आईपीएल में किसी खिलाड़ी के ट्रेड होने का क्या अर्थ है और यह कब होता है?
जब किसी खिलाड़ी को नीलामी में ख़रीदने वाला फ़्रैंचाइज़ी नकद या किसी अन्य खिलाड़ी के बदले दूसरे फ़्रैंचाइज़ी की तरफ़ जाने देता है तो उसे ट्रेड कहा जाता है। आईपीएल नियमों के मुताबिक खिलाड़ियों का ट्रेड पिछला आईपीएल सीज़न ख़त्म होने के एक सप्ताह के बाद और दूसरे सीज़न के लिए नीलामी शुरू होने से एक सप्ताह पहले कभी भी हो सकता है। नीलामी के बाद भी अगला सीज़न शुरू होने से एक महीना पहले तक 'ट्रेड विंडो' फिर से खुल जाता है।
इस साल 19 दिसंबर को नीलामी होना है। इसका मतलब है कि 12 दिसंबर तक ट्रेडिंग हो सकता है और नीलामी ख़त्म होने के तुरंत बाद 20 दिसंबर से फिर से ट्रेडिंग किया जा सकता है। यह ट्रेडिंग विंडो अगला सीज़न शुरू होने के एक महीना पहले तक खुला रहेगा।
क्या यह आईपीएल में हमेशा से था?
यह 2009 से शुरू हुआ था, जब आशीष नेहरा के बदले मुंबई इंडियंस ने दिल्ली डेयरडेविल्स के शिखर धवन को अपनी टीम में शामिल किया था।
नकद या एकतरफ़ा ट्रेड क्या है?
इसे हम
हार्दिक पंड्या के मामले से समझ सकते हैं। आईपीएल 2022 नीलामी से पहले गुजरात टाइटंस ने हार्दिक को जितने रूपये में अपनी टीम में शामिल किया था, उतना ही पर्स अब मुंबई इंडियंस, गुजरात को नकद देगा। इस एकतरफ़ा ट्रेड में मुंबई को अपनी टीम के किसी खिलाड़ी को गुजरात की टीम को नहीं देना होगा। आईपीएल में इससे पहले भी नकद ट्रेडिंग हो चुका है। आईपीएल 2023 से पहले नवंबर 2022 में कोलकाता नाइट राइडर्स ने गुजरात से लॉकी फ़र्ग्युसन और रहमानउल्लाह गुरबाज़ को नकद ट्रेड किया था।
दोतरफ़ा ट्रेड क्या है?
जब दो फ़्रैंचाइज़ी आपस में खिलाड़ियों को बदलते हैं तो उसे दोतरफ़ा ट्रेड कहा जाता है। इसमें दोनों खिलाड़ियों की नीलामी क़ीमत के अंतर को एक फ़्रैचाइज़ी दूसरे फ़्रैंचाइज़ी को देता है।
क्या खिलाड़ी ट्रेड में हस्तक्षेप कर सकता है?
हां, किसी भी ट्रेड में खिलाड़ी की मंज़ूरी बहुत ज़रूरी है। ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो को मिली जानकारी के अनुसार, मुंबई ने हार्दिक को ट्रेड करने के लिए आईपीएल 2023 के तुरंत बाद से ही गुजरात से बातचीत शुरू कर दी थी और वह जानना चाहते थे कि क्या गुजरात नकद ट्रेड करेगा या फिर किसी खिलाड़ी के बदले हार्दिक को देगा। गुजरात के क्रिकेट निदेशक विक्रम सोलंकी ने बताया कि हार्दिक ने ख़ुद ही मुंबई इंडियंस में वापसी की इच्छा व्यक्त की थी और अब 15 करोड़ रूपये में यह ट्रेड हुआ है।
अगर कोई खिलाड़ी चाहता है कि उसे कोई दूसरी टीम ट्रेड करे, लेकिन उनकी फ़्रैंचाइज़ी उन्हें जाने नही दे तो?
यह अंतिम रूप से फ़्रैंचाइज़ी पर ही निर्भर करता है कि वह अपने खिलाड़ी को ट्रेड करे या नहीं।
ट्रांसफ़र फ़ी क्या है? इसे कौन डिसाइड करता है और इसकी लिमिट क्या है?
खिलाड़ी के नीलामी दाम के अलावा जब कोई फ़्रैंचाइज़ी, दूसरे फ़्रैंचाइज़ी को जो अतिरिक्त मूल्य देता है, उसे ट्रांसफ़र फ़ी कहा जाता है। हार्दिक के मामले में मुंबई ने गुजरात को एक गुप्त ट्रांसफ़र फ़ी दिया है और इससे किसी फ़्रैंचाइज़ी का नीलामी पर्स नहीं प्रभावित होगा। ट्रांसफ़र फ़ी आपसी समझौते के आधार पर निर्धारित होता है और इसकी कोई लिमिट भी नहीं है। हालांकि यह गुप्त ट्रांसफ़र फ़ी दोनों टीमों के अलावा आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को पता होता है।
क्या खिलाड़ी को भी ट्रांसफ़र फ़ी का कोई हिस्सा मिलता है?
हां, ट्रांसफ़र फ़ी का 50 फ़ीसदी हिस्सा खिलाड़ी को मिलता है। हालांकि यह काफ़ी कुछ बेचने वाली फ़्रैंचाइज़ी और खिलाड़ी के बीच हुए समझौते पर भी निर्भर है। ऐसी कोई गॉरंटी नहीं है कि खिलाड़ी को ट्रांसफ़र फ़ी का कट मिले ही।
क्या ट्रांसफ़र फ़ी से नीलामी पर्स पर भी प्रभाव पड़ता है?
नहीं, ट्रांसफर फ़ी से नीलामी पर्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। हार्दिक के मामले में मुंबई के पर्स से 15 करोड़ रूपये कम होगा और यह गुजरात के पर्स में जुड़ेगा।
नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं