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थोड़े से भाग्य और ठोस योजनाओं के साथ जम्मू एंड कश्मीर सफलता के नए मुक़ाम की ओर

क्रिकेट संचालन निदेशक मिथुन मन्हास के मार्गदर्शन में, उनकी नज़र रणजी ट्रॉफ़ी में अपने पहले सेमीफ़ाइनल पर है

J&K players pose after beating Mumbai in their backyard, Mumbai vs Jammu and Kashmir, Sharad Pawar Cricket Academy, day 3, Ranji Trophy, January 25, 2025

J&K ने इस सीज़न मुंबई को भी शिकस्‍त दी  •  PTI

जम्‍मू एंड कश्‍मीर पांच साल बाद रणजी ट्रॉफ़ी के नॉकआउट में पहुंचा है। इस राह में उन्‍होंने मुंबई और बड़ौदा जैसी बड़ी टीमों को हराकर ग्रुप स्‍तर पर दूसरा स्‍थान हासिल किया। 55 सालों के इतिहास में यह केवल तीसरी बार है जब वे रणजी ट्रॉफ़ी के क्‍वार्टर फ़ाइनल में पहुंचे हैं।
इस कैंपेन में उनके 2019-20 सीज़न की झलक मिलती है, जहां पर उन्‍होंने नौ में से छह मैचों में आउटराइट जीत हासिल की थी। वे तब सेमीफ़ाइनल की दहलीज पर थे लेकिन कर्नाटक के ख़‍िलाफ़ हार का सामना करना पड़ा।
वह सीज़न उनकी टीम के लिए सफलताओं की नई राज खोल सकता था। इसके बजाय, अगले चार साल असंगतता, सीज़न के लिए उचित तैयारी की कमी, आंशिक रूप से बुनियादी ढांचे और प्रशासनिक उदासीनता के कारण भरे रहे।
चीज़ें इस बार थोड़ी अलग हैं। सीज़न की तैयारी में मैच के समय के दौरान उचित कंडीशनिंग पर JKCA के ज़ोर ने खिलाड़ियों को बेहतर स्थिति प्रदान की है।
उदाहरण के तौर पर उनके सीज़न से पहले अच्‍छे कैंप लगे, उन्‍हें तमिलनाडु में प्री सीज़न टूर्नामेंट बुची बाबू खेलने को मिला। यह महत्वपूर्ण बदलाव तब चमक रहा है जब जम्मू एंड कश्मीर शनिवार से केरल के ख़‍िलाफ़ रणजी ट्रॉफ़ी क्वार्टर फ़ाइनल में प्रवेश करेगा।
कड़ी सर्दियों की स्थिति के कारण श्रीनगर मेज़बानी करने में असमर्थ होने के कारण और जम्मू एंड कश्मीर में जम्मू में एकमात्र उपलब्ध मैदान (गांधी साइंस कॉलेज मैदान) को पिछले साल के अंत में नवीकरण के लिए लिया गया था। यह संभव है कि JKCA ने भी टीम के क्वालिफाई करने की संभावना को उस तरह से ध्यान में नहीं रखा जैसा उन्होंने किया है। वे ग्रुप टॉपर्स के रूप में समाप्त हुए और क्वार्टर फ़ाइनल की मेज़बानी का अधिकार अर्जित किया।
वे अब इसकी जगह पुणे में खेलेंगे, जो उनके घरेलू लाभ को काफ़ी हद तक टाल सकता है। लेकिन अगर यह लाल-मिट्टी वाली सतह है, तो जम्मू एंड कश्मीर शिकायत नहीं करेगा, क्‍योंकि मुंबई और बड़ौदा के ख़‍िलाफ़ ऐसी ही पिचों पर उन्‍होंने शानदार प्रदर्शन किया है।

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आश्चर्यजनक रूप से, जम्मू एंड कश्मीर की सफलता उनके बड़े खिलाड़ियों के कारण नहीं है, जिन्होंने IPL में धूम मचाई है। उमरान मलिक फ़ॉर्म और चोटिल होने की वजह से नहीं खेले, रसिख़ सलाम अधिकतर samay T20 में खेलते हैं और अब्‍दुल समद, 2019-20 वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं।
समद अभी भी 393 रन बनाकर उनके लिए दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं, लेकिन वह शुभम खजुरिया, ऑलराउंडर आबिद मुश्‍ताक़, दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ आक़‍िब नबी, युद्धवीर सिंह, उमर नज़ीर, और ऑफ़ स्पिनर साहिल लूथरा का अच्छा साथ दे रहे हैं।
उनमें से नबी ने राज्य के लिए पहली बार खेलने के पांच साल बाद एक सफल सीज़न का आनंद लिया है। अब 28 साल के नबी इस सीज़न में 38 विकेट के साथ दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं, जिसमें पांच बार पांच विकेट लेने का कारनामा भी शामिल है। वास्तव में, वह विकेट लेने वालों की सूची में शीर्ष दस में से केवल दो तेज़ गेंदबाज़ों में से एक हैं।
दो सप्‍ताह पहले नज़ीर ही ने पहले दिन मुंबई के शीर्ष क्रम को ढहाकर 41 रन देकर चार विकेट लिए थे। इसमें रोहित शर्मा का भी विकेट था, लेकिन उन्‍होंने जश्‍न नहीं मनाया क्‍योंकि वह भारतीय कप्‍तान के बड़े प्रशंसक हैं। तेज़ गेंदबाज़ खेमे में नज़ीर, नबी के सटीक बैकअप हैं। और नबी की तरह, नज़ीर ने भी पिछले कुछ वर्षों में ठोस अनुभव हासिल किया है।
नबी ने कहा, "पिछले दो साल से हमने अपने राज्‍य के बाहर भी लाल गेंद के टूर्नामेंट खेले हैं। हमने तमिलनाडु में भी बुची बाबू टूर्नामेंट खेला है। तो हमारा अभ्‍यास बहुत अच्‍छा था। जो टीम रणजी खेल रही है, वही टीम उस टूर्नामेंट में गई थी। तो इससे बहुत मदद मिली।"
इस टीम को बनाने में अहम भूमिका निभाने में दिल्‍ली के पूर्व कप्‍तान मिथुन मन्‍हास का हाथ है, जो उनके बोर्ड के क्रिकेट डायरेक्‍टर हैं। मन्हास ने इरफ़ान पठान और मिलाप मेवाड़ा के क्रमश: मेंटर और कोच के पद से हटने के बाद पदभार संभाला। सफलता रातोरात नहीं आई है। मन्हास एंड कंपनी को एक मज़बूत मुकाम हासिल करने में तीन साल लग गए। मन्हास की चुनौती अब यह सुनिश्चित करने की होगी कि पहले के विपरीत, यह दो कदम आगे और तीन कदम पीछे हटने का मामला नहीं है।
इस सीज़न मन्‍हास पारस डोगरा को लेकर आए। वह 40 साल के हैं और टीम में सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं, जिन्‍होंने 142 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। डोगरा ने कप्‍तानी भी ली जो टीम में आते ही करना मुश्किल काम है। उनके बल्‍ले से रन तो नहीं आए (12 पारियों में 216 रन), लेकिन उनका अनुभव टीम के काम आ रहा है।
डोगरा को भारत के पूर्व बल्लेबाज़ अजय शर्मा का समर्थन मिला है, जिन्हें तीन साल पहले मुख्य कोच के रूप में लाया गया था। हालांकि उनके कार्यकाल की शुरुआत अच्छी नहीं रही, लेकिन JKCA अल्पकालिक परिणामों से प्रभावित नहीं हुआ।
सीज़न से पहले, राजस्थान के पूर्व बल्लेबाज़ दिशांत याग्निक जम्मू एंड कश्मीर के फ़ील्डिंग कोच के रूप में आए थे। उन्होंने अजय के साथ मिलकर बल्लेबाज़ों के लिए कैंप आयोजित किए। फिर ऐसे अन्य क़दम भी थे जो इस सीज़न में जम्मू एंड कश्मीर के पक्ष में थे, जैसे कि BCCI ने उत्तर भारत में चरम सर्दियों के दौरान कोहरे से प्रभावित होने वाले मैचों से बचने के लिए रणजी ट्रॉफ़ी को दो भागों में विभाजित करने का निर्णय लिया, कुछ ऐसा जिसकी क़ीमत उन्हें पिछले साल चुकानी पड़ी।
नबी ने कहा, "2023-24 में हमारे सभी तीन घरेलू खेल बुरी तरह प्रभावित हुए थे। जम्मू में हिमाचल प्रदेश (65.3 ओवर), दिल्ली (42) और उत्तराखंड (39) के ख़‍िलाफ़ मैचों में चार दिनों में बमुश्किल कोई ऐक्‍शन हो सका।( जबकि उनमें से पहले दो मैच जनवरी की शुरुआत में हुए थे, यहां तक ​​कि फ़रवरी की शुरुआत में उत्तराखंड के ख़िलाफ़ मैच भी नहीं हो पाया था। इसका मतलब था कि जम्मू एंड कश्मीर शायद ही नॉकआउट में जगह बनाने के लिए चुनौती दे सके।"
हालांकि कैलेंडर बदला और यह उनके हक़ में गया। महाराष्‍ट्र के ख़‍िलाफ़ बड़े स्‍कोरिंग ड्रॉ और सर्विसेज के ख़‍िलाफ़ श्रीनगर में एक पारी से जीत के बाद उन्‍होंने जम्‍मू में त्रिपुरा को हराया और इसके बाद लय पकड़ ली।

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आधिकारिक क्षमता में पहली बार, जम्मू एंड कश्मीर ने दो साल पहले एक गेंदबाजी कोच को नियुक्त किया था जब मन्हास ने राजस्थान के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ पुदियांगम कृष्णकुमार को बुलाया था। तब तक, जम्मू एंड कश्मीर के पूर्व खिलाड़ी अब्दुल क़यूम सभी पहलुओं की देखरेख करने की भूमिका में थे।
नबी कहते हैं, "उनके पहले हमारे पास कभी कोई गेंदबाज़ी कोच नहीं था। इसलिए मैंने उनके साथ बहुत अभ्यास किया है। मैंने उनके साथ अपनी आउटस्विंग पर काम किया और तब से मुझे बहुत अच्छी आउटस्विंग मिल रही है।"
खजुरिया इस सीज़न जम्‍मू एंड कश्‍मीर के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्‍लेबाज़ हैं और उन्‍होंने इसका श्रेय मन्‍हास को दिया।
खजुरिया कहते हैं, "उनके बोर्ड में आने से पहले, मुझे लगता है कि हमारे पास ऑफ़-सीज़न शिविरों और तैयारियों की कमी थी। इन तीन वर्षों में, हमारे पास बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण के लिए एक अलग कोच था। हर साल जब सीज़न ख़त्म होता है तो मिथुन भैया सभी खिलाड़ियों को बुलाते हैं और पूछते हैं कि उस सीज़न के दौरान क्या कमी थी। और सभी के फ़ीडबैक से, वह चीज़ [जिसकी कमी थी] अगले साल लागू भी हो जाएगी।"
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि तैयारी कितनी अलग रही है।
उन्‍होंने कहा, "विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी ख़त्म होने के बाद, हम 6 जनवरी को जम्मू पहुंचे। इसके बाद 9 जनवरी से हमारा शिविर था। हमने मुश्किल से बीच में दो दिन का ब्रेक लिया। हमने वहां 15 जनवरी तक अभ्यास किया और जम्मू और मुंबई के मौसम के बीच भारी अंतर को महसूस करते हुए एसोसिएशन ने हमें उसी दिन मुंबई भेज दिया। वह हमारे मैच से आठ दिन पहले था, इस अवधि के दौरान हमने वहां अभ्यास किया था।"
नबी और खजुरिया दोनों 2019-20 क्वार्टर फ़ाइनल हार्टब्रेक में XI का हिस्सा थे। अब अनुभवी खिलाड़ियों के रूप में, उन्हें उन चुनौतियों का भली-भांति आभास हो गया है जिनका सामना टीम को करना पड़ा है।
नबी ने कहा, "सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे पास जम्मू एंड कश्मीर में कोई बुनियादी ढांचा नहीं है। यह अब थोड़ा बढ़ रहा है, लेकिन यह अभी भी बहुत अधिक नहीं है। उदाहरण के लिए, मैं बारामुला से आता हूं, जहां हमारे पास अभ्यास करने के लिए पर्याप्त नेट नहीं हैं। हमें स्वयं ही अभ्यास करना होगा।"
"कश्मीर में अधिक टर्फ़ क्रिकेट नहीं हैं। कुछ खिलाड़ी अभ्यास के लिए राज्य से बाहर जाते हैं। लेकिन पिछले एक या दो वर्षों में, JKCA ने हमें कई मैच खि‍लाने में मदद की है। इसलिए हमारे प्रदर्शन में काफ़ी सुधार हुआ है।"
खजुरिया ने अपनी और टीम की क़ि‍स्‍मत बदलने का श्रेय अजय को भी दिया। इस घरेलू सीज़न में खजुरिया ने महाराष्‍ट्र के ख़‍िलाफ़ रणजी मैच में 255 रन बनाए, विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी में छत्‍तीसगढ़ के ख़‍िलाफ़ 159 रन बनाए और सैयद मुश्‍ताक़ अली ट्रॉफ़ी में उत्‍तर प्रदेश के ख़‍िलाफ़ 85* रन बनाए। यह तीनों ही जम्‍मू एंड कश्‍मीर की ओर से तीनों टूर्नामेंट में सबसे बड़ा स्‍कोर है।
खजुरिया ने कहा, "अजय सर मुझसे लंबी पारी खेलने के लिए कह रहे हैं। अक्सर मैं 30 या 40 के बीच में आउट हो जाता था। अब ऐसा होना बंद हो गया है। तो मानसिकता बदल गई है। पहले जम्मू एंड कश्मीर के ड्रेसिंग रूम का माहौल भी ऐसा नहीं था। लेकिन अब, हर कोई जीतने की बात करता है। हमारी पांच जीतों में हमें [तीन] अलग-अलग मैन ऑफ़ द मैच विजेता मिले हैं। सभी ने योगदान दिया है। अब मामला हर मैच जीतने की कोशिश का है।"
अगला सप्ताह जम्मू एंड कश्मीर को नई सीमाओं पर ले जा सकता है। उन्होंने पहले कभी रणजी सेमीफ़ाइनल में जगह नहीं बनाई है और घबराहट भरी उत्तेजना का माहौल है। वे इसे कैसे संभालते हैं, यह उनकी आगे की राह निर्धारित कर सकता है।

हिमांशु अग्रवाल ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं।