DRS ने दर्शाया कि गेंद स्टंप को मिस करती, डीन एल्गर अब LBW नहीं थे। भारतीय टीम हतप्रभ थी।
केएल राहुल को स्टंप माइक पर बोलते सुना गया, "पूरा देश (साउथ अफ़्रीका) हम 11 खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ है।"
ज़िंदगी यह सोचना बेहद आसान बना देती है कि हर कोई आपके ख़िलाफ़ है। ख़ुद राहुल को सोशल मीडिया पर अपने लिए कड़वी बातें सुनने को मिल रही थीं। राहुल जानते तो थे कि इन्हें नज़रअंदाज़ करना ही सबसे बेहतर उपाय है लेकिन वह चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकते थे।
क्रिकेट राहुल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है या शायद सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण। राहुल ने हाल ही में बताया कि कैसे 30 की उम्र तक पहुंचने तक उनके सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया था और वह यह सोचने लगे थे कि उनके लिए क्रिकेट अब बचा ही नहीं है। वह अपने उस उद्देश्य को खोने की कगार पर जा रहे थे जिसे उन्होंने स्वयं ही ख़ुद के लिए निर्धारित किया था। हो सकता है कि इस सबका उनके ऊपर इतना गहरा असर पड़ा हो कि उन्होंने यह जान लिया हो कि अभी उनका काम अधूरा है।
भारत के लिए कम से कम
50 टेस्ट मैच खेलने वाले बल्लेबाज़ों में राहुल की औसत सबसे कम है। उनकी औसत 30 की श्रृंखला में आती है। बीते दशक के अंत में राहुल बल्ले के साथ काफ़ी संघर्ष कर रहे थे। जनवरी 2018 से लेकर अगस्त 2019 के बीच में उन्होंने 27 टेस्ट पारियों में सिर्फ़ दो अर्धशतक ही लगाए और 19 पारियां ऐसी थीं जब वह 30 के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाए।
तत्कालीन भारतीय बल्लेबाज़ी कोच ने उस दौरान राहुल को लेकर कहा था कि शायद वह सिर्फ़ गेंद को खेलने के बजाय ज़रूरत से ज़्यादा सोच रहे हैं और ख़ुद को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। बांगर की इस बात में दम था।
इंग्लैंड में राहुल को आउटस्विंग परेशान कर रही थी और वह इतने परेशान हो गए थे कि उन्होंने मैच के बीच में तकनीक ही बदल डाली जिससे क्रीज़ पर उनके सेट अप में बहुत बड़ा बदलाव आ गया। ऑस्ट्रेलिया में वह वाइड गेंदों के पीछे पड़ रहे थे। जब घर (भारत) वापस आए तो उन्हें लगा कि गेंद को देर से खेलना बेहतर है। अगर वह जल्दी शॉट खेलने जाते तो अधिक बेहतर परिणाम मिल सकते थे। हालांकि जब उन्होंने ऐसा किया तो गेंदबाज़ों ने उन्हें स्टंप्स पर अटैक करना शुरू कर दिया और अब गेंद को रोकने में उनका बल्ले देर से आ रहा था।
बांगर ने यह मानने से इंकार कर दिया कि राहुल की तकनीक में किसी तरह की समस्या आई है। वह घरेलू क्रिकेट में लगातार बेहतर प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम में आए थे। वह कर्नाटक के लिए रणजी ट्रॉफ़ी विजेता थे और स्पिन और तेज़ गेंदबाज़ी दोनों के विरुद्ध बैकफ़ुट पर वह दुनिया में सबसे बेहतर बल्लेबाज़ों में से एक थे। राहुल को बस अपने ज़हन को नियंत्रित करने की ज़रूरत थी जैसा कि उन्होंने पिछले साल ही दिसंबर में साउथ अफ़्रीका के मज़बूत गेंदबाज़ी आक्रमण के सामने
सेंचुरियन में शतकीय पारी खेलकर दिखाया।
चेन्नई में खेले जाने वाले पहले टेस्ट से पहले भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने कहा, "जिस तरह की विशेषता राहुल के पास है, उससे हर कोई परिचित है। मैं उसी समय की बात करूंगा जब से मैंने कप्तानी शुरू की, उन्हें हमारी ओर से यही संदेश दिया गया है कि हम चाहते हैं कि वह हर मैच खेलें। हम उनके भीतर से उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बाहर निकलवाना चाहते हैं और यह हमारा कर्तव्य भी है।"
राहुल ने 50 टेस्ट मैचों में 33 टेस्ट भारत के बाहर खेले हैं। और इन मैचों में शीर्ष चार द्वारा लगाए गए कुल 24 शतकों में छह शतक राहुल ने ही लगाए थे। शतकों के इस अनुपात में राहुल से बेहतर अनुपात सिर्फ़ विराट कोहली का था। सलामी बल्लेबाज़ के बजाय राहुल को हालिया समय में मध्य क्रम में मौक़ा दिया गया है और उन्होंने चार मैचों में घर के बाहर शतक जड़ा है और घर पर 86 रनों की पारी भी खेली है।
रोहित ने कहा, "राहुल के पास प्रतिभा है। उनके पास स्पिन और तेज़ गेंदबाज़ी दोनों को खेलने की तकनीक है। तो मुझे कोई ऐसा कारण नहीं दिखाई देता जो उन्हें टेस्ट में बेहतर करने से रोक सके। यह उनके ऊपर है कि वह अपने करियर को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं।"