। उस मैच में उन्होंने मनीष पांडे का अच्छा साथ दिया था। कौशिक के पापा रेलवे में थे और उन्होंने अपने बचपन में बेंगलुरु में रेल व्हील फ़ैक्टरी ग्राउंड में काफ़ी क्रिकेट खला है। उनके पास रेलवे की टीम में भी खेलना का मौक़ा था।
हालांकि जब उन्होंने पढ़ाई से एक साल का ब्रेक लिया तो उन्होंने क्लब क्रिकेट में हिस्सा लिया और यहीं से उनका प्रवेश कर्नाटका के अंडर-23 टीम में हुआ। हालांकि कर्नाटका के तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण में पहले से ही विनय कुमार, अभिमन्यु मिथुन और एस अरविंद के होने के कारण उनके लिए टीम में जगह बनाना आसान नहीं था। यह 2013-2015 का साल था और तब कर्नाटका की टीम एक अच्छे लय में चल रही थी
तब कौशिक ने यह फ़ैसला लिया कि वह क्रिकेट के साथ-साथ नौकरी भी करेंगे। उन्होंने तब कई बहुराष्ट्रीय कपंनी में इंटरव्यू दिया और उन्हें अमेजॉन इंडिया में मौक़ा मिल गया। वहां वह कंटेट डेवलेपर और एड पोलिसिंग विभाग में काम करते थे।
वह कहते हैं, "यह मेरे लिए थोड़ा कठिन समय था। मुझे ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता था। मैं अक्सर अपनी कपंनी में रात की शिफ़्ट की मांग करता था ताकि मुझे KPL के कैंप में जाने का मौक़ा मिल जाए। इसके अलावा वहां पर छुट्टी मिलना मेरे लिए काफ़ी मुश्किल हो गया था।"
हालांकि कौशिक अड़े रहे और उन्होंने किसी भी तरीक़े की अस्वीकृति का काफ़ी सकारात्मकता के साथ सामना किया। कर्नाटक सीनियर सेट-अप में प्रवेश करना उबके लिए काफ़ी कठिन साबित हुआ। चार वर्षों तक वह प्री-सीज़न टूर्नामेंट के दौरान प्रथम एकादश से बाहर बैठे रहे। इससे उनका करियर भी थोड़ा पीछे चला गया।
"हाल ही में मैं प्रसिद्ध [कृष्णा] के साथ बात कर रहा था। उन्होंने 2015 में [बांग्लादेश ए के ख़िलाफ़] प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया, लेकिन रणजी में उन्होंने अपना पहला मैच 2018 में खेला। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि रणजी डेब्यू करने में उन्हें इतना समय लगा। मैंने जो भी संघर्ष किया, उससे मुझे काफ़ी कुछ सीखने को मिला लेकिन कहीं न कहीं मुझे लगता है कि अगर मैंने 26 की बजाय 22-23 साल की उम्र में पदार्पण किया होता, तो मामला थोड़ा अलग हो सकता था।"
जिस समय वह अपनी पहचान बना रहे थे, उस दौरान शायद कौशिक एक बार काफ़ी भाग्यशाली रहे । उन्हें कोविड के दौरान एक एक्सीडेंट में चोट लग गई थी। हालांकि उस समय किसी भी तरह का क्रिकेट नहीं खेला जा रहा था।
वह कहते हैं, " यह बहुत दर्दनाक था। मैं तीन-चार महीनों तक क्रिकेट से दूर था। तभी कोई क्रिकेट नहीं खेला जा रहा था। मैं थोड़ा भाग्यशाली था कि यह चोट मुझे कोविड ब्रेक के दौरान लगी थी। अगर यही चोट मुझे तब लगी होती, जब कोविड ब्रेक नहीं होता तो शायद मुझे टीम में फिर से वापसी करने में काफ़ी समय लग सकता था।"
कोविड के बाद कौशिक पर फिर से थोड़ा दबाव बना। चयनकर्ता गेंदबाज़ी में कुछ अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे थे। थोड़े समय टीम से दूर रहने के बाद वह 2022-23 सीज़न के नॉकआउट मैच के लिए फिर से टीम में आ गए। । हालांकि तब ही उन्हें चोट लग गई और उनकी जगह पर टीम में आए एम वेंकटेश ने क्वार्टर फ़ाइनल में पांच विकेट लिए। जब कौशिक को फिर से फ़िट हुए तो उन्हें पता नहीं था कि वह फिर से टीम में वापस आएंगे या नहीं।
कौशिक ने कहा, "पीठ की चोट के कारण मुझे क्वार्टर फ़ाइनल से बाहर होना पड़ा था और वेंकटेश ने आकर शानदार प्रदर्शन किया था। मुझे लगा कि वह सेमीफ़ाइनल के लिए भी टीम में रहेंगे। मैं उसके लिए खुश तो था लेकिन ख़ुद के लिए मैं अंदर से निराश था कि मुझे मौक़ा नहीं मिलेगा।"
"मैं प्रशिक्षण के दौरान एकदम शांत था। ज़्यादा बातचीत नहीं कर रहा था। इसके बाद मेरे पास मयंक (अग्रवाल) आए और मुझसे पूछा कि कोई समस्या है क्या? मैंने उन्हें बता दिया कि मैं किस वजह से परेशान हूं। मुझे चोट से लड़ना पड़ा, इंतज़ार करना पड़ा और फिर मैंने जब अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया तो मैं घायल हो गया। क्या मुझे एक और मौका मिलेगा?' उन्होंने मेरे कंधे पर अपना हाथ रहा रखा और कहा, 'तुम खेल रहे हो। मुझे तुम पर पूरा भरोसा है। बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करो।' कभी-कभी उन्हें मुझ पर मुझसे ज़्यादा भरोसा होता है।"
कौशिक इस उम्र में रणजी ख़िताब जीतने के अलावा और कोई सपना नहीं देख रहे हैं। यह बात उन्हें बहुत परेशान करती थी कि वह IPL में नहीं चुने जाते हैं लेकिन अब उन्हें समझ आ गया है कि ख़ुद को कोसने का कोई मतलब नहीं है।
वह कहते हैं, ''मुझे IPL में कन्नड़ कमेंट्री करने का प्रस्ताव मिला था और मैंने उसे स्वीकार कर लिया था। यह ज़रूर है कि आप उस टूर्नामेंट में खेलना चाहते हैं। मैंने चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स के साथ ट्रायल दिया था। ट्रायल काफ़ी अच्छा भी गया था, लेकिन मुझे नहीं पता कि क्यों मेरा चयन नहीं हुआ। मैंने अब इसके बारे में चिंता करना बंद कर दिया है।"
ऑफ़ सीज़न के दौरान कौशिक केंद्रीय कर और कस्टम ऑफ़िस कार्यालय में काम करते हैं। जुलाई से मार्च तक वह क्लब या राज्य क्रिकेट खेलते हैं।
"हम हमेशा इस सोच मे रहते हैं कि हम अपनी ज़िंदगी में और बेहतर कर सकते हैं या फिर और ज़्यादा सफलता हासिल कर सकते है। हालांकि मुझे एहसास है कि बहुत से लोग रणजी स्तर तक पहुंचने के लिए भी संघर्ष करते हैं। मैं अब नियमित खिलाड़ी हूं। इसलिए मैं केवल उन अवसरों का आनंद लेना चाहता हूं जो मुझे मिलते हैं। मुझे अच्छा प्रदर्शन करने से खु़शी मिलती है। मैं चुनौतियों से कभी भी पीछे नहीं हटता हूं। मुझे यक़ीन है कि अब भी मेरे रास्ते में जो भी कठिनाइयां आएंगी, मैं उससे निपट लूंगा।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं