नितीश कुमार रेड्डी को जब पिछले महीने भारत की जर्सी मिली, तो उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने सबसे पहले विशाखापट्टनम में रह रहे अपने पिता को फ़ोन किया कि उनका चयन ज़िम्बाब्वे दौरे के लिए भारतीय T20 टीम में हुआ है।
21 साल के इस युवा खिलाड़ी को IPL 2024 के प्रदर्शन के दम पर भारतीय टीम में जगह मिली। उन्होंने इस सीज़न के IPL में 11 पारियों में 143 के स्ट्राइक रेट से 303 रन बनाए और अपनी मध्यम तेज़ गेंदबाज़ी से तीन विकेट भी लिए।
हालांकि स्पोर्ट्स हर्निया के कारण रेड्डी को इस दौरे से बाहर होना पड़ा। रेड्डी अब पूरी फ़िटनेस पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
रेड्डी कहते हैं, "प्रसिद्ध हो जाना भी एक अजीब चीज़ है। जो लोग मुझे लेकर मेरे पिता को ताना मारते थे, अब वही लोग मेरी तारीफ़ करते हैं। वही लोग मेरा इंडिया किट आने पर भावुक भी हो रहे थे।"
हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड में नौकरी करने वाले रेड्डी के पिता मुटयालु का 2016 में ट्रांसफ़र विशाखापट्टनम से जोधपुर हो गया था। उस समय रेड्डी सिर्फ़ 13 साल के थे और उनका चयन आंध्रा क्रिकेट एसोसिएशन (ACA) के जिला स्तरीय ट्रायल में हुआ था। मुटयालु ने अपने बेटे की क्रिकेट के लिए ट्रांसफ़र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी।
रेड्डी बताते हैं, "उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जो पैसा मिला, उसे विशाखापट्टनम के एक माइक्रोफाइनेंस बिज़नेस में लगा दिया। लेकिन दुर्भाग्य से उस बिज़नेस में भी नुक़सान हुआ और परिवार व पड़ोस के लोग मेरे पिता को नौकरी छोड़ने के निर्णय के लिए ताना मारने लगे। मेरे पिता चाहते थे कि ये सब बातें मुझ तक ना पहुंचे। लेकिन यह संभव नहीं था, क्योंकि जो हो रहा था, मेरे आस-पास ही हो रहा था।"
"मैंने देखा कि बेरोजगार होने के बाद लोगों का उनके प्रति व्यवहार बदल गया है। वे अब मेरे पिता का अनादर करते थे, उन्हें नज़रअंदाज़ किया जाता था। यह मेरे लिए असहनशील था। मैं इससे प्रेरित हुआ कि अगर मेरे पिता ने मेरे लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया है तो मुझे भी अपना सबकुछ झोंकना होगा। उससे पहले तक तो मैं बस मज़े के लिए क्रिकेट खेलता था," रेड्डी ने आगे बताया।
13 साल के रेड्डी को उस ट्रायल के बाद अपना घर छोड़कर 700 किलोमीटर दूर ACA के कडपा स्थित आवासीय एकेडमी में जाना पड़ा, जहां वह सुबह-शाम ट्रेनिंग करते और दोपहर में स्कूल भी जाते। वहां रेड्डी ने स्थानीय कोचों की मदद से तेज़ गेंदबाज़ी की बारीकियां सीखीं।
रेड्डी हंसते हुए बताते हैं, "जब तक मैं एकेडमी नहीं गया था, तब तक मैं सिर्फ़ बल्लेबाज़ी करता था। अगर कभी गेंदबाज़ी की नौबत भी आती तो मैं थ्रो गेंदबाज़ी करता था। लेकिन जब मैंने नियमित अभ्यास करना शुरू किया तब मुझे गेंदबाज़ी का बायोमैकेनिक्स समझ आया। तब मैं समझा कि कैसे आपके गेंदबाज़ी ऐक्शन से आपके शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर प्रभाव पड़ता है। इसके बाद मैंने अपनी गेंदबाज़ी ऐक्शन में सुधार किया।"
रेड्डी पहली बार सुर्ख़ियों में तब आएं, जब उन्होंने अंडर-16 विजय मर्चेंट ट्रॉफ़ी 2017-18 के दौरान तमिलनाडु के ख़िलाफ़ तिहरा शतक, कर्नाटका के ख़िलाफ़ 190 और नागालैंड के ख़िलाफ़ चौहरा शतक लगाकर टूर्नामेंट में रिकॉर्ड 1237 रन बना डाले।
यह बस शुरुआती सफलता ही थी, लेकिन इसके बाद रेड्डी बहक गए। वह इस बात को ख़ुद स्वीकार करते हैं। वह कहते हैं, "मुझे लगा कि मैं प्राकृतिक रूप से बहुत अच्छा खेलता हूं। सभी लोग मेरी तकनीक की प्रशंसा करते थे और मैं हवा में उड़ने लगा था। लेकिन जब मैं अंडर-19 क्रिकेट में आया, तो मुझे वैसी सफलता नहीं मिली। हालांकि तब भी मुझे लगा था कि यह बस एक ख़राब दौर है और जल्द ही बीत जाएगा। लेकिन लगातार दो सीज़न ख़राब जाने के बाद मुझे अपनी वास्तविकता का एहसास हुआ।"
2019 की शुरुआत में अपनी असफलताओं से निराश होकर रेड्डी ने फैसला किया कि वह सिर्फ़ बल्लेबाज़ के तौर पर ही आगे बढ़ेंगे। "मैंने सोचा कि गेंदबाज़ी छोड़ने से मैं सिर्फ़ अपनी बल्लेबाज़ी पर ध्यान दे पाऊंगा और उसमें ही महारत हासिल करूंगा," रेड्डी बताते हैं।
लेकिन उनके कई कोचों में से एक श्रीनिवास रेड्डी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया।
"एक दिन मैं अपने कोच के पास गया और कहा, 'मेरी बल्लेबाज़ी बहुत नीचे जा रही है। मैं पहले ओपन करता था और अब नंबर-4 या कभी-कभी उससे भी नीचे बल्लेबाज़ी के लिए आता हूं। कई बार तो मुझे सिर्फ़ गेंदबाज़ के तौर पर खिलाया जाता है, जो मुझे पसंद नहीं है। मैं सलामी बल्लेबाज़ बनना चाहता हूं और उसी पर फ़ोकस करना चाहता हूं।'," रेड्डी बताते हैं।
रेड्डी ने आगे बताया, " उन्होंने मुझे बिठाया और समझाया कि अगर मैं गेंदबाजी नहीं करता तो शायद मुझे अंडर-19 के दूसरे साल में वे मौके भी नहीं मिलते, क्योंकि मैं मुश्किल से ही बल्लेबाज़ी में रन बना पा रहा था। उन्होंने मुझे समझाया कि तेज़ गेंदबाज़ी करने वाले ऑलराउंडर बहुत कम हैं और इस समय इसे छोड़ देना बहुत मूर्खतापूर्ण होगा।"
रेड्डी को 2019-20 घरेलू सीज़न के लिए ACA के संभावित खिलाड़ियों में चुना गया। रेड्डी बताते हैं, "ACA के कैंप में मैं आंध्रा के कप्तान हनुमा विहारी से मिला। वह मुझसे प्रभावित हुए और केरला के ख़िलाफ़ जनवरी 2020 में मेरा रणजी डेब्यू हुआ। तब मुझे एज़-ग्रुप और प्रथम श्रेणी क्रिकेट का अंतर पता चला। जहां एज़-ग्रुप क्रिकेट में मुझे हर ओवर में दो ख़राब गेंदें मिल सकती हैं, प्रथम श्रेणी में ऐसा एक सत्र में सिर्फ़ दो बार होता है।"
रेड्डी को 2023 IPL के लिए सनराइज़र्स हैदराबाद (SRH) ने ख़रीदा था, लेकिन उस सीज़न उन्हें सिर्फ़ दो मैच मिले। पिछले साल जुलाई में उन्हें इंडिया इमर्जिंग एशिया कप दल मे जगह मिली, लेकिन जो तीन मैच उन्होंने खेले, उसमें उनकी बल्लेबाज़ी ही नहीं आई।
रेड्डी कहते हैं, "मैं उस समय अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहा था, लेकिन गेंदबाज़ी और बेहतर हो रही थी। SRH प्रबंधन ने मुझसे तैयार रहने को कहा था, लेकिन मैं प्लेइंग इलेवन में फ़िट नहीं हो सका। सीज़न के अंत में मुझे दो मौक़े ज़रूर मिले, लेकिन मेरी बल्लेबाज़ी नहीं आई। एशिया कप में भी ऐसा हुआ। शुरुआती तीन मैचों में जब मैं प्लेइंग इलेवन में था, तो मेरे तक बल्लेबाज़ी ही नहीं आ रही थी। चौथे मैच में जब मैं बाहर बैठा तो सबकी बल्लेबाज़ी आ गई। ये मैच लाइव टीवी पर आ रहे थे और मुझे लगा कि मैंने एक बड़ा मौक़ा गंवा दिया। तब मेरे दिमाग़ में यह भी सवाल था कि क्या SRH मुझे रिटेन करेगा?"
सितंबर 2023 में उन्हें एड़ी में चोट लगी और वह सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी से बाहर हो गए। इस चोट के कारण रेड्डी इतने तनाव में आ गए कि फ़िट होने के कई दिनों बाद भी मैदान में नहीं गए।
"फिर एक दिन मैंने ACA को फ़ोन किया और उनसे कुछ साइड-आर्मर मांगे, जो 18 यार्ड से लगभग 140 की स्पीड से थ्रो कर सकें। मैं साबित करना चाहता था कि मैं निचले क्रम का नहीं बल्कि शीर्ष क्रम का बल्लेबाज़ हूं। उन्होंने बाउंसर किए और मैंने उन पर हर तरफ़ प्रहार किया। मैं अपना एक मज़बूत चरित्र विकसित करना चाहता था। घर वापस जाने के बाद भी मैंने इस रूटीन को बरक़रार रखा। इस अभ्यास के कारण ही मैं IPL 2024 के दौरान तेज़ गेंदबाज़ों को भी अच्छे ढंग से खेल सका क्योंकि मेरे अंदर आत्मविश्वास था। इससे मेरे कप्तान पैट कमिंस भी मुझसे बहुत प्रभावित हुए," रेड्डी ने कहा।
इस साल के IPL में भी रेड्डी को पहले तीन मैचों में मौक़ा नहीं मिला। लेकिन चौथे मैच में जब वह मयंक अग्रवाल की जगह टीम में आए, तो नंबर 6 पर बल्लेबाज़ी करते हुए आठ गेंदों में 14 रन बनाए। पंजाब किंग्स के ख़िलाफ़ अगले मैच में रेड्डी ने नंबर 4 पर बल्लेबाज़ी करते हुए 37 गेंदों में 64 रन बनाए और टीम में अपनी जगह पक्की कर ली।
क्रिकेट से बाहर रेड्डी को वीडियो गेम खेलना पसंद है। पबजी का नाम सुनते ही उनकी आंखें चमक उठती है। वह कहते हैं कि गेम खेलने से उनको तनाव से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा वह ग्रेजुएशन भी कर रहे हैं।
उनका अगला लक्ष्य भारतीय टीम में जगह बनाना और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर बनना है और इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं।