जसप्रीत बुमराह, इस गेंदबाज़ का नाम सुनते ही शायद कई बल्लेबाज़ संकोच में पड़ जाते होंगे। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के पहले टेस्ट में ही इस जीनियस गेंदबाज़ ने अपनी धार से बल्लेबाज़ों को चारों खाने चित्त कर दिया। यह बात किसी से भी नहीं छुपी है कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों के लिए बुमराह एक बड़ी समस्या हैं। यह समस्या उनके सामने पहली बार नहीं आई है, और यह आखिरी बार भी नहीं होगी।
इसके अलावा यह भी स्पष्ट है कि बुमराह उनकी अकेली समस्या नहीं हैं। पिछले सात टेस्ट मैचों में आमिर जमाल, शाहीन शाह अफ़रीदी, मीर हमज़ा, शमार जोसेफ़, अल्जारी जोसेफ़, मैट हेनरी और बेन सीयर्स ने भी ऑस्ट्रेलिया के टॉप ऑर्डर को काफ़ी परेशान किया है।
लेकिन बुमराह के मामले में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर दिखती है।
पर्थ में बुमराह ने केवल मिचेल मार्श को छोड़कर ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष आठ बल्लेबाज़ों को आउट किया। उन्होंने पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया के टॉप सात में से पांच और दूसरी पारी में टॉप छह में से तीन विकेट लिए।
उनका सबसे ज़्यादा प्रभाव नई गेंद से था, लेकिन उन्होंने चौथी पारी में 89 रनों के निजी स्कोर पर खेल रहे ट्रैविस हेड को तब आउट दिया, जब गेंद 38.5 ओवर पुरानी थी। उन्होंने ओवर द विकेट से दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों और राउंड द विकेट से बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को आउट किया। अपनी धारदार इनस्विंग और आउटस्विंग गेंदबाज़ी से बुमराह ने बल्लेबाज़ों के नाक में दम कर रखा था।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि एडिलेड टेस्ट से पहले ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ बुमराह की विद्धवंशक का समाधान कैसे निकालें?
2005 में एडम गिलक्रिस्ट को एंड्रयू फ्लिंटॉफ से समस्या थी। विशेष रूप से फ्लिंटॉफ की राउंड द विकेट गेंदबाजी गिलक्रिस्ट को काफ़ी परेशान कर रही थी। फ्लिंटॉफ ने 2005 उन्हें सभी प्रारूप में छह बार आउट किया, जिसमें ऐशेज़ में चार बार शामिल था।
2006-07 एशेज से पहले गिलक्रिस्ट ने अपने बल्लेबाज़ी कोच बॉब म्यूलमैन से मदद ली। म्यूलमैन ने एक अनोखा तरीक़ा अपनाया। उन्होंने अपने इनडोर क्रिकेट नेट्स में एक गेंदबाज़ी मशीन को राउंड द विकेट से इतनी चौड़ी स्थिति में लगाया कि मशीन की टांगें साइड नेट को छू रही थीं। उन्होंने गिलक्रिस्ट को नए गेंदबाज़ी मशीन के हाई स्पीड गेंदों से में प्रैक्टिस कराई।
इस प्रयास का परिणाम यह हुआ कि गिलक्रिस्ट उस सीज़न में फ्लिंटॉफ के ख़िलाफ़ आउट नहीं हुए।
2024 में गेंदबाजी मशीनें आधुनिक बल्लेबाज़ों के लिए पुरानी चीज़ बन चुकी हैं। जहां गिलक्रिस्ट जैसे खिलाड़ियों के लिए ये तैयारियों का अहम हिस्सा थीं, वहीं आज के बल्लेबाज़ इस तरह का अभ्यास नहीं करते।
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ बुमराह की समस्या को हल करने के लिए नेट्स में कोचों और नेट गेंदबाज़ों की मदद लेते हैं। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि बुमराह जैसे ऐक्शन से उन्हें कोई गेंदबाज़ी नहीं कर पाए। यह लगभग असंभव है। उनकी गेंदबाज़ी का अंदाज अद्वितीय है।
बुमराह के ख़िलाफ़ सबसे बड़ी चुनौती उनकी गेंदों की अपरंपरागत स्विंग और उनके एक्शन की विशिष्टता है। बल्लेबाज़ों का कहना है कि उनकी इनस्विंग और आउटस्विंग में अंतर कर पाना मुश्किल है क्योंकि उनका सीम प्रजेंटेशन लगभग एक समान रहता है।
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ों के लिए बुमराह के ख़िलाफ़ रन बनाने की योजना बनाना ज़रूरी है। कोच एंड्रयू मक्डॉनल्ड ने पर्थ में हार के बाद कहा, "केवल डिफे़ंड करने के बजाय यह सोचना होगा कि बुमराह के ख़िलाफ़ रन कहां बनाए जा सकते हैं। यही हमारा तरीक़ा होगा।"
ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ों के लिए यह चुनौती बनी हुई है कि नेट्स में सही तैयारी कैसे करें और बुमराह जैसे गेंदबाज़ के ख़िलाफ़ रन बनाने की रणनीति कैसे तैयार करें।
सोमवार को ट्रैविस हेड ने कहास "जब मैं गेंद को कड़ी नज़र से देखने की तैयारी करता हूं और मानसिक रूप से तरोताज़ा रहता हूं, तभी मैं सबसे अच्छा प्रदर्शन करता हूं। मुझे लगता है कि मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने उनका कई बार सामना किया है। इसलिए मैं हाल के समय और उन मौक़ों को याद करता हूं, जब मैंने उनका सामना किया।"
समस्या यह है कि बुमराह की अगली गेंद कौन सी होगी, यह जानना मुश्किल है। बल्लेबाज़ों का कहना है कि उनके ऐक्शन की अनूठी शैली से उनकी इनस्विंगर और आउटस्विंगर के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है। सीम की प्रस्तुति इस दौरान लगभग एक समान रहती है, और वह अपनी इनस्विंगर के लिए अन्य गेंदबाज़ों की तरह अधिक झुकते या गिरते नहीं हैं।
ऑस्ट्रेलिया में बल्लेबाज़ों की सबसे बड़ी कमज़ोरी उनकी बाहरी किनारे से जुड़ी हुई है। लगभग सभी बल्लेबाज़ ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर अत्यधिक उछाल और सीम मूवमेंट के कारण काफ़ी परेशान रहते हैं।
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ पारंपरिक रूप से गेंद की लंबाई पर भरोसा जताते हुए, गेंद को छोड़ने में बहुत अच्छे होते हैं। ऑस्ट्रेलिया के लंबे तेज़ गेंदबाज अक्सर शिकायत करते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में स्टंप्स को हिट करना बहुत मुश्किल होता है। यदि कोई बल्लेबाज़ अच्छी तरह से गेंद को छोड़ रहा है, तो यह तेज़ गेंदबाज़ को स्टंप्स पर गेंदबाज़ी करने के लिए मजबूर करता है, जिससे गेंद की साइडवेज मूवमेंट कम हो जाती है और बल्लेबाज़ को रन बनाने का मौक़ा मिल जाता है।
इसके अलावा बल्लेबाज़ ऑस्ट्रेलिया में अपनी गार्ड और आईलाइन को ऑफ़ स्टंप के क़रीब रखने का निर्णय ले सकते हैं, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या छोड़ना है और क्या खेलना है। साथ ही फुल और विकेट की लाइन में की गई गेंदों को खेलने के लिए ख़ुद पर भरोसा भी जताना होगा। अतिरिक्त उछाल के कारण पगबाधा की समस्या भी कम हो जाती है।
पर्थ में बुमराह के ख़िलाफ़ समस्या यह थी कि एल्बीडब्ल्यू और बाहरी किनारे पर आउट होने का ख़तरा समान रूप से काफ़ी ज़्यादा था। उनकी स्किडी गेंदबाज़ी शैली और दोनों तरफ़ स्विंग कराने की क्षमता के कारण उनका सामना करना और भी मुश्किल हो गया था।
पर्थ टेस्ट में पांच बल्लेबाज़ एल्बीडब्ल्यू हुए, जिनमें से चार बुमराह ने लिए। चार बल्लेबाज़ बाहरी किनारे पर भी आउट हुए।
ऑस्ट्रेलिया के लिए समस्या यह है कि इन दोनों ख़तरों को ध्यान में रखते हुए अपनी योजनाओं को फिर से कैसे तैयार करें और नेट्स में इनका अभ्यास कैसे करें।
ऑस्ट्रेलिया के कोच बुमराह की वाइड डिलीवरी और कोण को दोहराने के लिए क्रीज के चौड़े हिस्से का उपयोग कर रहे हैं। साथ ही तेज़ गति से दोनों तरफ़ स्विंग करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने पिछले साल वेस्टइंडीज़ के तेज़ गेंदबाज केमर रोच ख़िलाफ़ तैयारी में भी कुछ ऐसा ही किया था।
हालांकि साइड-आर्म डिवाइस के साथ समस्या ऊंचाई का है। हैंडल और जहां से गेंद छोड़ी जाती है, उसके बीच की दूरी 50 सेंटीमीटर तक हो सकती है।
पर्थ में कोचिंग सलाहकार माइकल हसी और लैचलन स्टीवंस, जो एक और बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं, वे भी बुमराह की ऊंचाई या उससे छोटे हैं। लेकिन तब भी डिवाइस में 50 सेंटीमीटर जोड़ने से रिलीज प्वाइंट इतना ऊंचा हो जाता है कि नेट्स में एक अच्छी लंबाई वाली गेंद स्टंप्स को हिट करने की संभावना कम हो जाती है। कोण और उछाल के साथ फु़टवर्क और शॉट चयन के फै़सले बदल जाते हैं।
यह समस्या पहले ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को श्रीलंकाई तेज गेंदबाज़ लसिथ मलिंगा की तैयारी में भी हुई थी, और कुछ ने कोचों से कहा कि वे साइड-आर्म डिवाइस का उपयोग न करें, बल्कि हाथ से गेंद को कम राउंड-आर्म रिलीज प्वाइंट से फेंकें ताकि कोण की नकल की जा सके।
नेट्स में ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ों का सामना करना भी बल्लेबाज़ों को मदद नहीं रहेगा। एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी ने ESPNcrininfo को बताया कि बुमराह के कौशल और ट्रैजेक्टरी के मामले में ऑस्ट्रेलिया के पास सबसे क़रीबी तुलना झे रिचर्डसन हैं। लेकिन रिचर्डसन भी बुमराह से काफ़ी अलग हैं और एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया टीम के साथ नहीं हैं।
आख़िरकार हर खिलाड़ी जानता है कि नेट्स में जो होता है वह मैदान से बिल्कुल अलग होता है, चाहे आप जितनी भी कोशिश करें। और टिके रहना एक बात है, रन बनाना दूसरी, जैसा कि मैकडॉनल्ड ने पर्थ में हार के बाद कहा।
मक्डॉनल्ड ने कहा, "मेरे लिए सवाल यह है कि आप जसप्रीत बुमराह से रन कैसे बना रहे हैं। एक बात यह है कि आप बैठकर सोचें, 'मैं अच्छी गेंदों का बचाव कैसे करने जा रहा हूं?' लेकिन कला यह है कि उन पर दबाव डालना और यह जानना कि आप उनके ख़िलाफ़ रन कहां से बनाने जा रहे हैं, यही हमारी रणनीति है।"