एमएस धोनी और विराट कोहली के साथ एक और सीजन • AFP/Getty Images
पहला IPL सीजन अधूरे विचारों, उलझी हुई वफादारियों और इस जिज्ञासा से भरा था कि यह टूर्नामेंट आखिर किस दिशा में आगे बढ़ेगा। वह एक ऐसा वक़्त था, जब एमएस धोनी ने भारत को T20 वर्ल्ड कप जिताया था, युवा विराट कोहली शुरुआत से ही RCB को संभालने की कोशिश कर रहे थे, और रोहित शर्मा एकमध्यक्रम के बल्लेबाज थे। IPL 2025 में भी इन तीनों खिलाड़ियों के अलावा कुछ और ऐसे खिलाड़ी खेलते हुए नज़र आएंगे, जो IPL के पहले संस्करण का हिस्सा थे।
धोनी का नाम चेन्नई सुपर किंग्स के साथ उतना ही जुड़ा हुआ है जितना भारतीय क्रिकेट से। 2008 में वे CSK के सबसे बड़े साइनिंग थे। धोनी CSK के पहले कप्तान थे। इस भूमिका को उन्होंने लंबे समय तक निभाया। वह संभवतः एकमात्र खिलाड़ी थे जो दो साल के प्रतिबंध के बाद भी टीम में लौटे। उन्होंने CSK को पांच खिताब, दस फ़ाइनल और सबसे अधिक बार प्लेऑफ़ में पहुंचाया। इन आंकड़ों की बदौलत CSK IPL के इतिहास की सबसे स्थिर और मज़बूत टीमों में से एक टीम बन गई। CSK की जर्सी में धोनी की छवि अभी भी IPL की सबसे यादगार छवियों में से एक है।
कोहली ने कभी भी RCB के बिना IPL नहीं देखा, जिसका मतलब है कि उन्होंने कभी IPL ख़िताब भी नहीं देखा। 2008 में वे भारत के U-19 विश्व कप विजेता कप्तान के रूप में आए और इस फ्रेंचाइज़ी में उतार-चढ़ाव के साथ बने रहे। वे लीग के सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं। वह 8000 से अधिक IPL रन बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। 2016 सीजन में 973 रन बनाना उनकी एक असाधारण उपलब्धि थी, जो लगभग अकेले दम पर RCB को उनके पहले ख़िताब के काफ़ी क़रीब ले गई।
रोहित ने डेक्कन चार्जर्स के लिए एक निडर बल्लेबाज़ के रूप में शुरुआत की, जहां उन्होंने 2009 में अपना पहला IPL ख़िताब जीता। फिर मुंबई इंडियंस ने उन्हें साइन किया और उनके नेतृत्व में एक नई IPL विरासत बनाई। उन्होंने 2013 में MI को उनकी पहली ट्रॉफ़ी दिलाई और इसके बाद चार और ट्रॉफ़ी जीती। वे MI के सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं और 6000 से अधिक IPL रन बनाने वाले चार खिलाड़ियों में से एक हैं। उनके छह ख़िताब किसी भी खिलाड़ी द्वारा सबसे अधिक हैं।
मनीष पांडे के IPL करियर की सबसे यादगार छवि 2014 के फ़ाइनल में उनकी 94 रनों की पारी है, जिसमें उन्होंने KKR को दूसरे IPL ख़िताब तक पहुंचाया। उनका करियर कई फ्रेंचाइज़ियों के बीच यात्रा करता रहा, हर बार इस उम्मीद के साथ कि वह मिडल ऑर्डर का मज़बूत आधार बन सकते हैं। उनके IPL करियर में कई यादगार पल रहे हैं - जैसे 2009 में RCB के लिए उनकी सेंचुरी - लेकिन उनका करियर स्थायित्व की खोज में ही बीता, हालांकि उन्होंने एक भी सीजन मिस नहीं किया।
राजस्थान रॉयल्स में अपने शुरुआती सालों में रहाणे ने पावर की बजाय प्लेसमेंट पर ध्यान दिया, लेकिन जैसे-जैसे T20 बल्लेबाजी विकसित हुई, उन्हें लगातार खु़द को बदलना पड़ा। हाल ही में उन्होंने आक्रामक अंदाज़ में सफलता पाई; 2023 में CSK के लिए उनका खेल बेझिझक और आक्रामक था, जिसने टीम को ख़िताब दिलाने में मदद की। अब KKR के कप्तान के रूप में, वह एक नई चुनौती का सामना कर रहे हैं - एक ऐसी टीम का नेतृत्व करना जो पारंपरिक रूप से ताकतवर हिटिंग को प्राथमिकता देती है।
IPL इतिहास में बहुत कम खिलाड़ियों ने अश्विन की तरह स्किल, रणनीति और हिम्मत को मुज़ाहिरा किया है। उन्होंने CSK में धोनी के पावरप्ले स्पेशलिस्ट के रूप में पहचान बनाई और फिर नए-नए तरीकों से खु़द को आगे बढ़ाया। उन्होंने KXIP की कप्तानी की, RR में पिंच-हिटर के रूप में अपनी भूमिका बदली, और हमेशा पारंपरिक सीमाओं को चुनौती दी। 2019 में जोस बटलर को नॉन स्ट्राइक पर रन आउट करने के बाद एक बड़ी बहस छिड़ गई, और वह पहले ऐसे बल्लेबाज़ बने जिन्होंने रणनीतिक रूप से खु़द को रिटायर आउट किया। अब वह वापस CSK में हैं, जहां से उन्होंने अपनी IPL यात्रा शुरू की थी।
जाडेजा ने 2008 में RR के लिए शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन 2010 में अनुबंध संबंधी विवादों के कारण वह IPL नहीं खेल सके। 2011 में कोच्चि टस्कर्स के लिए खेले, लेकिन 2012 में CSK में आने के बाद उनका करियर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। वह CSK के दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं। उन्होंने IPL में एक ओवर में सबसे अधिक रन (37, RCB के ख़िलाफ़ 2021) बनाए और 2023 के फ़ाइनल में अंतिम गेंद पर चौका लगाकर CSK को जीत दिलाई। भले ही 2022 में उनकी कप्तानी असफल रही, लेकिन एक मैच-विजेता के रूप में उनकी विरासत सुरक्षित है।
इशांत IPL में हमेशा से एक असामान्य खिलाड़ी रहे हैं - उनकी टेस्ट क्रिकेट की विशेषज्ञता कभी भी T20 में पूरी तरह नहीं बदल पाई। 2008 में वह KKR के लिए ऑक्शन के सबसे महंगे गेंदबाज़ थे। इसके बाद वह सात अलग-अलग टीमों के लिए खेले। 2019 के बाद से उन्होंने DC के लिए 34 मैच खेले हैं और इस सीजन में GT के लिए खेलेंगे।
स्वप्निल सिंह का IPL करियर इस सूची में एक अपवाद जैसा है - उनकी पहली टीम MI थी, लेकिन उन्हें 2016 तक KXIP के लिए डेब्यू करने का इंतज़ार करना पड़ा। पिछले साल, जब वह 33 वर्ष के थे, तो RCB के साथ उनका सीजन एक सपने की तरह बीता। एक बैकअप बाएं हाथ के स्पिनर के रूप में टीम में शामिल किए गए स्वप्निल ने अपनी जगह बनाई और प्लेइंग XI का अहम हिस्सा बन गए। उनकी शानदार गेंदबाज़ी RCB की छह मैचों की जीत की लय में अहम रही, जिसने टीम को प्लेऑफ़ तक पहुंचाने में मदद की। इस प्रदर्शन का इनाम उन्हें इस सीज़न से पहले हुई मेगा नीलामी में मिला, जहां RCB ने उन्हें RTM के ज़रिए रिटेन किया और उनकी सैलरी भी बढ़ी।