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एस सजना: 'मैं 'सूर्यकुमार की तरह 360 डिग्री शॉट्स लगाना चाहती हूं'

पिछले WPL सीज़न में बड़े शॉट खेलने वाली इस ऑलराउंडर ने एक फ़िनिशर के रूप में अपनी पहचान बनाई है। अब वह अपने खेल को और आगे ले जाना चाहती हैं

Deepti Sharma and S Sajana are all smiles as they walk back after completing the chase, India vs Pakistan, Women's T20 World Cup, Dubai, October 6, 2024

एस सजना ने पिछले सीज़न अपने डेब्यू मैच पर ही MI को एक हारे हुए मैच में जीत दिलाई थी  •  Alex Davidson/ICC/Getty Images

पिछले साल 2024 के WPL सीज़न के शुरुआती मैच में मुंबई इंडियंस को दिल्ली कैपिटल्स के ख़िलाफ़ आखिरी गेंद पर पांच रन चाहिए थे। ऐसे समय में उस मैच में डेब्यू करने वाली बल्लेबाज़ एस सजना उतरीं तो उनके दिमाग़ में खालीपन आ गया। उन्होंने कभी ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की थी। दर्शकों से भरे चिन्नास्वामी स्टेडियम में उन्हें सबकुछ शांत और सूना सा लग रहा था। दबाव इतना था कि आसपास के फ़ील्डर भी धुंधले दिख रहे थे। लेकिन उन्होंने खु़द से कहा कि अगर उन्हें अपनी पहचान बनानी है, तो कुछ बड़ा करना होगा और जब DC की ऐलिस कैप्सी ने लेंथ में गलती की और गेंद को उनके हिटिंग ज़ोन में डाला, तो सजना ने आगे बढ़कर गेंद को लॉन्ग ऑन सीमा रेखा के ऊपर से मार दिया।
सजना से अगर आज इस बारे में प्रश्न किया जाए तो वह कहेंगी कि उस शॉट ने उनकी ज़िंदगी बदल दी।
उस शॉट के बारे में वह कहती हैं, "सच कहूं तो डेब्यू कर रही एक खिलाड़ी के लिए ऐसी स्थिति में होना बहुत मुश्किल भरा पल साबित हो सकता है। लेकिन [MI] की कोच शार्लेट [एडवर्ड्स] हमेशा मुझे मेरे रोल की याद दिलाती थीं।
उन्होंने मुझसे कहा था, 'एसएस, तुम्हारा रोल एक फ़िनिशर का है। तुम्हें ज़्यादा से ज़्यादा छह-सात गेंदें मिलेंगी, या कभी सिर्फ़ दो-तीन गेंदें भी मिल सकती हैं। इन मौक़ों पर तुम्हें बस गेंद को हिट करना है और बाउंड्री के लिए भेजना है।' इसलिए मैं नेट्स में भी उसी अंदाज़ में अभ्यास करती थी।
"लेकिन मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं ऐसी स्थिति में बल्लेबाज़ी करने आऊंगी। मैंने खु़द से कहा, 'अगर मैं यह छक्का मारकर अपनी टीम को जिता सकूं, तो यह मेरे लिए ज़िंदगी बदलने वाला लम्हा होगा।' इसलिए मैं आत्मविश्वास से भरी थी। अगर जीवन में कुछ बदलना है, तो उसे अमल में लाना और हक़ीकत में बदलना ज़रूरी होता है और मैंने वही किया। अपने डेब्यू मैच में, मेरी वजह से मेरी टीम जीती और यह सोचकर आज भी मुझे ख़ुशी होती है।"
उस पारी के बाद उन्हें उनके करियर में जिस बदलाव की उम्मीद थी, वह सच में हुआ। 2024 WPL में उन्होंने लोअर ऑर्डर में बल्लेबाज़ी करते हुए 158.18 की स्ट्राइक रेट से अहम रन बनाए। यह स्ट्राइक रेट सभी बल्लेबाज़ों में दूसरा सबसे ज़्यादा था, और वह महिला क्रिकेट में एक दुर्लभ कौशल वाली खिलाड़ी के रूप में उभरी। सजना बड़े शॉट लगाने में सक्षम थीं और गेंदबाज़ी भी करना जानती थीं। जल्द ही उन्हें भारत की टीम से बुलावा मिला और वह 2024 T20 वर्ल्ड कप की टीम का हिस्सा बनीं, जहां उन्हें एक और अप्रत्याशित स्थिति का सामना करना पड़ा।
सबको पता है कि मैं कहां थी और अब कहां हूं। अगर कोई मुझसे पूछे कि आप किसकी तरह बनना चाहते हैं और जवाब मिले, 'मैं सजना चेची की तरह बनना चाहता/चाहती हूं,' तो मेरे लिए वही सफलता होगी।मैदान के अंदर और बाहर, मैं एक अच्छा इंसान बनना चाहती हूं, जिसे हर कोई पसंद करे।
एस सजना
भारत की कप्तान हरमनप्रीत कौर गर्दन की चोट के कारण मैदान से बाहर चली गई थीं, जबकि टीम को पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ग्रुप स्टेज के मैच में आठ गेंदों पर दो रन चाहिए थे। सजना को तुरंत पैड बांधकर मैदान में उतरना पड़ा। इस बार उन्होंने पहली ही गेंद पर चौका लगाकर भारत को एक लो स्कोरिंग मैच में जीत दिलाई।
वह हंसते हुए कहती हैं, "मुझे नहीं पता कि मैं हमेशा ऐसी परिस्थितियों में कैसे आ जाती हूं। मुझे लगता है कि पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेलने पर हमेशा एक अलग ही जोश रहता है। इसलिए मैंने सोचा, 'यह मैच पाकिस्तान के ख़िलाफ़ है। मुझे मौक़ा मिले या न मिले, लेकिन मुझे अच्छा करना ही होगा।' उस समय दीप्ति [शर्मा] मेरी पार्टनर थीं और उन्होंने मुझसे कहा, 'गेंदबाज़ फुल लेंथ डालेगा। अगर फुल लेंथ गेंद मिले, तो उसे स्मैश करना और पहली ही गेंद स्लॉट में आई जिसे मैंने चौका मार दिया। वह लम्हा सच में कमाल का था।"
शायद मैदान पर लगातार इस तरह की मुश्किल परिस्थिति में भी अच्छा करने की इच्छाशक्ति उनके कठिन बचपन का नतीजा है। केरल के वायनाड की रहने वाली सजना ने अपने फिजिकल एड्यूकेशन की शिक्षिका एल्सम्मा बेबी के प्रोत्साहन पर क्रिकेट अपनाया था। ऐसा उन्होंने मुख्य रूप से पैसे कमाने और अपने परिवार की मदद करने के लिए किया था। उनके पिता (सजीवन) एक ऑटो-रिक्शा चालक थे और उनकी मां (शारदा) एक पंचायत काउंसलर थीं।
सजना कहती हैं, "हम वित्तीय रूप से शून्य थे। जब मैं जिला स्तर पर खेलती थी, तो मुझे 150 रुपये मिलते थे। मैं उसे बचाकर 300 और फिर 600 बनाती, फिर वह पैसा अपने माता-पिता को देती। इससे मुझे बहुत ख़ुशी मिलती थी।"
2018 में वायनाड में आई बाढ़ ने सजना के परिवार का घर बहा दिया। उन्होंने अपनी ज्यादातर चीजें खो दीं, जिनमें उनकी ट्रॉफियां और क्रिकेट का सामान भी शामिल था। लेकिन इस हालात ने उन्हें यह भी एहसास कराया कि उनके आसपास एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम है। अप्रत्याशित रूप से उन्हें तमिल अभिनेता शिवकार्तिकेयन से मदद मिली, जो उस साल रिलीज हुई तमिल स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म काना में उनके सह-कलाकार थे, जिसमें उन्होंने खु़द का ही किरदार निभाया था।
सजना ने कहा, "शिवकार्तिकेयन सर ने मुझे कॉल किया और पूछा कि क्या मुझे मदद चाहिए। मैंने कहा, 'अन्ना, मेरा क्रिकेट किट पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। मुझे सिर्फ़ नए स्पाइक्स चाहिए।' एक हफ़्ते के अंदर ही मुझे नए स्पाइक्स मिल गए।"
कोविड-19 महामारी ने हालात और मुश्किल बना दिए, लेकिन वायनाड जिला क्रिकेट एसोसिएशन ने उन्हें वापसी करने में मदद की। फिर मुंबई इंडियंस ने उन्हें WPL नीलामी में 15 लाख रुपये में ख़रीदा, उनके प्रदर्शन ने भारतीय टीम में जगह दिलाई, और अब वह आर्थिक रूप से स्थिर महसूस कर रही हैं।
वह कहती हैं, "अब, मेरी कमाई से मेरे माता-पिता के घर का लोन चुकाया जा रहा है।"
लेकिन सिर्फ भारतीय टीम में जगह बनाना उनके लिए काफ़ी नहीं है। वह टीम में नियमित रूप से बनी रहना चाहती हैं और इसके लिए उन्हें लगातार अपने खेल में सुधार करना होगा। सजना कहती हैं कि वह सूर्यकुमार यादव और संजू सैमसन की तरह हर दिशा में शॉट खेलने की कला सीखना चाहती हैं।
वह कहती हैं, "मैं SKY से उनके कुछ शॉट उधार लेना चाहती हूं। संजू भी उसी तरह के खिलाड़ी हैं। मैं भी स्पिनर्स के ख़िलाफ़ क्रीज़ का इस्तेमाल उनकी तरह ही शॉट्स मारना चाहती हूं। SKY जिस तरह गेंद की गति का उपयोग कर 360 डिग्री में खेलते हैं, वैसा कुछ मैं भी आज़माना चाहती हूं।"
उनका मानना है कि उनकी बड़ी हिट मारने की क्षमता सॉफ़्टबॉल क्रिकेट में खेलने से विकसित हुई, लेकिन कोच के. राजगोपाल की सलाह ने उन्हें यह आत्मविश्वास दिया कि वे गेंद को ज़ोर से हिट कर सकती हैं।
वह कहती हैं, "सॉफ़्टबॉल क्रिकेट में डिफ़ेंस का कोई कॉन्सेप्ट नहीं होता। यहीं से मैंने अपनी हिटिंग स्किल्स विकसित कीं। लेकिन जब मैं डोमेस्टिक क्रिकेट में आई और तेज़ शॉट मारने की कोशिश की, तो बार-बार आउट हो जाती थी। इसके बाद मैंने फिर से सिंगल्स पर ध्यान देना शुरू किया। फिर WPL से पहले राजगोपाल सर ने मुझसे कहा, 'तुममें ताक़त और क्षमता है, फिर बड़े शॉट मारने में संकोच क्यों?' इसके बाद मैंने फिर से बड़े शॉट खेलने शुरू किए, और WPL का पहला छक्का भी मुझे सर से मिले आत्मविश्वास की वजह से मारने का हौसला मिला।"
MI टीम से मिले सकारात्मक समर्थन ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई।
सजना ने बताया, "मैंने जो वह छक्का मारा, वह भी MI टीम की वजह से था। मैं एक खिलाड़ी के रूप में खु़द पर बहुत संदेह करती हूं, लेकिन कोच और हैरी दी [हरमनप्रीत] लगातार मुझे प्रेरित करते हैं और याद दिलाते हैं कि मैं सक्षम हूं। वे मुझे मेरा नैचुरल गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनकी वजह से मेरा आत्म-संदेह 90% से घटकर केवल 10% रह गया है।"
वह WDCA और KCA की भी आभारी हैं, जिन्होंने महिला क्रिकेट को प्राथमिकता देने के लिए प्रयास किए। अब तक वायनाड से चार भारतीय खिलाड़ी निकल चुके हैं--सजना, मिन्नू मणि और अंडर-19 खिलाड़ी वी.जे. जोशिता और नजला नौशाद।
जब उनसे पूछा गया कि वायनाड से इतनी भारतीय खिलाड़ी कैसे निकल रही हैं। उन्होंने बताया "WDCA हमारे लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं है। हमारे सचिव नाज़िर मचन सर को इसका श्रेय जाता है। जब मैं उन्हें कॉल करके कहती हूं कि मैं घर पर हूं और मुझे टर्फ़ सुविधा चाहिए, तो वे तुरंत कहते हैं कि मैं सब कुछ इस्तेमाल कर सकती हूं--जिम, टर्फ़, सबकुछ। जब आपको ऐसी सुविधाएं मिलती हैं--जो दूसरों को इतनी आसानी से नहीं मिलतीं--तो हम उन्हें पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होते हैं। यहां तक कि मैनेजर, हरी सर भी मुझसे पूछते रहते हैं कि मैं कब आ रही हूं और कहते हैं कि वे ज़रूरी गेंदबाज़ों की व्यवस्था कर देंगे, पूछते हैं कि मुझे किस तरह के गेंदबाज़ों की जरूरत है।" "जब आप देखते हैं कि इतने सारे खिलाड़ी भारतीय टीम में जगह बना रहे हैं, तो घर पर युवा खिलाड़ी भी सपने देखना शुरू कर देते हैं। वे सोचते हैं कि अगर उनकी चेचियां (बड़ी बहनें) भारतीय टीम में जगह बना सकती हैं, तो वे भी कर सकते हैं।"
2018 में केरल ने अंडर-23 महिला T20 लीग जीती--जो कि किसी भी लिंग वर्ग में राज्य का पहला राष्ट्रीय ख़िताब था और सजना की कप्तानी में यह राज्य में महिला क्रिकेट के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इसके बाद कैंप्स की गुणवत्ता में सुधार हुआ, नए ट्रेनिंग उपकरण और सुविधाएं आईं, और यह पिंक T20 चैलेंजर्स नामक एक अंतर्राज्यीय महिला टूर्नामेंट के लिए रास्ता बनाने में सहायक साबित हुआ, जो अब पांच संस्करण पूरे कर चुका है।
सजना कहती हैं, "जब हमने अंडर-23 का ख़िताब जीता, तब KCA ने सुनिश्चित किया कि महिला क्रिकेट का विशेष ध्यान रखा जाए। पहले हमारे कैंप 20 दिनों के होते थे, लेकिन इसके बाद हमें महीने भर के कैंप मिलने लगे। फ़िटनेस कैंप, गेंदबाज़ो के लिए कैंप, बल्लेबाज़ों के लिए कैंप, पोषण संबंधी कक्षाएं--ये सभी हमें प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने में मदद कर रहे थे।"
"तब पिंक टूर्नामेंट के लिए लगभग 120 क्रिकेटरों ने रजिस्ट्रेशन कराया और मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि इतनी सारी लड़कियां क्रिकेट खेलना चाहती हैं। वे अलग-अलग जिलों में प्रतिभा खोजने के लिए ट्रायल आयोजित करते हैं। इन्हीं टूर्नामेंटों के ज़रिए हम--मैं, मिन्नू, नजला, जोशिता--सभी आगे बढ़े।"
सजना उम्मीद करती हैं कि उनकी यात्रा केरल की अगली पीढ़ी की महत्वाकांक्षी क्रिकेटरों को प्रेरित करेगी। उन्हें विश्वास है कि राज्य आगे भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करता रहेगा।
वह कहती हैं, "सबको पता है कि मैं कहां थी और अब कहां हूं। अगर कोई मुझसे पूछे कि आप किसकी तरह बनना चाहते हैं और जवाब मिले, 'मैं सजना चेची की तरह बनना चाहता/चाहती हूं,' तो मेरे लिए वही सफलता होगी।"
"मैदान के अंदर और बाहर, मैं एक अच्छा इंसान बनना चाहती हूं, जिसे हर कोई पसंद करे। छोटी अकादमियों में मैंने कोचों को यह कहते सुना है, 'सजना चेची की तरह बनो।' यह सुनना वाकई अद्भुत लगता है।"