रॉबिन मिन्ज़: शांत रहने वाला एक आदिवासी लड़का, जिसका बल्ला बोलता है
आईपीएल में जगह बनाने वाले पहले आदिवासी खिलाड़ी से मिलिए, जिसे "झारखंड का क्रिस गेल" और "अगला धोनी" भी कहा जा रहा है
राजन राज
22-Dec-2023
संघर्षों के हर पहाड़ को पार करते हुए रॉबिन मिन्ज़ ने आईपीएल की दुनिया में पहला कदम रख दिया है • Francis Xavier Minz
कुछ समय पहले ही फ़्रांसिस जेवियर मिन्ज़ रांची एयरपोर्ट पर एमएस धोनी से मिले थे, तब धोनी ने उनसे कहा था, "अगर कोई नहीं लेगा तो हम लोग ले लेंगे।"
यह बातचीत फ़्रांसिस के बेटे रॉबिन मिन्ज़ के बारे में हो रही थी। फ़्रांसिस पहले आर्मी में थे और रिटायर होने के बाद एयरपोर्ट सिक्योरिटी में काम करते हैं।
19 दिसंबर को दुबई में आयोजित हुए IPL 2024 नीलामी में जैसे ही रॉबिन का नाम आया तो चेन्नई सुपर किंग्स ने उनके लिए सबसे पहले बोली लगाई। उसके बाद मुंबई इंडियंस और फिर गुजरात टाइटंस ने भी रॉबिन को ख़रीदने का प्रयास किया और अंत में रॉबिन 3.6 करोड़ रूपये की राशि के साथ गुजरात की टीम में शामिल हो गए।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह तय हो गया था कि भारत का पहला आदिवासी खिलाड़ी आईपीएल की चमकती दुनिया में पदार्पण करने वाला है।
इसके बाद का घटनाक्रम ठीक वैसे ही होता है, जैसे आईपीएल नीलामी में बड़ी राशि में बिकने वाले अनकैप्ड खिलाड़ियों के साथ होता है। सभी मीडियाकर्मी उन्हें फ़ोन करते हैं, ताकि उरांव जनजाति से आने वाले उस लड़के के एहसास को जान जा सके, जो इतनी बड़े मंच पर खेलने जा रहा है। एक रिपोर्टर के रूप में मैं भी इसी प्रयास में था और जब मैंने पहली बार उनसे बात की तो रूआंसे गले के साथ एक ही आवाज़ आई "भैया बहुत ख़ुश हूं, मम्मी पापा से बात करने के बाद आपको कॉल करता हूं।"
स्वभाव से काफ़ी शांत रॉबिन नीलामी के बाद कुछ देर के लिए मीडिया की चमक-दमक से दूर रहने का प्रयास कर रहे थे। वह फ़ोन पर पूछे गए ज़्यादातर सवालों का जवाब सिर्फ़ 'हां या ना' में दे रहे थे। हालांकि एक बात स्पष्ट थी कि उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
नीलामी के बाद रॉबिन ने जैसे ही अपने पापा और मम्मी को फ़ोन किया, उनके माता-पिता कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। वे लगातार रोए जा रहे थे। इतने में एक नॉर्मल कॉल, वीडियो कॉल में बदल जाता है और रॉबिन की बहन करिश्मा मिन्ज़ कैमरा को मां-बाबा की तरफ़ मोड़ देती हैं और कहती हैं, "रॉबिन, देखो मां-बाबा रो रहे हैं….रॉबिन देखो मां-बाबा रो रहे हैं…।" रॉबिन अपने मां-बाबा का ढाढंस बांधने का प्रयास करते हुए कहते हैं, "मत रो मां, अब सब ठीक हो गया है। अब तो ख़ुश होना है।"
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इस घटना से कुछ साल पीछे चलते हैं। बचपन के पहले तीन साल रॉबिन ने अपने जन्मस्थान गुमला में ही बिताया और उनकी क्रिकेट की कहानी भी वहीं से शुरू हुई। रॉबिन जब दो साल के थे, तो उनके बाबा छुट्टी पर घर आए थे। उन्होंने देखा कि रॉबिन छोटे-छोटे पत्थरों को एक लकड़ी से मारने का प्रयास कर रहा है। इसके बाद उनके पिता ने उन्हें अपने हाथों से एक लकड़ी का बैट बना कर दिया और बाज़ार से एक गेंद ख़रीद कर ला दिया। यहीं से उनके पिता ने उन्हें क्रिकेटर बनाने का सपना देखा।
रांची एयरपोर्ट पर धोनी और रॉबिन के पिता•Francis Xavier Minz
इसके कुछ दिन बाद रॉबिन के पिता का ट्रांसफ़र रांची हो जाता है और उनका पूरा परिवार रांची से 15 किमी दूर नामकुम में रहने लगता है। रॉबिन की स्कूली शिक्षा और प्रफे़शनल क्रिकेट ट्रेनिंग भी यहीं से शुरू होती है। हालांकि यह सफ़र कहीं से भी आसान नहीं होने वाला था।
रॉबिन के परिवार की आय सीमित थी। उनकी दो बहनें अभी पढ़ाई कर रही हैं। ऐसे में तीन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ क्रिकेट के महंगे किट को ख़रीदना काफ़ी मुश्किल था। कभी उधार लेकर तो कभी अपनी अहम ज़रूरतों को कम करते हुए रॉबिन को अच्छा से अच्छा किट ख़रीद कर दिया गया।
अपने माता-पिता के साथ रॉबिन•Francis Xavier Minz
रॉबिन की मम्मी से जब हमने पहली बार बात की तो उनका पहला लाइन था, "बहुत बेस होलक बेटा, मोअय, कहियो नी सोइच रहो कि मोर बेटा एतन बड़ काम करी, मोअय बहुत ख़ुश आहो।" सादरी भाषा की इस लाइन का अर्थ है - "बहुत बड़ा काम पूरा हो गया है बेटा, मैं बहुत ख़ुश हूं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारा बेटा इतना बड़ा काम करेगा।"
आगे रॉबिन की मम्मी कहती हैं, "एक बार रॉबिन खूंटी जिला में क्रिकेट खेलने गया था। वहां यह इतना अच्छा खेला कि न्यूज़ पेपर वाले मेरे घर आए और उन्होंने मेरा फ़ोटो पेपर में छापा। मैं उस दिन इतना ख़ुश थी कि बता नहीं सकती। मैंने उसके पापा को कॉल कर के चिढ़ाया भी कि देखिए रॉबिन के कारण मेरा फ़ोटो पेपर में आया है और आपका नहीं आया। इन्हीं कारणों से हमें हमेशा विश्वास होता गया कि रॉबिन क्रिकेट में अच्छा करेगा।"
उनकी मम्मी ने कहा, "जब हम पहले-पहल क्रिकेट किट की दुकान पर जाते तो सोचते थे कि बल्ला और पैड 2 हज़ार में आ जाएगा लेकिन जब हम दुकान में सुनते थे कि बल्ला 5000 का है तो काफ़ी सोच में पड़ जाते थे। दुकान वाला भी हमें संदेह की नज़र से देखता था कि हम ख़रीद पाएंगे या नहीं, लेकिन हम लोग उधार कर के या कहीं से भी पैसे जुगाड़ कर उसके लिए किट ख़रीदते थे।"
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रॉबिन के परिवार और उनके आस-पास के लोग बताते हैं कि रॉबिन काफ़ी कम बोलते हैं। बचपन में जब वह स्कूल में थे तो उनके एक शिक्षक ने रॉबिन के पापा-मम्मी से कहा था, "यह बच्चा तो बोलता ही नहीं है। इसको थोड़ा बोलना सिखाइए।" ख़ैर, रॉबिन आज भी ज़्यादा बात नहीं करते हैं। हालांकि क्रिकेट के मैदान पर उनका बल्ला ख़ूब बोलता है। उनके लंबे सिक्सर को देख कर कई लोग उन्हें झारखंड क्रिकेट का क्रिस गेल भी कहते हैं।पूर्व भारतीय क्रिकेटर सौरभ तिवारी, जो काफ़ी समय तक आईपीएल टीमों का भी हिस्सा रहे हैं, अभी रांची में झारखंड के घरेलू टीम के साथ ही हैं।
रॉबिन के बारे में पूछे जाने पर सौरभ ने कहा, "यह बात तय है कि यह लड़का इंडिया का अगला बिग हिटर है। इसमें नेचुरल पॉवर है। वह भले ही कम बात करता है लेकिन उसका बल्ला ख़ूब बोलता है। मैंने उसे काफ़ी क़रीब से देखा है और यह कह सकता हूं कि यह बहुत आगे जाने वाला खिलाड़ी है।"
"मिन्ज़ भले ही यहां के पहले आदिवासी क्रिकेटर हैं, लेकिन इस फ़ेहरिश्त में कई और ऐसे आदिवासी क्रिकेटर हैं, जो भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करेंगे।"चंचल भट्टाचार्या, एमएस धोनी और रॉबिन मिन्ज़ के कोच
झारखंड के एक और पूर्व सीनियर खिलाड़ी इशांक जग्गी ने उनके बारे में कहा, "मैंने उसके एक इंस्टाग्राम वीडियो पर काफ़ी पहले ही लिख दिया था - 'Next big thing' और आने वाले समय में ऐसा पक्का होगा।"
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रॉबिन फ़िलहाल रांची के सॉनेट क्लब में खेलते हैं, जहां वह पिछले दो सालों से महेंद्र सिंह धोनी के शुरुआती कोच चंचल भट्टाचार्या की देख रेख में हैं। इसके अलावा उन्हें आशिफ़ हक़ और एसपी गौतम भी कोचिंग देते हैं। यहां तक कि धोनी ने ख़ुद रॉबिन को कोई बार कीपिंग ड्रिल और मानिसकता के बारे में काफ़ी कुछ बताया है।भारत के मौज़ूदा विकेटकीपर बल्लेबाज़ इशान किशन भी रॉबिन के खेल से काफ़ी प्रभावित हुए थे और उन्हें अपना ग्लब्स गिफ़्ट किया था। रॉबिन अभी भी उस ग्लब्स का प्रयोग करते हैं।
रॉबिन के खेल को देख कर चंचल भट्टाचार्या एक दिन इतने प्रभावित हुए थे कि वह रॉबिन के घर का पता पूछते हुए उनकी माता-पिता से मिलने चले गए।
रॉबिन की मम्मी ने उस घटना के बारे में बताया, "चंचल सर मेरे घर आए थे। मुझे उनके बारे में जानकारी भी नहीं थी। फिर लोगों ने मुझे उनके बारे में बताया कि वह धोनी के भी कोच रहे हैं। उसी दिन उन्होंने कह दिया था कि आप लोग रॉबिन की ज़्यादा चिंता मत कीजिए, वह बहुत जल्द टीवी पर आने वाला है।"
चंचल का मानना है कि रॉबिन भारत के अगले धोनी बन सकते हैं।
उन्होंने कहा, "वह दो साल से हमारे साथ खेल रहा है। वह एक नेचुरल आक्रामक बल्लेबाज़ है। वह भले ही अभी धोनी के जैसा नहीं है, लेकिन धोनी जब पहली-पहली बार टीम में आए थे, तब हमने देखा था कि धोनी अगर 10 रन भी बनाए तो उसमें एक सिक्सर होता था। रॉबिन भी उसी तरह का बल्लेबाज़ है। वह ठीक उसी तरह का बल्लेबाज़ है, जिसे हम एक 'प्रॉपर हार्ड हिटर' कहते हैं।"
झारखंड के तीन सीनियर खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी, इशांक जग्गी और इशान किशन, रॉबिन मिन्ज़ के खेल को काफ़ी पसंद करते हैं•Ishank Jaggi
उन्होंने आगे बताया, "मैं बिल्कुल साफ़ तरीक़े से यह कह सकता हूं वह धोनी तो नहीं है लेकिन उसमें 'अगला धोनी' बनने की पूरी क्षमता है। हाल ही में उसने अंडर 19 के ज़ोनल क्रिकेट के पांच मैचों में तीन शतक लगाया था और उसी प्रदर्शन को देखते हुए, उन्हें ट्रायल के लिए बुलाया गया था। मिन्ज़ खेल में तो अच्छा है ही लेकिन उसका जो स्वभाव है, वह उसे अलग बनाता है। धोनी के बाद मैंने किसी खिलाड़ी के स्वभाव को पसंद किया है तो वह मिन्ज़ ही है। वह बहुत ही शांत स्वभाव का है, नया सीखने को आतुर है और बहुत ही विनम्र है। लेकिन अगर आप उससे खाने के बारे में बात करते हैं, तो वह फिर बहुत बोलने लगता है। उन्हें खेलने और खाने, दोनों में बहुत मज़ा आता है। आप उसे कुछ खाने को बोलो तो चिकन के पांच आईटम मंगवा लेगा।"
रॉबिन, उनके परिवार के सदस्य, उनके कोच और उनके झारखंड के सहयोगी, सभी उम्मीद कर रहे होंगे कि उन्हें गुजरात टाइटंस के प्लेइंग XI में मौक़ा मिले और वह कुछ ऐसा करें, जिससे देश भर में धूम मच जाए। अगर रॉबिन ऐसा करने में सफल रहते हैं तो उनके समुदाय के लिए यह एक बड़ा क्षण होगा, जो तथाकथित "मुख्यधारा" से दूर है, और जिन्हें सीमित अवसर मिलते हैं।
हालांकि चंचल कहते हैं कि रॉबिन की सफलता आने वाले समय में उनके समदुाय के और भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनेगी।
वह कहते हैं, "मिन्ज़ भले ही पहला आदिवासी क्रिकेटर है, लेकिन इस फ़ेहरिश्त में कई और ऐसे आदिवासी क्रिकेटर हैं, जो भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। निश्चित रूप से भविष्य में ऐसा हो सकता है कि आप उन्हें बड़े मंच पर देखेंगे।"
अंत में हमारी टीम ने उनकी मां से मज़ाकिया अंदाज़ में पूछा कि आपके घर आने पर आप क्या खिलाओगे, उन्होंने कहा , "अगर आप आदिवासी खाना खाते हो तो आप बता देना कि कब आओगे, मैं आपके लिए साल के पत्ते में बना हुआ स्पेशल डिस और पीठा बना कर रखूंगी।"
राजन राज ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं