तीस साल बाद : 2022 में 1992 विश्व कप से समानताओं का अंत नहीं दिखता
पाकिस्तान की क़िस्मत से मेज़बान ऑस्ट्रेलिया की निराशा तक, इस बार 30 साल पहले वाली कई बातें एक जैसी रही हैं
देबायन सेन
06-Nov-2022
पाकिस्तान 1992 विश्व कप का विजेता था • Tony Feder/Getty Images
2022 टी20 विश्व कप और 1992 के विश्व कप की समानताओं पर सोशल मीडिया पर आप इस टूर्नामेंट के शुरुआत से ही मज़ाक़ देख, सुन और पढ़ रहे होंगे। हमें भी विश्वास नहीं हो रहा था, जब तक सुपर संडे को नीदरलैंड्स ने साउथ अफ़्रीका को टूर्नामेंट से बाहर निकालकर पाकिस्तान की उम्मीदों को नहीं जगा दिया।
ठीक किन मापदंडों पर यह विश्व कप 30 साल पहले हुए टूर्नामेंट की राह पर चल रहा है?
मेज़बान...चैंपियन...निराशा...
इस टूर्नामेंट के आयोजन से पहले ही दो समानताएं सामने आ चुकी थीं। 1992 में ऑस्ट्रेलिया पहली बार विश्व कप का आयोजन कर रहा था और भारत द्वारा सह-आयोजित पिछले संस्करण का विजेता था।
पाकिस्तान का पलटवार
1992 विश्व कप में पाकिस्तान की शुरुआत निराशाजनक रही। उन्हें पहले मुक़ाबले में वेस्टइंडीज़ ने करारी शिकस्त दी और फिर वह भारत से भी हारे। एडिलेड में इंग्लैंड के विरुद्ध पाकिस्तान 74 ऑल आउट हो गया था और बारिश के कारण मैच रद्द नहीं होने पर शायद वह उसी पड़ाव पर बाहर हो जाते।
आख़िरी तीन मैचों में उन्हें जीत की सख़्त ज़रूरत थी और कुछ और परिणाम भी उनके पक्ष में जाने थे। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टॉस से पहले कप्तान इमरान ख़ान एक टी-शर्ट पहनकर आए जिस पर एक बाघ बना था। उन्होंने अपनी टीम को 'कॉरनर्ड टाइगर्स' (घिरे हुए बाघ) की तरह लड़ने का आह्वान किया। पाकिस्तान ने तीनों मैच जीते और न्यूज़ीलैंड के साथ सेमीफ़ाइनल मैच रच डाला।
भारत का अभियान
1992 में भारत ने पाकिस्तान को विश्व कप में पड़ोसी देशों के पहले भिड़ंत में हराया। भारत साउथ अफ़्रीका से अपना लीग मैच हारा था। और इस विश्व कप में अब तक उनके प्रतिद्वंद्वियों में उस बार के तीसरे विपक्षी टीम, ज़िम्बाब्वे, को भारत ने हराया।
हालांकि एक बड़ा अंतर यही है कि भारत उस बार सेमीफ़ाइनल पहुंचने से चूक गया था। हालांकि लीग पड़ाव में उन्हें इंग्लैंड से एक क़रीबी मैच में हार मिली थी।
बारिश (और नियमों) ने किया था बेहाल
वैसे तो बारिश के कारण 1992 में दो ही मैच रद्द हुए थे, लेकिन बारिश ने पाकिस्तान को बचाने के अलावा भारत और श्रीलंका के बीच के मैच में दो ही गेंदें होने दी। उन दिनों भारत अक्सर श्रीलंका को हराया करता था और ऐसे में समझा जा रहा था कि भारत को अंकों का नुकसान ही हुआ है।
उस विश्व कप में बारिश से प्रभावित मैचों का नियम थोड़ा अजीब था। दूसरी बल्लेबाज़ी करते हुए टीम के लक्ष्य से उतने ही रन कम किए जाते थे जितने पहली बल्लेबाज़ी करते हुए टीम ने सबसे कम स्कोरिंग वाले ओवरों में बनाए हों। नहीं समझे? समझ लीजिए मैंने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 250 बनाए जिसमें चार ओवर मेडन थे। तो अगर दूसरी टीम को 46 ओवर में लक्ष्य का पीछा करना था तो उन्हें 46 ओवर में 251 ही बनाने पड़ते। इस अजीब नियम ने भारत को ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ और सेमीफ़ाइनल में साउथ अफ़्रीका को क्षति पहुंचाई।
सेमीफ़ाइनल लाइनअप
वैसे तो इस बार 1992 के मुक़ाबले चार में से तीन ही टीमें सेमीफ़ाइनल तक पहुंची हैं (क्या कर दिया आपने, साउथ अफ़्रीका!) लेकिन जिस क्रमांक में वह आख़िरी चार तक पहुंचे हैं उसमें भी समानता रही है।
1992 के पेस-सेटर थे न्यूज़ीलैंड और मार्टिन क्रो की कलात्मक बल्लेबाज़ी और चतुराई भरी कप्तानी के चलते उन्होंने सबसे पहले क्वालिफ़ाई किया। इसके बाद आए इंग्लैंड, जिन्होंने आख़िरी चार में जगह बनाने के बाद ज़िम्बाब्वे को उस टूर्नामेंट का सबसे बड़ा उलटफेर भी करने दिया। इसके बाद पहुंची साउथ अफ़्रीका और फिर बिलकुल आख़िर में पाकिस्तान ने अपनी जगह पक्की की।
बस कर पगले, रुलाएगा क्या?
अरे हमने कब कहा है कि इस सब का मतलब है कि विश्व कप पाकिस्तान ही जीतेगा? भारत के लिए भी कुछ अच्छे लक्षण हैं। 2007 में उन्होंने पहले मैच में पाकिस्तान को एक क़रीबी मुक़ाबले में हराया था। और 2007 और 2011 (50-ओवर विश्व कप) दोनों में उन्होंने पूरे अभियान में एक ही मैच हारा था।
दोनों ही देशों के समर्थकों में यह विश्वास बना रहेगा। और अगर 13 नवंबर को इन दोनों के ही बीच फ़ाइनल भी खेला जाए तो क्या ही कहना।