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कोटला के क़िले में ग्लेन मैक्सवेल का 'बिग शो'

'शिकारी घायल ज़रूर था, लेकिन शिकार करना नहीं भूला है'

नीदरलैंड्स के ख़िलाफ़ दिल्ली के कोटला मैदान में जब ग्लेन मैक्सवेल बल्लेबाज़ी के लिए आए तो अच्छी शुरुआत के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम एक छोटे से कोलैप्स गुजर रही थी। 36 ओवर में 244/2 के स्कोर के साथ तेज़ी से 400 के स्कोर की ओर बढ़ रही ऑस्ट्रेलियाई टीम को अगले तीन ओवर में एक के बाद एक कुल तीन झटके लगे। 43वें ओवर तक कैमरन ग्रीन भी रनआउट होकर पवेलियन में थे और ऑस्ट्रेलिया का स्कोर अब 290 रन पर 6 विकेट हो चुका था। इसके बाद तो 400 क्या 350 का भी स्कोर ऑस्ट्रेलिया के लिए मुश्किल लगने लगा था।
ऑस्ट्रेलिया के लिए एक छोर पर उनके कप्तान पैट कमिंस तो दूसरे छोर पर बल्लेबाज़ी में ख़राब फ़ॉर्म से जूझ रहे ग्लेन मैक्सवेल थे, जिनका चोट से वापसी के बाद पिछले पांच वनडे मैचों का स्कोर क्रमशः 0, 31*, 3, 15 और 5 था। श्रीलंका के ख़िलाफ़ लखनऊ मैच में उन्होंने 21 गेंदों पर नाबाद 31 रनों की तेज़-तर्रार पारी ज़रूर खेली थी, लेकिन पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अगले मैच में वह शून्य पर आउट हो गए थे और ऐसा लगा रहा था कि मैक्सवेल शायद अपनी पुरानी आक्रामक लय के आस-पास भी नहीं हैं, जिसके लिए उन्हें दुनिया 'बिग शो' के नाम से जानती है।
लेकिन मैक्सवेल ने बुधवार का दिन अपना 'शो' दिखाने के लिए चुना।
उन्होंने पारी की दूसरी ही गेंद से बल्ला चलाना चालू किया और उनकी पहली तीन बाउंड्रीज़ सीधे बल्ले से ड्राइव पर आईं। लेकिन मैक्सवेल कहां ही ज़्यादा देर तक सीधे-सीधे खेलने वाले बल्लेबाज़ हैं, उन्हें तो रिवर्स शॉट, स्विच हिट और स्कूप करना अधिक पसंद है। मैक्सवेल अब उसकी ओर बढ़े। उन्होंने रूलाफ़ वैन डर मर्व पर पहले पैडल स्वीप मारा और फिर जब पॉल वैन मीकरेन अपनी तेज़ गेंदबाज़ी लेकर आए तो उनकी चौथे स्टंप की फ़ुल गेंद को स्टांस बदल कर प्वाइंट के ऊपर से चौके के लिए रिवर्स स्लॉग स्वीप कर दिया।
लेकिन यह तो 'शो' की शुरुआत भर थी। अब उनका शिकार बास डलीडे बने, जिन्होंने अपने 10 ओवर के कोटे में 115 रन देकर किसी वनडे मैच के सबसे महंगे गेंदबाज़ होने का अनचाहा रिकॉर्ड बनाया। 47वें ओवर में मैक्सवेल ने उनकी लेग स्टंप की फ़ुल गेंद को स्टांस बदलते हुए प्वाइंट के ऊपर से रिवर्स शॉट पर छक्के के लिए भेजा और सिर्फ़ 27 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया। इसके बाद उन्होंने ऑफ़ स्टंप की शॉर्ट गेंद को रिवर्स हुक मारते हुए बैकवर्ड प्वाइंट के ऊपर से आधा दर्जन रनों के लिए भेज दिया।
अब तो नीदरलैंड्स के गेंदबाज़ किंतर्व्यविमूढ़ थे, उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि वे मैक्सवेल को कहां गेंद करें? वहीं मैक्सवेल तो विपक्षी गेंदबाज़ों के साथ खेल रहे थे।
जैसा कि मैच के बाद नीदरलैंड्स के तेज़ गेंदबाज़ी ऑलराउंडर लोगन वैन बीक ने भी स्वीकार किया। आईसीसी मीडिया मिक्स्ड ज़ोन में आए लोगन ने कहा, "अगर हम लेग साइड में गेंदबाज़ी कर रहे थे तो वह हमें ऑफ़ साइड के ऊपर से रिवर्स शॉट मार रहे थे। इसी तरह जब हमने ऑफ़ साइड के बहुत बाहर गेंद फेंकी तो वह शफ़ल करके गेंद के ऊपर आए और उसे लांग ऑन पर मार दिया। मैंने भी जब एक बार उनको लेग स्टंप पर गेंदबाज़ी की तो उन्होंने उसे कवर के ऊपर से मारा। इसके बाद एक गेंदबाज़ के रूप में आप सोचने लग जाते हैं कि आप आगे और क्या करें? वह ऐसे बल्लेबाज़ हैं जो इंतज़ार नहीं करते कि गेंदबाज़ कोई ग़लती करे, बल्कि वह गेंदबाज़ को ग़लतियां कराने पर मज़बूर करते हैं। निश्चित रूप से यह उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी थी।"
इस विश्व कप में आने से पहले ग्लेन मैक्सवेल ने 2023 में सिर्फ़ दो वनडे मैच खेला था। नवंबर 2022 में जन्मदिन पार्टी में पैर टूटने के बाद वह लगातार चोटिल हो रहे थे और उनकी सफल वापसी नहीं हो पा रही थी। वह टीम में आ रहे थे, लेकिन चोट बार-बार उभरने के कारण उन्हें टीम से बाहर भी जाना पड़ रहा था। सितंबर में हुए साउथ अफ़्रीका दौरे पर उन्हें जगह तो मिली थी, लेकिन वह दोबारा चोटिल हो गए। विश्व कप से ठीक पहले भारत के ख़िलाफ़ सीरीज़ में भी उन्हें जगह मिली, लेकिन वह सिर्फ़ एक वनडे का हिस्सा बन सके। वहां पर भी वह बल्ले से कमाल करने की बजाय गेंदबाज़ी में अधिक सफल हुए थे और 4 विकेट लेने के बाद उन्हें ऐडम ज़ैम्पा के बाद टीम का दूसरा प्रमुख स्पिनर तक क़रार दिया गया था।
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान मैक्सवेल ने कहा, "साउथ अफ़्रीका में हुई टी20 सीरीज़ के दौरान मेरा चोट फिर से उभरा और मुझे घर वापस लौटना पड़ा था। वह समय मेरे लिए बहुत ही निराशा और झुंझलाहट से भरा था। तब मेरे दिमाग़ में ये ख़्याल तक आने लगे थे कि क्या मैं विश्व कप खेल पाऊंगा या अगर खेलूंगा भी तो क्या मैं अपनी टीम को अपना 100 प्रतिशत दे पाऊंगा। हालांकि कुछ दिनों के बाद मैंने मेलबर्न में अपना रिहैब शुरू किया और मेरा आत्मविश्वास धीरे-धीरे लौटने लगा कि मैं अब फिर से पूरे एक दिन की क्रिकेट (वनडे) खेल सकता हूं।"
ख़ैर, फिर से लौटते हैं 'शो' की तरफ़, जो अभी बाक़ी था। 48 ओवर के अंत तक मैक्सवेल 75 के स्कोर पर थे और ऐसा लग रहा था कि अगली 12 गेंदों में मैक्सवेल अगर आठ गेंद भी खेल लिए तो उनका शतक पूरा हो सकता है। लेकिन मैक्सवेल को तो और भी जल्दी थी। उन्होंने इसे 49वें ओवर में ही पूरा करना उचित समझा। डलीडे की पहली दो गेंदों पर उन्होंने पहले सीधी बाउंड्री पर दो चौके लगाए और इसके बाद ऑन साइड पर लगातार तीन छक्के जड़कर विश्व कप का सबसे तेज़ (40 गेंद) शतक पूरा किया। शतक का जश्न मनाते वक़्त मैक्सवेल ने अपने दोनों हाथ खड़े कर दिए थे, मानों कह रहे हों कि उन्होंने कुछ किया ही नहीं है।
लेकिन अब दिल्ली ही नहीं पूरा दुनिया फिर से मान चुकी थी कि शिकारी कुछ दिन घायल ज़रूर हो, लेकिन वह शिकार करना नहीं भूल सकता है।

दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं. @dayasagar95