रणजी ट्रॉफ़ी में कोहली और रोहित की वापसी; आंकड़ो से समझिए इस वापसी का महत्व
प्रथम श्रेणी क्रिकेट से दूर रहने के मामले में कोहली ने धोनी और अकरम के आंकड़ो को पीछे छोड़ दिया है
संपत बंडारुपल्ली
03-Feb-2025
PTI
विराट कोहली ने रेलवे के ख़िलाफ़ रणजी ट्रॉफ़ी 2024-25 के अपने अंतिम लीग चरण मैच में दिल्ली टीम के लिए एक दुर्लभ उपस्थिति दर्ज की। कोहली के छह रनों के मामूली स्कोर के बावजूद, अरुण जेटली स्टेडियम में भारी भीड़ देखी गई। हाल के वर्षों में घरेलू प्रथम श्रेणी मैच में ऐसा नजारा शायद ही कभी देखा गया हो।
नवंबर 2012 के बाद यह पहली बार था जब कोहली रणजी ट्रॉफी में शामिल हुए थे। तब उन्होंने दिल्ली की तरफ़ से खेलते हुए, गाजियाबाद में उत्तर प्रदेश का मुक़ाबला किया था। उनकी दिल्ली वापसी का मतलब था कि उन्होंने पेशेवर मैच में अपनी राज्य टीम की जर्सी सितंबर 2013 के बाद पहली बार पहनी।
कोहली ने 2013 में इंदौर में एनकेपी साल्वे चैलेंजर ट्रॉफ़ी में दिल्ली का नेतृत्व किया था, जहां इंडिया ब्लू और इंडिया रेड अन्य दो प्रतिस्पर्धी टीमें थीं। चैंपियंस लीग T20 का आयोजन भारत में एक साथ हुआ था कोहली के नेतृत्व में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू टूर्नामेंट के लिए क्वालीफ़ाई करने में विफल रही, और उस वर्ष की शुरुआत में IPL में शीर्ष चार से बाहर रही।
रणजी ट्रॉफ़ी से कोहली का अंतराल 12 साल और 86 दिनों तक रहा। यह ब्रेक मुख्य रूप से भारतीय टीम के साथ उनकी प्रतिबद्धताओं के कारण था, जहां वह सभी प्रारूपों में भारतीय टीम के लिए नियमित तौर पर खेल रहे थे। उस समय अधिकांश समय तक वह कप्तान के रूप में खेल रहे थे।
कोहली के 123 टेस्ट मैचों के अनुभव और लंबे प्रारूप में उनकी रुचि को देखते हुए, 12 साल बाद उनकी वापसी अहम है। यह 50 टेस्ट मैच खेलने वाले किसी भी खिलाड़ी का अपने देश की प्रमुख प्रथम श्रेणी प्रतियोगिता में भाग लिए बिना सबसे लंबा अंतराल है। अगला सबसे लंबा अंतर वसीम अकरम का है, जिन्होंने 1986 और 1997 में खेले गए दो क़ायद-ए-आज़म ट्रॉफ़ी मैचों के बीच 11 साल और 253 दिन का अंतर रखा था।
अपने लगभग 20 साल के प्रथम श्रेणी करियर के दौरान, अकरम ने कायद-ए-आज़म ट्रॉफ़ी में केवल पांच मैच खेले, जिसमें चार मैच तब शामिल थे जब वह एक टेस्ट क्रिकेटर थे। हालांकि वह काउंटी चैम्पियनशिप में नियमित भागीदार थे। उन्होंने लंकाशायर और हैम्पशायर के लिए 94 मैच खेले, जिनमें से 89 मैच उनके टेस्ट करियर के दौरान हुए।
एक प्रमुख वनडे बल्लेबाज़ सईद अनवर ने भी 1990 के दशक के दौरान क़ायद-ए-आज़म ट्रॉफ़ी में खेले बिना दस साल से अधिक समय बिताया। वहीं सलीम मलिक के लिए यह अनुभव नवंबर 1991 और अक्तूबर1999 के बीच सात साल और 345 दिनों का था। दिलचस्प बात यह है कि अपने देश की प्रमुख प्रथम श्रेणी प्रतियोगिता में खेले बिना दस सबसे लंबे अंतरालों में से छह खिलाड़ियों के तीनों प्रारूपों में नियमित होने के कारण थे।
रोहित शर्मा ने भी नौ साल के अंतराल के बाद पिछले महीने रणजी ट्रॉफ़ी में वापसी की। रणजी में उन्होंने 2015 में अपना आख़िरी मैच खेला था। तब उन्हें साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ दूसरे टेस्ट के लिए प्लेइंग XI में जगह नहीं मिली थी। कोहली की तरह रोहित ने पिछले साल के T20 विश्व कप के बाद T20I से संन्यास ले लिया था। इसी कारण से वह इंग्लैंड के ख़िलाफ़ T20I सीरीज़ में नहीं थे और उनके पास रणजी ट्रॉफ़ी खेलने का मौक़ा था।
कोहली अपनी प्रमुख घरेलू प्रथम श्रेणी प्रतियोगिता में अपनी पिछली उपस्थिति के बाद से खेले गए सर्वाधिक टेस्ट मैचों में उपस्थिति दर्ज कराने की सूची में भी शीर्ष पर हैं। रणजी ट्रॉफ़ी से 12 साल के ब्रेक के दौरान उन्होंने 113 टेस्ट मैच खेले।
एमएस धोनी 90 टेस्ट के साथ दूसरे स्थान पर हैं, उन्होंने दिसंबर 2005 में अपने टेस्ट डेब्यू के बाद से रणजी ट्रॉफ़ी में कोई मैच नहीं खेला है। उनके 27 रणजी ट्रॉफ़ी मैचों में से आखिरी मैच मार्च 2005 में था, यह पहला सीज़न था जब उनकी घरेलू टीम बिहार से झारखंड में स्थानांतरित हुई थी।
विशेष रूप से धोनी इस सूची में एकमात्र खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने टेस्ट करियर के दौरान संबंधित प्रमुख प्रथम श्रेणी प्रतियोगिता में शामिल हुए बिना 50 से अधिक टेस्ट मैच खेले हैं। उनके बाद कोहली, रोहित शर्मा और सईद अनवर हैं, जिनमें से प्रत्येक ने एक प्रथम श्रेणी प्रतियोगिता मैच खेला है।
हालांकि अगर कोहली और रोहित यहां से एक और टेस्ट मैच खेलते हैं तो अनवर से आगे निकल जाएंगे, क्योंकि दोनों ने अपने डेब्यू के बाद से पिछले महीने केवल दूसरी बार रणजी ट्रॉफ़ी में भाग लिया था।
पिछले हफ़्ते रेलवे के ख़िलाफ़ कोहली का मैच लगभग दस वर्षों में उनका पहला गैर-टेस्ट प्रथम श्रेणी मैच था। उनका पिछला गैर-टेस्ट प्रथम श्रेणी खेल जुलाई 2015 में था, जहां उन्होंने ऑस्ट्रेलिया ए के ख़िलाफ़ एक अनौपचारिक टेस्ट में भारत ए के लिए खेला था।
साढ़े नौ साल तक कोहली ने भारत के लिए केवल अंतर्राष्ट्रीय मैच या रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के लिए IPL मैच खेले। उन्होंने टेस्ट स्टेटस के साथ लगातार प्रथम श्रेणी मैचों की सबसे लंबी श्रृंखला बरकरार रखी है, जिनकी कुल संख्या 89 है। इसके बाद धोनी के 47 मैच हैं, जो 2010 और 2014 के बीच खेले गए हैं।l.
अपने टेस्ट डेब्यू के बाद से कोहली ने 125 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं, जिनमें से 123 टेस्ट मैच हैं - जो उनके प्रथम श्रेणी प्रदर्शन का 98.4% है। यह प्रतिशत 50 से अधिक टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ियों में सबसे अधिक है।
फ़ाफ़ डुप्लेसी (95.83% - 72 में से 69) और रोहित शर्मा (95.71% - 70 में से 67) उनके पीछे हैं। कोहली द्वारा खेले गए सभी प्रथम श्रेणी मैचों में से 78.85% टेस्ट हैं, जिससे वह पैट कमिंस (82.71%) और एबी डिविलियर्स (80.85%) के बाद तीसरे स्थान पर हैं।
उपरोक्त आंकड़े आधुनिक क्रिकेटरों पर पड़ने वाले भारी दबाव को दर्शाते हैं। यहां तक कि नियमित टेस्ट खिलाड़ियों को भी टेस्ट के अलावा प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भाग लेना चुनौतीपूर्ण लगता है।
जसप्रीत बुमराह अभी तक 50 टेस्ट मैचों तक नहीं पहुंचे हैं। वह उपरोक्त किसी भी सूची में जगह नहीं बनाते हैं। उन्होंने आख़िरी बार रणजी ट्रॉफ़ी जनवरी 2018 में टेस्ट डेब्यू करने से एक साल पहले जनवरी 2017 में खेली थी। तब से बुमराह ने 47 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं, जिनमें से 45 टेस्ट हैं।
प्रत्येक देश के लिए प्रमुख प्रथम श्रेणी प्रतियोगिता इस प्रकार हैं: अफ़ग़ानिस्तान - अहमद शाह अब्दाली 4 दिवसीय ट्रॉफ़ी, ऑस्ट्रेलिया - शेफ़ील्ड शील्ड, बांग्लादेश< /b> - नेशनल क्रिकेट लीग, इंग्लैंड - काउंटी चैम्पियनशिप, भारत - रणजी ट्रॉफी, आयरलैंड - अंतर-प्रांतीय चैम्पियनशिप, न्यूज़ीलैंड - प्लंकेट शील्ड, पाकिस्तान - क़ायद-ए-आज़म ट्रॉफ़ी, साउथ अफ़्रीका - CSA 4-दिवसीय घरेलू श्रृंखला, श्रीलंका - मेजर लीग टूर्नामेंट, वेस्टइंडीज़ - वेस्टइंडीज़ चैंपियनशिप और ज़िम्बाब्वे - लोगान कप।