अपना स्पेल समाप्त कर
आकाश दीप बाउंड्री पर खड़े ही हुए थे कि तभी उन्हें बंगाल के ड्रेसिंग रूम से तालियों की आवाज़ आई। सभी उन्हें बधाई दे रहे थे।
दरअसल इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अंतिम तीन टेस्ट मैचों के लिए पहली बार आकाश दीप को भारतीय टीम का बुलावा आया है। यह बुलावा बंगाल में रेड बॉल क्रिकेट में उनके प्रदर्शन और इंडिया ए के लिए उनके पिछले सीज़न के प्रदर्शन का ही परिणाम है।
केरल में अपने होटल रूम में मौजूद आकाश दीप ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, "मुझे यह तो भरोसा था कि अगर मैं प्रदर्शन करता रहूंगा तो जल्द ही मुझे भारतीय टीम से बुलावा आएगा लेकिन मैंने यह उम्मीद नहीं की थी कि मुझे तीसरे मैच से पहले ही बुलावा आ जाएगा।
27 वर्षीय आकाश दीप की पिछले सात वर्षों की यात्रा की शुरुआत दुर्गापुर में एक स्टार टेनिस बॉल क्रिकेटर के रूप में हुई थी। इसके बाद उन्होंने कोलकाता में डिविज़न क्रिकेट खेली और फिर अंडर 23 खेलने के बाद प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी उन्होंने अपने हाथ आज़माए। लेकिन सासाराम (बिहार) में क्रिकेट खेलना किसी गुनाह से कम नहीं था। अगर उस समय एक सरकारी स्कूल का 15 वर्षीय बेटा (आकाशदीप) अगर यह कहता कि उसे क्रिकेट में अपना करियर बनाना है तो उसे हंसी का पात्र ही बनना पड़ता।
आकाश दीप ने हंसते हुए कहा, "बिहार में क्रिकेट में करियर बनाने का मंच नहीं था(बिहार उस समय बीसीसीआई द्वारा निलंबित था)। और ख़ासतौर पर सासाराम में तो यह गुनाह था। बहुत माता-पिता ऐसे भी थे जो अपने बच्चों से कहते थे कि आकाश दे दूर रहो, वो पढ़ाई लिखाई नहीं करता है और उसकी संगत में बिगड़ जाओगे। लेकिन मैं उन्हें दोष नहीं देता। मैं जिस जगह से आता हूं वहां क्रिकेट खेलकर भला हासिल भी क्या हो सकता था? वहां पर क्रिकेट खेलकर समय तो व्यर्थ होता ही और इसके साथ ही आप शिक्षा में भी पिछड़ सकते थे।"
अन्य अभिभावकों की तरह आकाश दीप के माता पिता भी चिंतित थे। वे आकाश को सरकारी भर्तियों के लिए तैयारी करने की सलाह देते।
आकाश दीप ने कहा, "मेरे पिता कहा करते थे कि बिहार पुलिस की कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षाओं में बैठो या कम से कम राज्य सरकार की ग्रुप डी भर्तियों की तैयारी करो, इससे कम से कम भविष्य तो सुरक्षित रहेगा। मेरे पिता इन परीक्षाओं के फ़ॉर्म भरते और मैं परीक्षा में पेपर ब्लैंक छोड़ कर ही वापस आ जाया करता था।"
लेकिन अचानक समय ने बहुत बुरी तरह से करवट ली। छह महीने के भीतर ही आकाश दीप ने अपने पिता और अपने बड़े भाई को खो दिया था। आकाश दीप के बड़े भाई अपने पीछे दो बेटियों को भी छोड़ गए थे जो अभी स्कूल में ही पढ़ा करती थीं।
"छह महीने में पापा और भैया का देहांत हो गया था। मेरे लिए खोने के लिए कुछ भी नहीं था। लेकिन मुझे घर की ज़िम्मेदारी भी उठानी थी।"
एक दोस्त की मदद से आकाश दीप को पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक क्लब के लिए टेनिस बॉल क्रिकेट खेलने का अवसर मिल गया।
"शुरुआत में मैं अपने क्लब के लिए लेदर बॉल क्रिकेट खेलता लेकिन तब पैसे की काफ़ी किल्लत थी। इसलिए मैं महीने में तीन चार दिन ज़िले भर में टेनिस बॉल क्रिकेट खेला करता और इसके बदले में प्रति दिन छह हज़ार रुपए की कमाई हो जाती थी। तो इस हिसाब से मैं महीने में 20 हज़ार कमा लिया करता था। इससे मैं महीने का अपना ख़र्चा निकाल लिया करता था।"
आकाश दीप ने कहा, "मेरे पास कभी कोई एक कोच नहीं था। सुराशीष लाहिरी (बंगाल के वर्तमान सहायक कोच), अरुण लाल सर, रानो सर (रानादेब बोस) इन सभी ने मेरी मदद की है और जो भी मैं इनसे सीख सकता था, उसे सीखने की कोशिश की है।"
प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 29 मैच में आकाश दीप के नाम 103 विकेट हैं। इसके अलावा इंग्लैंड लायंस के ख़िलाफ़ खेले दो टेस्ट मैचों में उन्होंने 11 विकेट भी लिए, जिसमें दो बार उन्होंने चार विकेट लिए।
आकाश दीप ने कहा, "इनस्विंग मेरी स्टॉक डिलिवरी है, लेकिन इस स्तर पर आपके पास आउट स्विंग और रिवर्स स्विंग भी होनी चाहिए। ज़्यादा ज़रूरी है कि आपके पास स्विंग पर नियंत्रण होना चाहिए। मैं साउथ अफ़्रीका में भारतीय दल (वनडे) में था और मैंने वहां महसूस किया कि इस स्तर पर आपको मानसिक तौर पर मज़बूत होना चाहिए ताकि आप दबाव की स्थिति में भी प्रदर्शन कर पाएं।"
यह कई सालों में पहला अवसर है जब बंगाल के लिए खेलने वाले दो तेज़ गेंदबाज़ एक साथ भारतीय टीम का हिस्सा हैं।
आकाश दीप ने कहा, "यह काफ़ी गर्व की बात होगी कि मैं और मुकेश (कुमार) भाई दोनों ही टेस्ट टीम के ड्रेसिंग रूम को साझा कर रहे होंगे। बंगाल हमारा राज्य है और इसने हमें सबकुछ दिया है। राष्ट्रीय टीम से बुलावा मेरे लिए बंगाल के प्रति अपना आभार व्यक्त करने का अवसर है।"