जी कमालिनी की मां सरन्या को कभी भी इतनी खु़शी महसूस नहीं हुई। यहां तक कि तब भी नहीं जब उनकी बेटी का जन्म हुआ।
सरन्या ने ESPNcricinfo से कहा, "यह मत सोचो कि जब कमलिनी का जन्म हुआ तब भी हमें इतनी ही खु़शी हुई थी। कमालिनी इस लम्हे को जी रही हैं। उनके पास कई कॉल आ रही हैं जहां उनके टीम के साथी, कोच सभी उनको बधाई देरहे हैं। उसने अंडर-19 एशिया कप में रन भी बनाए और प्लेयर ऑफ़ द मैच बनी, सब कुछ सही जाने की वजह से वह बहुत खु़श है।"
कमालिनी के लिए मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स के बीच बोली में जंग हुई और कमालिनी को ख़रीद लेने के बाद मुंबई इंडियंस की कोच चॉर्लोट एडवर्ड्स और टीम मेंटॉर झूलन गोस्वामी को मुस्कुराते हुए देखा गया। कमालिनी ने गोस्वामी को बाद में बताया कि उनके परिवार के आंसू रूकते नहीं रूक रहे थे।
सरन्या, कमालिनी के पिता गुनालन और भाई डोमिनिक किशोर पूरे दिन टीवी से चिपके रहे।
सरन्या ने कहा, "उसके पिता को पूरा विश्वास था कि उसको चुन लिया जाएगा लेकिन मुझे कम उम्मीद थी। वह नीलामी से पहले कई टीमों के ट्रायल का हिस्सा थी, जिसमें मुंबई भी शामिल थी। मैंने शायद सोचा था कि वह 50 लाख में जाएगी। जब मैच चल रहा था तो उसके पिता नर्वस थे, लेकिन नीलामी के दौरान वह सुकून में थे। उससे पहले कई खिलाड़ी अनसोल्ड चले गए तो वह थोड़ा घबराए हुए थे। लेकिन मैंने नहीं सोचा था कि वह इस रकम तक जाएगी।"
MI ने जो उसके बारे में देखा और सुना उससे वे नीलामी में कमालिनी को ख़रीदने के लिए अपना पर्स बचाए हुए थे।
एडवर्ड्स ने नीलामी के बाद कहा, "यह एक ऐसा नाम है जो पिछले दो या तीन महीनों में हमारी सभी बैठकों में सामने आ रहा था। वह युवा है और उसका खेल बेहतरीन है। हमें यास्तिका भाटिया के बैकअप की ज़रूरत थी, लेकिन साथ ही हम मध्य क्रम में बाएं हाथ के विकल्प को भी चाहते थे। वह इसमें फ़िट बैठती थी। वह मुखर है जो मुझे पसंद आया। हम जानते थे कि उसमें दूसरे भी दिलचस्पी दिखाएंगे। तो हम जानते थे कि उसको लेने के लिए हमारे पास पर्स होना चाहिए।"
तमिलनाडु के मदुरई में बड़ी हुई कमालिनी को इन लाइन स्कैटिंग पसंद थी। वह इसमें बहुत बेहतर थी जिसकी गवाह उनके घर में रखे शोकेस में उसके मेडल और ट्रॉफ़ी थी। लेकिन वह अपने भाई की तरह क्रिकेट खेलना चाहती थी। 11 साल की उम्र में उन्होंने खेलना शुरू किया और जल्द ही यह खेल उनका जुनून बन गया।
उनके पिता उनके पहले कोच थे और कमालिनी और उनका भाई हर रोज अभ्यास करते। वह दाएं हाथ की बल्लेबाज़ थी लेकिन उनके पिता ने उनको बाएं हाथ का बल्लेबाज़ बनाया, उनको लगता था कि ऐसा करने से उसको फ़ायदा मिलेगा।
परिवार अपने बच्चों की बेहतरी के लिए चेन्नई शिफ़्ट हो गया। उनके पिता ने अपना व्यवसाय तक छोड़ दिया। कमालिनी और उनके भाई ने 2022 में सुपर किंग्स एकेडमी ज्वाइन की और कोच लुईस मैरिआनो के निर्देशन में अभ्यास शुरू किया।
एक हार्ड हिटिंग ओपनर जो कीपिंग करने के साथ स्पिन भी करती हैं। लेकिन मैरिआनो चाहते थे कि वह अपना फ़ोकस विकेटकीपिंग पर ही रखे।
मैरिआनो ने कहा, "आप एक क्रिकेटर में जो देखते हैं उसके अंदर सभी है। चाहे डिफ़ेंस हो, विकेट के चारो ओर शॉट खेलना हो, फ़्रंटफ़ुट से या बैकफु़ट से। उनके अंदर मैदान को पार करने की भी क़ाबिलियत है। वह भले ही 16 की है लेकिन वह ग्राउंड में कहीं भी खेल सकती है क्योंकि उसकी तक़नीक बहुत अच्छी है, फिर चाहे वह जो भी शॉट खेल रही हो। तक़नीक उसके खेल का ध्यान रखती है। वह बहुत कम उम्र में ही महानता की ओर अग्रसर हो गई थीं।"
मैरिआनो ने उनके काम के तरीक़े की भी सराहना की। कमालिनी के कोचों के लिए भी उन्हें नेट्स से बाहर भेजना मुश्किल हो जाता था। वह अकादमी में रोज कम से कम पांच घंटे बिताती थी।
कमालिनी के करियर को उड़ान अकादमी ज्वाइन करने के बाद मिली। 2023 में उन्हें तमिलनाडु क्रिकेट संघ द्वारा आयोजित फ्रेयर T20 कप में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का ख़िताब मिला। वह BCCI के अंडर-15 टूर्नामेंट में तमिलनाडु की कप्तान बनी और अलुर में लगे ख़ास अंडर-15 कैंप में उन्हें जगह मिली।
पिछले ही साल उन्होंने अंडर-19 में शुरुआत की। कमालिनी ने यहां पर भी बेहतरीन फ़ॉर्म जारी रखी। अक्तूबर में तमिलनाडु को अंडर-19 टूर्नामेंट जिताने में उन्होंने बड़ी मदद की जहां पर उन्होंने आठ मैचों में 3111 रन बनाए। इसके बाद अंडर-19 त्रिकोणीय सीरीज़ में उन्होंने फ़ाइनल में इंडिया बी के लिए खेलते हुए साउथ अफ़्रीका ए के ख़िलाफ़ 79 रन बनाए। इसके बाद उन्हें भारत की अंडर-19 एशिया कप टीम में जगह मिली।
इन टूर्नामेंट के पहले पिछले साल कमालिनी का परिवार एक मुश्किल परिस्थिति में फंस गया। उनके पिता को बड़ा हार्ट अटैक आया, किडनी फेल हुई और ओपन हार्ट सर्जरी से गुजरना पड़ा। जब उन्होंने गहन चिकित्सा में दिन बिताए, तो कमालिनी और उसका भाई अपने विस्तारित परिवार की देखभाल में थे क्योंकि उनकी मां उनके पिता की देखभाल करती थीं।
इस उथल-पुथल भरे समय में कमालिनी को सीनियर महिला वनडे टूर्नामेंट खेलना था।
सरन्या ने कहा, "वह दिमाग़ी तौर पर बहुत मज़बूत है। चाहे फिर उसके पिता की स्थिति क्यों ना ख़राब हो। वह टूर्नामेंट से वापस नहीं लौटी। उसकी ऐसी ही मानसिकता है। वह तब से ऐसी ही है जब वह छोटी थी। वह रोते हुए टूर्नामेंट में चली गई, मैं इसे कभी नहीं भूलूंगी। सभी ने उसके पिता से कहा कि वह उस दिन को देखने के लिए जीवित रहेंगे जब वह भारत की जर्सी पहनेगी और मुझे भी इस पर विश्वास था।"
कमालिनी ने उस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया। शतक लगाया और दूसरी सबसे अधिक रन बनाने वाली बल्लेबाज़ बनी। मैरिआनो ने कहा कि कमालिनी की बड़ी ताक़त उनकी निडरता और लचीलापन है।
उन्होंने कहा, "वह तब भी रोज अभ्यास के लिए आती थी जब उनके पिता गंभीर रूप से बीमार थे। उन्होंने तब TNCA का कैंप तक ज्वाइन किया। उनके माता-पिता ने यह सुनिश्चित किया कि उस परिस्थिति की वजह से उसका क्रिकेट नहीं रूके। उनके कौशल के साथ मैदान के अंदर और बाहर उनकी निडरता सबसे बड़ी ताक़त है। वह कभी बोलने से नहीं डरती है।"
कमालिनी के पिता ने सुधार किया लेकिन वह अब उनके साथ ट्रेनिंग पर नहीं आते हैं। कमालिनी के उदय ने उनके पिता को भी हिम्मत दी। उनके परिवार का सपना है कि वे उसको लंबे समय तक भारतीय टीम में खेलता देखें।
सरन्या ने कहा, "हम उसको लंबे समय तक जर्सी पहने देखना चाहते हैं और वह भारत के लिए लंबे समय तक खेले।"
श्रुति रवींद्रनाथ ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं।