अक्षर पटेल:जब टीम संकट में होती है तो मुझ पर भरोसा जताया जाता है
ESPNcricinfo से ख़ास बातचीत में अक्षर ने T20 विश्व कप और अपनी बल्लेबाज़ी के बारे में काफ़ी कुछ बताया है
आशीष पंत
20-Jul-2024
अक्षर पटेल ने T20 विश्व कप के फ़ाइनल में • BCCI
"इतने सारे लोग इसका सपना देखते हैं लेकिन उन सभी लोगों में हम 15 खिलाड़ियों का सपना पूरा हुआ है।"
T20 विश्व कप 2024 में भारतीय टीम ने जीत हासिल की थी और अक्षर पटेल ने इस जीत में गेंद और बल्ले के साथ एक अहम भूमिका निभाई थी। उस जीत को तीन सप्ताह बीच चुके है लेकिन बारबाडोस में मिली उस यादगार जीत का प्रभाव अभी भी क़ायम है। उस जीत के बाद भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों को अदभुत समर्थन और प्यार मिला है। मुंबई में आयोजित विजय रैली में तो एक जन सैलाब उमड़ पड़ा था। ओपन-बस परेड, गृहनगर में सम्मान, लगातार चल रहे जश्न। एक तरह से यह माना जा सकता है, अक्षर का मन-मस्तिष्क अभी भी वहीं गुम है।
इन सभी घटनाओं और जश्न के बीच, क्या अक्षर को अब तक यह एहसास हो पाया है कि वह T20 विश्व कप चैंपियन हैं?
अक्षर ने JSW Sports के माध्यम से ESPNcricinfo को दिए एक इंटरव्यू में कहा,"सच कहूं तो अभी भी यह विश्वास नहीं हो रहा है। और अगर हम ऐसा सोचना भी चाहें तो बाक़ी खिलाड़ी हमें ऐसा करने नहीं दे रहे हैं। अभी तो जिस तरह का माहौल चल है, लोग इसे 'सिंक इन' नहीं होने दे रहे हैं। स्थानीय स्तर पर भी हमें जिस तरह का स्वागत मिल रहा है, वह अदभुत है। पिछले कुछ दिन बहुत ही शानदार रहे हैं।
"मैं बहुत जल्दी घुलने-मिलने वाला इंसान नहीं हूं। लेकिन जब मैं वापस आया तो लोगों ने बहुत प्यार दिया। यहां तक कि जब मैं गुजरात आया तो मुझे लगता है कि मैं रात 12 बजे के बाद घर पहुंचा, और तब भी लोग बड़ी संख्या में मुझसे मिलने आए। यह अविश्वसनीय था। तभी मुझे लगा कि इस देश में क्रिकेट के लिए कितना क्रेज़ है। ऐसा लगा जैसे पूरे देश के लोग हमारे साथ मिलकर यह ट्रॉफ़ी जीत गए हैं। मैं खु़द को भाग्यशाली मानता हूं और इन चीज़ों को देखकर बेहद खु़शी होती है।"
तीन सप्ताह पीछे जाते हैं। भारत और साउथ अफ़्रीका विश्व कप फ़ाइनल खेल रहे हैं। शुरुआती ओवरों में भी कप्तान रोहित शर्मा और ऋषभ पंत पवेलियन चले जाते हैं। सूर्यकमार यादव कुछ देर टिकने का प्रयास करते हैं, लेकिन वह भी जल्द ही पवेलियन चले जाते हैं। पहले पांच ओवरों में भारत के टॉप चार में से तीन बल्लेबाज़ पवेलियन जा चुके थे। अगर इस परिस्थिति में अक्षर पटेल 31 गेंदों में 47 रनों की पारी नहीं खेलते तो भारत का माहौल ऐसा नहीं होता, जैसा आज है। अक्षर को नंबर चार पर बल्लेबाज़ी करने के लिए कहा गया था। इससे पहले ग्रुप मैचों में भी अक्षर को इसी तरह से प्रमोट किया गया था। हालांकि फ़ाइनल में प्रमोट होना, अक्षर के लिए एक अलग ही मानसिक परीक्षा थी।
अक्षर का कहना है कि उस पारी की कुंजी यह थी कि खु़द पर संदेह किया बिना खेलेते रहें। साथ ही एक बहुत ही साधारण रणनीति के साथ खेला जाए - गेंद को देखो और मारो।
T20 विश्व कप के फ़ाइनल में अक्षर ने एक मुश्किल परिस्थिति में 47 रनों की पारी खेली थी•AFP/Getty Images
अक्षर ने इस बारे में कहा, "मुझे चार-पांच गेंद पहले ही पता चला था कि मुझे बैटिंग में प्रमोट किया जाएगा। जब ऋषभ आउट हुआ तो मुझे कहा गया कि बल्लेबाज़ी के लिए तैयार हो जाओ। इसके बाद अगले ओवर में सूर्या भी आउट हो गए। मैं नर्वस नहीं था। जाहिर है कि आप पर दबाव होता है। मुझे पता ही नहीं चला कि ऐसा क्या हो गया कि मुझे बल्लेबाज़ी के लिए जाना पड़ रहा है। मुझे नहीं लगता कि जब मैं बल्लेबाज़ी करने गया था तो मेरे दिमाग़ में कुछ चल रहा था। मैं सी द बॉल, हिट द बॉल ( गेंद को देखो और मारो) की मानसिकता के साथ गया था। मैं किसी और चीज़ के बारे में नहीं सोच रहा था। परिणाम की चिंता नहीं कर रहा था, मेरे दिमाग़ में कोई भी दूसरा विचार नहीं था।
"मैं लगातार विराट [कोहली] भाई से बात करता रहा। इसलिए मुझे ऐसा नहीं लगा कि मैं इतना जल्दी आ गया हूं और मुझे कुछ अलग करना है। मैं विराट भाई से बात करता रहा और हमने स्पष्ट रूप से संवाद किया कि हमें क्या करना है।"
हर बल्लेबाज़ एक निश्चित बल्लेबाज़ी क्रम चाहता है। इससे बल्लेबाज़ों के लिए अपनी भूमिका की योजना बनाना थोड़ा आसान हो जाता है। लेकिन एक फ्लोटर के रूप में मुझे लगता है कि कप्तान और कोच आप पर भरोसा करते हैं। यही वजह है कि वे आपको कठिन परिस्थितियों में बल्ल्लेबाज़ी करने के लिए भेज रहे हैं। मैं इसे सकारात्मक तौर पर लेता हूं। जब टीम को किसी ऐसे खिलाड़ी की ज़रूरत होती है, जो मुश्किल परिस्थिति में अच्छा प्रदर्शन करे, तो वे मुझ पर भरोसा करते हैं।अक्षर पटेल
भारतीय टीम में अक्षर की भूमिका मुख्य रूप से एक स्पिन गेंदबाज़ी ऑलराउंडर की है. जो बल्ले से निचले क्रम में उपयोगी योगदान दे सकता है। लेकिन उनकी बल्लेबाज़ी में पिछले एक या दो साल में काफ़ी सुधार हुआ है। IPL 2024 में उन्हें अक्सर एक फ्लोटर के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। कभी-कभी वह दिल्ली कैपिटल्स के लिए नंबर 3 या 4 पर बल्लेबाज़ी करते थे। और यही भूमिका उन्हें भारतीय टीम में भी निभाने के लिए कहा गया था।
एक बैटिंग लाइन अप में एक स्थाई क्रम न मिल पाना, किसी भी बल्लेबाज़ को परेशान कर सकता है। हालांकि फ्लोटर बल्लेबाज़ के तौर पर अक्षर अपनी भूमिका के प्रति काफ़ी सकारात्मक हैं।
अक्षर कहते हैं, "हर बल्लेबाज़ एक निश्चित बल्लेबाज़ी क्रम चाहता है। इससे बल्लेबाज़ों के लिए अपनी भूमिका की योजना बनाना थोड़ा आसान हो जाता है। लेकिन एक फ्लोटर के रूप में मुझे लगता है कि कप्तान और कोच आप पर भरोसा करते हैं। यही वजह है कि वे आपको कठिन परिस्थितियों में बल्ल्लेबाज़ी करने के लिए भेज रहे हैं। मैं इसे सकारात्मक तौर पर लेता हूं। जब टीम को किसी ऐसे खिलाड़ी की ज़रूरत होती है, जो मुश्किल परिस्थिति में अच्छा प्रदर्शन करे, तो वे मुझ पर भरोसा करते हैं। इसका मतलब है कि उन्होंने मुझमें कुछ ऐसा देखा है। जब टीम आप पर ऐसी कठिन परिस्थितियों भरोसा करती है, तो आप अपने आप पर भी अधिक विश्वास करने लगते हैं। और एक या दो मैचों में प्रदर्शन करने के बाद, यह आपके आत्मविश्वास को एक अलग तरह का बढ़ावा देता है।
"ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ़ एक या दो बार हुआ है। मुझे दिल्ली कैपिटल्स और अन्य टीमों के लिए भी इस भूमिका को निभाने के लिए कहा गया है। एक बिंदु के बाद आप इसके अभ्यस्त हो जाते हैं और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस स्थान पर बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। आप किसी भी स्थिति में बल्लेबाज़ी करने में विश्वास रखते हैं और आप जानते हैं कि उस स्थिति में क्या करना है।"
सूर्या भाई एक खु़शमिज़ाज़ इंसान हैं। मुझे पता है कि वह टीम के माहौल को शांत रखेंगे। मैंने हाल ही में उनकी कप्तानी में एक पांच मैचों की T20 सीरीज़ खेली थी। वह गेंदबाज़ों के कप्तान हैं। वह गेंदबाज़ों को उनके मांगे हुए फ़ील्ड देते हैं। और मेरे साथ भी ऐसा ही था। मुझे नहीं लगता कि बहुत ज़्यादा बदलाव होगा। हम उनकी कप्तानी में खेलकर, अब उनके माइंड सेट के बारे में अच्छी तरह से जान पाएंगे। आप किसी की कप्तानी का अंदाज़ा एक दौरे से नहीं लगा सकते। जब हम ज़्यादा खेलेंगे, तो हम उनकी कप्तानी शैली के बारे में ज़्यादा जान पाएंगे।अक्षर पटेल
लेकिन अक्षर खु़द को किस रूप में वर्गीकृत करते हैं, एक बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर या एक गेंदबाज़ी ऑलराउंडर?
वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, "जिस दिन जो चल गया, वो ऑलराउंडर बन जाता हूं मैं। अगर मेरी गेंदबाज़ी चलती है, तो मैं एक गेंदबाज़ी ऑलराउंडर हूं, अगर बल्लेबाज़ी चलती है, तो बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर। मैंने एक बल्लेबाज़ के रूप में शुरुआत की थी। इसलिए मुझे लगता है कि मुझे अपनी बल्लेबाज़ी अधिक पसंद है। पिछले दो या तीन सालों में मैं जिस तरह की बल्लेबाज़ी कर रहा हूं, मुझे लगता है कि मैं अब सक्षम हूं। मैं पहले के वर्षों में अपनी बल्लेबाज़ी के साथ न्याय नहीं कर रहा था।"
भारत अपना अगला सीरीज़ श्रीलंका में खेलेगा। वहां तीन मैचों की वनडे और T20 सीरीज़ खेली जाएगी। अक्षर दोनों टीमों का हिस्सा हैं। T20 टीम में अब रोहित शर्मा नहीं हैं और सूर्या को कप्तान बनाया गया है। इसके अलावा मुख्य कोच गौतम गंभीर के लिए भी यह पहली सीरीज़ होगी।
अक्षर मानते हैं कि सूर्या "गेंदबाज़ों के कप्तान" हैं और वह "मौहोल को जीवंत और शांत रखना पसंद करते हैं।"
अक्षर ने सूर्या के बारे में कहा, "मैंने सूर्यकुमार के साथ बहुत समय बिताया है। सूर्या भाई एक खु़शमिज़ाज़ इंसान हैं। वह माहौल को जीवंत रखते हैं। किसी की नकल करना और इस तरह की मज़ेदार चीजे़ करना पसंद करते हैं। मुझे पता है कि वह माहौल को शांत रखेंगे। मैंने हाल ही में उनकी कप्तानी में एक पांच मैचों की T20 सीरीज़ खेली थी। मुझे पता है कि वह गेंदबाज़ों के कप्तान हैं। वह गेंदबाज़ों को उनके मांगे हुए फ़ील्ड देते हैं। और मेरे साथ भी ऐसा ही था। मुझे नहीं लगता कि बहुत ज़्यादा बदलाव होगा। हम उनकी कप्तानी में खेलकर, अब उनके माइंड सेट के बारे में जान पाएंगे। आप किसी की कप्तानी का अंदाज़ा एक दौरे से नहीं लगा सकते। जब हम ज़्यादा खेलेंगे, तो हम उनकी कप्तानी शैली के बारे में ज़्यादा जान पाएंगे।
"गौतम भाई के साथ हम श्रीलंका जाएंगे, मीटिंग होंगी, हम कुछ विचारों का आदान-प्रदान करेंगे और उसके बाद मुझे पता चल जाएगा कि टीम में मेरी भूमिका क्या होगी।"
अक्षर ने 2014 में भारत के लिए अपना डेब्यू किया था और दस साल में उन्होंने केवल 14 टेस्ट, 57 वनडे और 60 T20 मैच खेले हैं। हालांकि अब अक्षर को टीम में एक स्थायी स्थान मिल गया है। रवींद्र जडेजा के टी20 से संन्यास लेने से वह इस प्रारूप में प्रमुख स्पिन गेंदबाज़ी ऑलराउंडर बन गए हैं।हालांकि अक्षर खु़द बहुत ज़्यादा आगे की नहीं सोच रहे हैं।
अक्षर ने कहा, "मैं केवल उस भूमिका के आधार पर अपने लक्ष्य निर्धारित कर सकता हूं, जो मुझसे उम्मीद की जाएगी। हालांकि ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि मुझसे कोई ऐसी भूमिका निभाने के लिए कहा जाए और मेरे लक्ष्य उससे मेल न खाएं। मैं लंबी अवधि की योजना पर विश्वास नहीं करता। मैं सिर्फ़ वर्तमान को देखता हूं। मैं सिर्फ़ अल्पकालिक लक्ष्यों को सामने रखता हूं।"