अगस्त 2007 की बात है। इंडिया ए केन्या में सीरीज़ खेल रही थी। भारत के लिए डेब्यू कर चुके रोहित शर्मा भी दौरे पर थे। जैसे ही
तन्मय मिश्रा स्ट्राइक लेते हैं, रोहित ज़ुबानी हमला बोलना शुरू कर देते हैं।
तन्मय उस घटना को हंसकर याद करते हुए कहते हैं, "थर्ड स्लिप में खड़े रोहित मुझे लगातार भला बुरा कह रहे थे। लेकिन उसी दिन शाम में वह मेरे पास यह पूछने आए कि उन्हें घूमने के लिए कहां जाना चाहिए।"
"मैंने उनसे कहा। 'मैच के दौरान तो तुम मुझे इतना भला बुरा कह रहे थे और अब तुम चाहते हो कि मैं तुम्हें होस्ट करूं?' इस पर उन्होंने एक मुंबईकर जैसा ही जवाब देते हुए कहा, 'अरे यार, मैच है वो करना पड़ता है। मैं भी यहां जीतने आया हूं और तुम भी जीतने के लिए ही खेल रहे हो।"
"हम बाहर गए। पार्थिव पटेल, प्रज्ञान ओझा और इंडिया ए के फ़ीज़ियो वैभव डागा (जो कि वर्तमान में लखनऊ सुपर जायंट्स से जुड़े हुए हैं) के साथ काफ़ी अच्छा समय व्यतीत किया।"
समय के साथ उनकी दोस्ती तो आगे बढ़ गई लेकिन दोनों का करियर अलग अलग राह पर चल पड़ा। रोहित एक तरफ़ जहां हर प्रारूप में बेहतर बनते गए, तो वहीं तन्मय को अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली।
मुंबई में जन्मे तन्मय सिर्फ़ आठ वर्ष के थे जब उनका परिवार नैरोबी चला गया था। क्रिकेट केन्या का प्राथमिक खेल नहीं है, लेकिन तन्मय के लिए क्रिकेट ज़्यादा दूर नहीं था। तन्मय ने टेनिस बॉल क्रिकेट से शुरुआत की।
हालांकि केन्या में क्लब क्रिकेट अधिक प्रासंगिक था। ये क्लब प्रवासी भारतीयों द्वारा बनाए गए थे, जिनके पूर्वज भारत से केन्या में विस्थापित हो गए थे।
तन्मय कहते हैं, "केन्या में क्लब क्रिकेट काफ़ी मज़बूत है। आपको वहां पर 20 हज़ार लोग एकसाथ क्लब क्रिकेट देखते मिल जाएंगे। सिख, कच्छी और स्वामीनारायण समुदायों का क्लब क्रिकेट को खड़ा करने में अहम योगदान है और यह क्लब क्रिकेट ही था, जिसके चलते मुझे अपने खेल को संवारने में मदद मिली।"
तन्मय 17 वर्ष की उम्र का होने से पहले प्रथम श्रेणी में डेब्यू कर चुके थे। कुछ ही महीनों बाद उन्होंने ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया। हालांकि अपनी पहली पारी में वह सिर्फ़ पांच रन बना पाए, लेकिन अगले मैच में उन्होंने 46 रन की पारी खेली।
तन्मय ने जल्द ही केन्या के मध्य क्रम में ख़ुद को स्थापित कर लिया। उन्होंने वेस्टइंडीज़ में हुए 2007 का वनडे विश्व कप और उसी साल साउथ अफ़्रीका में हुआ टी20 विश्व कप भी खेला, लेकिन इसके बाद वह मुंबई में बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की उपाधि लेने पहुंच गए। 2011 के वनडे विश्व कप के लिए केन्या की टीम क्वालीफ़ाई कर गई और तन्मय एक बार फिर अपनी क़िस्मत आज़माने पहुंचे।
हालांकि तीन साल के ब्रेक के बाद उनका स्वागत उनकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं किया गया। केन्या क्रिकेट जगत ने उनकी क्रिकेट से दूरी को सकारात्मक तौर पर नहीं लिया गया था। हालांकि उन्होंने लीग क्रिकेट खेली और रन बनाए, जिसके बाद उन्हें विश्व कप दल में चुन लिया गया।
केन्या के लिए वह विश्व कप अच्छा नहीं गया, लेकिन तन्मय अपनी टीम की ओर सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों की सूची में दूसरे नंबर पर थे। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेली गई उनकी 72 रनों की पारी ने सभी का ध्यान उनकी तरफ़ खींचा था।
2012 में तन्मय को आईपीएल में बुलावा आया और डेक्कन चार्जर्स ने उन्हें अपने साथ इंडियन पासपोर्ट होने के चलते लोकल प्लेयर के तौर पर जोड़ा था। हालांकि उस सीज़न में तन्मय सिर्फ़ एक मैच ही खेल पाए और उन्हें बल्लेबाज़ी करने का भी मौक़ा नहीं मिला। लेकिन यह उन्हें भारत में अपने अवसर तलाशने करने के लिए प्रेरित करने के लिए काफ़ी था।
तन्मय ने अंतिम बार 2013 में केन्या के लिए खेला था। इसके अगले छह वर्षों तक वह लगातार मुंबई मी डीवाई टी20 कप, टाइम्स शील्ड जैसे टूर्नामेंट खेलते रहे, मुंबई की संभावित सूची में नामित किए गए लेकिन कभी भी मुंबई की सीनियर टीम की तरफ़ से उन्हें बुलावा नहीं आया। 2014 में उन्हें रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने 10 लाख़ रुपए में अपने साथ जोड़ा था। हालांकि उन्हें एक भी मैच खेलने के लिए नहीं मिला।
आरसीबी के साथ जुड़ने के दौरान तन्मय के पास एक दूसरे राज्य से खेलने का अवसर भी आया था। लेकिन उन्होंने यह सोचकर इस मौक़े को अपने हाथ से जाने दिया कि आईपीएल में जुड़ने के चलते उन्हें मुंबई के लिए खेलने का मौक़ा तो मिल ही जाएगा। तन्मय को अपने इस फ़ैसले पर आज भी पछतावा है।
तन्मय 2017 में क्लब क्रिकेट खेलने के लिए त्रिपुरा चले गए। उन्हें 2019 में त्रिपुरा की टीम में गेस्ट प्लेयर के तौर पर जोड़ा गया। हालांकि कोरोना महामारी के आगमन ने तन्मय की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। बजट में कमी के चलते तन्मय को त्रिपुरा से बुलावा नहीं आया और अपनी बारी के लिए उन्हें चार साल का इंतज़ार और करना पड़ा।
2023 में तन्मय को मेघालय से काफ़ी उम्मीदें हैं। भले ही वह उम्र के कई पड़ाव पार कर चुके हैं लेकिन 2023 में भी उनके अंदर रन बनाने और जीतने की भूख वैसी ही है जैसी 2003 में हुआ करती थी।
आशीष पंत ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं।