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आशुतोष शर्मा: 10 साल की उम्र में छोड़ा घर, मुश्किलें झेलीं लेकिन नहीं छोड़ा हौसला

पंजाब किंग्‍स से दिल्‍ली कैपिटल्‍स पहुंचे युवा विस्‍फ़ोटक बल्‍लेबाज़ के संघर्ष की कहानी

Ashutosh Sharma brings out his celebration after his heroics, Delhi Capitals vs Lucknow Super Giants, IPL 2025, Visakhapatnam, March 24, 2025

Ashutosh Sharma ने आखिरकार करके दिखाया जो वह PBKS में करने के नज़दीक पहुंचे थे  •  Associated Press

विस्‍फ़ोटक बल्‍लेबाज़ आशुतोष शर्मा के करियर की गहराईयों में जाएंगे तो ऐसा लगेगा कि संजू फ‍िल्‍म का कर हर मैदान फ़तह उनकी ज़‍िंंदगी पर सटीक बैठता है। बचपन से लेकर और रेलवे में जॉब मिलने से पहले आशुतोष का जीवन कठिनाईयों भरा रहा है, लेकिन उन अंधरो को पार करते हुए अपनी मेहनत की रोशनी से उन्‍होंने हर मैदान फ़तह कर लिया।
जो आशुतोष पिछले साल पंजाब किंग्‍स में करते-करते रह गए वह उन्‍होंने इस बार दिल्‍ली कैपिटल्‍स के लिए खेलते हुए पहले मैच में ही करके दिखा दिया। 31 गेंद में 66 रनों की नाबाद पारी में उन्‍होंने अकेले दम पर ही DC को विशाखापट्टनम के मैदान पर लखनऊ सुपर जायंट्स के ख़‍िलाफ़ रोमांचक जीत दिला दी। मध्‍य प्रदेश के शहर रतलाम से वह मात्र आठ वर्ष की उम्र में इंदौर आ गए थे। यह एक कठिन समय था। माता-पिता उधर छोड़कर चले गए। कई बार आशुतोष के पास पैसे नहीं होते थे तो उन्‍हें अंपायरिंग करके पैसे कमाने पड़ते थे, जिससे कम से कम से कम एक समय के खाने का जुगाड़ हो सके। 10 साल की उम्र से ही वह खु़द से खाना बनाते थे, खु़द कपड़े धोते थे, लेकिन किस्‍मत तब पल्‍टी जब MPCA एकेडमी में पूर्व भारतीय क्रिकेटर अमय खुरसिया का साथ मिला।
पिछले साल ESPNcricinfo से बातचीत में आशुतोष ने कहा था, "एक छोटी सी उम्र में ही मुझे रतलाम से इंदौर आना पड़ा था। घर वालों को उम्‍मीदें थी तो मैंने हर चुनौती का सामना किया। कई बार पैसे नहीं होते थे तो अंपायरिंग करनी पड़ती थी जिससे एक समय का खाना तो खा सकूं। फ‍िर मुझे सही समय पर अमय सर मिले जिन्‍होंने मेरे करियर में मेरी बहुत मदद की।"
उन्‍होंने आगे कहा, "मेरी ज़िंदगी में अमय सर का बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। उनसे मैंने अनुशासन सीखा है। मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के बारे में भी मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। वह बल्लेबाज़ी कोचिंग के मास्टर हैं। IPL से पहले मैं उन्हीं के साथ अपनी बल्लेबाज़ी पर काम कर रहा था। मैं हर मैच से पहले उनसे बात करके जाता हूं। उस दिन भी मैं उनसे बात करके गया था तो उन्होंने मुझसे बस यही कहा था कि मुझे आप पर भरोसा है। अगर आपको मौक़ा मिलता है तो आप अच्छा करोगे।"
अमय ने ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो से बातचीत में कहा, "वह 2011 में 12 साल की उम्र में MPCA एकेडमी आए थे। आशुतोष के अंदर जो एक ख़ास बात लगी वह यह था कि उसमें अलग करने की चाहत थी और वह करता भी था। उसे चुनौ‍तियां पसंद हैं, शायद यही माइंडसेट उनके लिए आज फ़ायदेमंद साबित हो रहा है।"
लेकिन आशुतोष का संघर्ष अभी ख़त्‍म नहीं हुआ था यह तो बस शुरुआत थी। 2018 में आशुतोष ने सैयद मुश्‍ताक़ अली ट्रॉफ़ी में मध्‍य प्रदेश के लिए डेब्‍यू किया। अगले सीज़न एमपी के लिए अपने आख़‍िरी टी20 मैच में उन्‍होंने 84 रन बनाए। 2020 में अंडर-23 में दो शतक लगाए। सैयद मुश्‍ताक़ अली ट्रॉफ़ी में छह मैचों में तीन अर्धशतक थे। लेकिन इसके बाद उन्‍हें सेटअप से बाहर किया जाने लगा और उन्‍होंने रेलवेज में जाने की सोची। रेलवेज में कोचों और चयनकर्ताओं ने आशुतोष पर अपना पूरा भरोसा जताया। ने उनकी काफ़ी मदद की।
आशुतोष ने कहा, "कोरोना के कारण मैं बस टीम होटल में रहता था और बस जिम जाता था। 1-2 महीने तो मुझे ग्राउंड देखे हो गए थे और मैं हिम्मत हार गया था। यह सब एक पेशेवर कोच के कारण हो रहा था, जो उसी साल टीम से जुड़े थे। मैं उस समय बहुत परेशान हो गया था। मुझे उस समय समझ नहीं आ रहा था कि मैंने क्या ग़लती की है, एकदम से क्या हो गया? कई लोगों ने मुझसे कहा भी कि आपने क्या ग़लती की है? मुझे कुछ बताया भी नहीं गया कि आपने क्या ग़लती की है, बस सेटअप से बाहर कर दिया गया।
उन्‍होंने आगे कहा, "लेकिन मैं प्रैक्टिस नहीं छोड़ता था। मेरे साथ कुछ भी था लेकिन मैं हर रोज कम से कम दो-तीन घंटे अभ्यास करता था कि मुझे ग्राउंड जाना है और प्रैक्टिस करनी है। लेकिन ये है कि मैं उस समय बहुत ज़्यादा डिप्रेशन में था। हम लोग कर्नल सीके नायुडू में उस साल फ़ाइनल खेले थे, जिससे मुझे बहुत सपोर्ट मिला और रेलवेज में जॉब मिली। बाद में जब मैंने टीम बदली तो रेलवे की तरफ़ से मुझे बहुत ज़्यादा सपोर्ट मिला। उन्होंने पहले मुझे अंडर-25 खिलाया, फिर पिछले साल उन्होंने मुझे टी20 में मौक़ा दिया, जहां मैंने प्रदर्शन किया। वह दो-तीन साल मेरी ज़‍िंदगी के बहुत ख़राब साल थे। मैं रात-रात भर सोता नहीं था और सोचता था कि मैंने क्या ग़लत किया? उससे निकलना बहुत कठिन था, लेकिन मुझे ख़ुद पर विश्वास था कि मैं करूंगा और अब कर रहा हूं।"
रेलवेज में गेंदबाज़ी कोच यजुवेंद्र कृष्‍णात्रेय ने कहा, "अंडर-23 में वह बतौर बल्‍लेबाज़ी ऑलराउंडर आए, सैयद मुश्‍ताक अली ट्रॉफ़ी एमपी से खेल चुका था, लेकिन यहां पर उन्‍होंने फ़्रेशर के तौर पर शुरुआत की। कोविड के कारण उसका दो साल का गैप हो गया था। अंडर-23 के पहले मैच में वह नहीं खेला लेकिन दूसरे मैच में वह सात नंबर पर बल्‍लेबाज़ी करने गया। बल्‍लेबाज़ी से पहले वह मुझसे कहता कि इन गेंदबाज़ों पर तो छक्‍के मारने चाहिए और ये डिफ़ेंस कर रहे हैं। जब उसका नंबर आया और वह बल्‍लेबाज़ी करने गया तो उसने पहली ही गेंद पर छक्‍का मारा।"
अब आशुतोष के लिए ज़‍िंंदगी करवट लेने लगी थी। जो वह चाह रहे थे वह हो रहा था और जब वह रेलवेज के लिए अपना पहला टी20 खेले तो उन्‍होंने 11 गेंद पर अर्धशतक लगाते हुए ना सिर्फ़ सुर्खियां बटोरी बल्कि रिकॉर्डबुक में भी अपना नाम दर्ज करा लिया क्‍योंकि वह युवराज सिंह की 12 गेंद में अर्धशतक के रिकॉर्ड को तोड़ चुके थे। यही नहीं रणजी ट्रॉफ़ी में भी अपने डेब्‍यू मैच में उन्‍होंने गुजरात के ख़‍िलाफ़ शतक ठोक दिया।
यजुवेंद्र कहते हैं, "सही मायनों में हमें टीम में एक फ़ीनिशर की ज़रूरत थी और आशुतोष में सभी क्‍वालिटी थीं। हमने उन्‍हें टी20 खिलाया और पहले ही मैच में अरुणाचल प्रदेश के ख़‍िलाफ़ 11 गेंद में अर्धशतक लगा दिया। रणजी ट्रॉफ़ी डेब्‍यू में शतक लगाया, जहां दूसरी गेंद पर ही उसने छक्‍का जड़ा। उसने हमें दो टी20 और दो रणजी मैच अपने दम पर जितवाए।"
जो आपने आशुतोष को गुजरात टाइटंस और सनराइज़र्स हैदराबाद के ख़‍िलाफ़ करते देखा वह यह काम बचपन से करते आ रहे हैं। वह मैच की इन्‍हीं परिस्थितियों में बल्‍लेबाज़ी का अभ्‍यास करते आए हैं जहां उनकी पॉवर हिटिंग बहुत अच्‍छी हो गई है और उनकी इसी क्षमता को पंजाब किंग्‍स के डायरेक्‍टर संजय बांगड़ ने बहुत जल्‍दी पहचान लिया था।
आशुतोष ने कहा, "जैसा मैं घरेलू मैचों में खेलता आ रहा हूं, वैसी ही परिस्थितियां यहां मेरे लिए थीं। मैंने अपनी घरेलू टीमों के लिए ऐसा प्रदर्शन किया है तो मुझ पर इतना दबाव नहीं रहता। मैं बस यही सोचता हूं कि मैं यह कर सकता हूं। मुझे ख़ुद पर विश्वास होता है और मुझे पता है कि ये हो जाएगा। प्री सीज़न कैंप में मैंने डायरेक्‍टर संजय बांगड़ सर और कप्तान शिखर धवन के साथ बहुत काम किया है। वे लोग हमें हर बार ऐसे ही मैच परिस्थिति देते हैं कि मुझे ऐसा करना है। तो इसके लिए मैं तैयार था, मानसिक रूप से भी कि कभी भी मुझे मौक़ा मिलेगा तो मैं जाकर अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा। संजय सर ने मुझसे कहा था कि बहुत कम गेंदों के लिए और अंतिम चार ओवरों में ही तुम्हें मौक़ा मिलेगा, तो तुम तैयार रहना।"
यजुवेंद्र ने कहा, "जब वह पंजाब के लिए ट्रायल देने गया था तो यह वनडे ट्रायल होता है। अक्‍सर टीम ट्रायल लेने के बाद खिलाड़‍ियों को रिलीज़ कर देती हैं, लेकिन पंजाब ने उन्‍हें एक दिन और रूकने के लिए कहा। उन लोगों ने उसे काफ़ी पसंद किया। मुझे उम्‍मीद थी कि यह अच्‍छे पैसों में जाएगा लेकिन 20 लाख में ही गया। मैंने बस यही कहा कि तुझे कम से कम चार मैच जिताने हैं तो फ‍िर सब सही हो जाएगा। गुजरात से मैच ख़त्‍म होने के बाद कॉल आया लेकिन मैं उठा नहीं पाया। सुबह कॉल आया तो मैंने यही कहा चार मैच का लक्ष्‍य लेकर चल रहे हैं, तो अभी तीन मैच और बचे हैं।"
जो शॉट्स आशुतोष ने लगाए उसमें कौशल के साथ-साथ माइंडसेट का भी अहम रोल होता है और यही माइंडसेट उन्‍हें इतनी आसानी से ये शॉट खेलने दे रहा है।
आशुतोष ने कहा, "सीज़न से पहले मुझे संजय सर ने बोला था कि मैं स्लॉगर नहीं हूं। तुम कुछ बेहतरीन क्रिकेटिंग शॉट खेलते हो। तो मुझसे कहा गया कि तुम अपनी उसी क्षमता पर विश्वास रखना। मैं भी क्रिकेटिंग शॉट्स पर ही अभ्यास करता हूं और उसकी टाइमिंग पर फ़ोकस करता हूं। उन्होंने मुझ पर बहुत भरोसा जताया, जिससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला।"
यजुवेंद्र ने कहा, "उसका माइंडसेट यह है कि उसे कुछ अच्‍छा करना है। सबसे अच्‍छी चीज़ है कि उसको अपने शॉट्स को बैक करना आता है। कई बार आउट होता है तो उस पर खु़द को बैक करता है। उसकी तैयारी यह है कि क्‍या शॉट्स इंप्रूव करने हैं। वह गेंदबाज़ को बहुत जल्‍दी पिक करता है।"
आशुतोष का बुरा दौर अब ख़त्‍म हो चुका है, उनके पास रेलवेज की नौकरी है, जहां वह अपनी टीम के लिए बहुत अच्‍छा कर रहे हैं। अब आशुतोष के पास पंजाब किंग्‍स का भी साथ है, जहां वह दो मैचों में अपना दम दिखा चुके हैं, तो देखना होगा इस आत्‍मविश्‍वास से वह अपने करियर को किस आयाम तक ले जाते हैं।

निखिल शर्मा ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर हैं। @nikss26