शुक्रवार को जब
दिल्ली बनाम रेलवे रणजी ट्रॉफ़ी मैच का दूसरा दिन शुरू हुआ, तो दिल्ली के दर्शकों को दिल्ली का एक विकेट गिरने का इंतज़ार था ताकि वे अपने पसंदीदा क्रिकेटर विराट कोहली को बल्लेबाज़ी करता हुआ देख सके। हालांकि उनके इस इंतज़ार को दिल्ली के बल्लेबाज़ों सनत सांगवान और यश ढुल ने कम से कम एक घंटा लंबा किया। दोनों के बीच हुई 67 रनों की साझेदारी के दौरान दर्शक अधीर होते रहे और रेलवे के गेंदबाज़ों से एक अदद विकेट की मांग करते रहे।
उनका इंतज़ार जब ख़त्म हुआ, तो उनकी ख़ुशी अधिक देर तक नहीं टिक सकी क्योंकि सिर्फ़ 23 मिनट क्रीज़ पर बिताने और 15 गेंद खेलने के बाद कोहली सिर्फ़ छह रन के निजी स्कोर पर पवेलियन में थे। रणजी ट्रॉफ़ी में 12 साल बाद कोहली की वापसी का यह निराशाजनक अंत था और थोड़ी देर पहले 'कोहली, कोहली...RCB, RCB' के नारों से गूज रहा स्टेडियम अब पूरी तरह सन्न हो चुका था।
इसके ज़िम्मेदार रेलवे के दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़
हिमांशु सांगवान थे। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर सीनियर टिकट कलेक्टर पद पर तैनात सांगवान की एक गुड लेंथ गेंद पर कोहली एक कद़म आगे बढ़कर सीधा ड्राइव करने गए, लेकिन अंदर आती गेंद उनका ऑफ़ स्टंप छितरा गई। इससे ठीक एक गेंद पहले कोहली ने ऐसी ही थोड़ी फ़ुलर गेंद को एक क़दम आगे निकलकर बल्लेबाज़ और मिड ऑन के बीच सीधा स्ट्रेट ड्राइव मारा था।
निःसंदेह यह सांगवान के क्रिकेटिंग करियर का सबसे बड़ा विकेट था और उन्होंने बहुत ही आक्रामक ढंग से अपनी दोनों भुजाओं को हवा में पंच कर और दांतों को भींचकर इस विकेट का जश्न मनाया।
हालांकि दिन का खेल ख़त्म होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सांगवान ने कहा, "यह मेरा नेचुरल सेलिब्रेशन था। अगर आप मुझे पहले खेलते हुए देखे हों, तो मैं हमेशा से ऐसे ही अपनी विकेट का जश्न मनाता हूं। मैंने वहां कुछ अलग नहीं किया।"
29 साल के सांगवान का जन्म हरियाणा के चरखी दादरी में हुआ था। हालांकि पिता की नौकरी के कारण उनका बचपन राजस्थान के झुंझनू में बिता। हर भारतीय बच्चे की तरह वह भी बचपन से क्रिकेट खेलते थे, लेकिन 2008 में जब विराट कोहली की टीम ने अंडर-19 विश्व कप जीता, तो वह अपने सामान उपनाम वाले तेज़ गेंदबाज़ प्रदीप सांगवान से बहुत प्रभावित हुए और उनकी ही तरह तेज़ गेंदबाज़ बनने का सपना देखने लगे।
क्रिकेट पर फ़ोकस करने के लिए वह झुंझनू से दिल्ली के नजफ़गढ़ अपने चाचा-चाची के वहां आ गए और वहीं क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने लगे। नज़फ़गढ़ वही जगह है, जहां का नवाब वीरेंद्र सहवाग को कहा जाता है और जहां से हिमांशु के प्रथम आदर्श प्रदीप सांगवान भी आते हैं।
दिल्ली में 4-5 सालों तक क्लब और स्कूली क्रिकेट खेलने के बाद उनका चयन दिल्ली की अंडर-19 टीम में हुआ और 2013 की वीनू मांकड़ ट्रॉफ़ी में उन्होंने ऋषभ पंत के साथ डेब्यू किया। इस 50 ओवर के मैच में उन्होंने आठ ओवरों में 30 रन देकर एक विकेट लिए थे, लेकिन इसके बाद फिर कभी उनका चयन दिल्ली की जूनियर या सीनियर टीम में नहीं हुआ।
इससे निराश सांगवान इधर-उधर भटकने लगे और फिर अपने गृहराज्य हरियाणा के लिए खेलने का निर्णय लिया। सांगवान ने तीन-चार सालों तक हरियाणा में जिला स्तरीय (डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट) और विश्वविद्यालयीय क्रिकेट (विज्जी ट्रॉफ़ी) खेला, लेकिन वहां भी उन्हें सीनियर क्रिकेट में जगह नहीं मिली।
इस दौरान सांगवान की नौकरी रेलवे में खेल कोटे से टिकट कलेक्टर (TC) के पद पर लगी और तब से वह फिर रेलवे की हो गए। 2018-19 के घरेलू सत्र में उन्होंने रेलवे के लिए अंडर-23 सीके नायुडू ट्रॉफ़ी जहां सात मैचों में 18.21 की औसत से 37 विकेट लेकर उन्होंने अगले सत्र के लिए सीनियर टीम में जगह बनाई।
तब से अब तक सांगवान रेलवे की तेज़ गेंदबाज़ी की एक प्रमुख कड़ी हैं। उन्होंने अब तक 23 प्रथम श्रेणी मैचों में 19.92 की औसत से 77 विकेट लिए हैं, जिसमें तीन बार 5-विकेट हाल शामिल है। उनके बड़े विकेटों में अजिंक्य रहाणे, पृथ्वी शॉ, मयंक अग्रवाल, इशान किशन और रजत पाटीदार जैसे अंतर्राष्ट्रीय नाम शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने 17 लिस्ट ए मैचों में 21 और सात T20 मैचों में सात विकेट लिए हैं।
सांगवान कहते हैं, "उस समय जब मुझे क्रिकेट नहीं मिल रहा था, तब रेलवे ने मेरा सपोर्ट किया। उन्होंने मुझे क्रिकेट दी तो मेरी पहली प्राथमिकता रेलवे की टीम है। ऐसा नहीं है कि मुझे दिल्ली ने नहीं मौक़ा दिया, तो मुझे उनको इस मैच में कुछ दिखाना था।"
कोहली के लिए 'कोई विशेष योजना' के सवाल पर सांगवान ने कहा, "हमारी कोहली के लिए कोई विशेष योजना नहीं थी। चूंकि दिल्ली के सभी बल्लेबाज़ आक्रामक क्रिकेट खेलते हैं, तो हमारी योजना थी कि हमें उन पर आक्रमण नहीं करना है और बस एक चैनल में गेंद डालती रहनी है। आक्रामक बल्लेबाज़ को अगर आप रन नहीं देते हो, तो वो अपने आप बड़ा शॉट मारने के लिए परेशान होगा और आउट हो जाएगा। शायद उनके साथ भी यही हुआ।"
कोहली जिस ओवर में आउट हुए उससे ठीक एक ओवर पहले ही रेलवे के एक अन्य तेज़ गेंदबाज़ कुणाल यादव ने लगातार दो गेंदों पर कोहली को ऑफ़ स्टंप की बाहर की गेंदों पर बीट कराया था। इसका फ़ायदा सांगवान को हुआ और जब कोहली ने आगे निकलकर उन पर आक्रमण करने का प्रयास किया तो योजना के अनुसार सांगवान को उनका मनचाहा और ज़िंदगी का सबसे बड़ा विकेट मिल गया।
निश्चित रूप से इस विकेट की याद को सांगवान ताउम्र संजोकर रखना चाहेंगे।
दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं. @sagarqinare