इस महीने की शुरुआत में रणजी ट्रॉफ़ी प्लेट लीग में मिज़ोरम के लिए पदार्पण करने के बाद
अग्नि चोपड़ा अपने पहले चार प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज़ बन गए हैं। 25 वर्षीय चोपड़ा फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा और फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा के बेटे हैं, जिन्होंने हाल ही में लोकप्रिय फिल्म 12वीं फेल बनाई है।
जूनियर चोपड़ा ने अपने पहले चार रणजी मैचों में 105, 101, 114, 10, 164, 15, 166 और 92 के स्कोर बनाए हैं और उनकी औसत 95.87 रहा है, वह भी 111.80 के स्ट्राइक रेट के साथ। उन्होंने मुंबई अंडर-19 और अंडर-23 का प्रतिनिधित्व किया और उनके कोच खुशप्रीत सिंह ने उन्हें दूसरी टीम के लिए खेलने का सुझाव दिया, जहां उन्हें मुंबई सर्किट में कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए "खेलने का समय" मिलेगा।
अग्नि ने कहा, "यहां मिज़ोरम में आने पर सभी ने बहुत स्वागत किया और वास्तव में उनमें मुझे भी शामिल किया और दो और पेशेवर हैं जिनमें केसी भाई (केसी करियप्पा) और मोहित जांगड़ा शामिल हैं। मुझे कभी भी बाहरी व्यक्ति जैसा महसूस नहीं हुआ। मुझे कुछ मिज़ो शब्द और वाक्यांश सिखाए गए हैं और मुझे बिल्कुल अलग जगह पर महसूस नहीं होती है।"
अग्नि मानते हैं कि घरेलू सर्किट में मुंबई से मिज़ोरम जाना कोई पार्श्व क़दम नहीं होता और प्लेट लीग में गेंदबाज़ी आक्रमण भी पहले जैसा नहीं होता। जबकि घरेलू सर्किट में शीर्ष 32 टीमें एलीट लीग के चार समूहों में खेलती हैं।
उनका कहना है कि उनका वर्तमान लक्ष्य मिज़ोरम को प्लेट लीग फ़ाइनल के लिए क्वालीफ़ाई करने में मदद करना है, जो उन्हें अगले सीज़न में एलीट लीग में बढ़ावा देगा।
"लोग वही कहेंगे जो उन्हें कहना है, लेकिन आख़िरकार, यह आपका प्रदर्शन है और ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो एक ही डिवीजन में खेल रहे हैं और उतने रन नहीं बना पा रहे हैं। मानक सबके लिए समान है।"
"मुझे लगता है कि मैं वर्तमान में रहने की कोशिश कर रहा हूं और मेरा लक्ष्य मिज़ोरम को एलीट डिवीजन में ले जाना है। अगर हम एलीट डिवीजन में हैं, तो गेंदबाज़ी की गुणवत्ता के बारे में सोचने की कोई बात नहीं है और मैं मिज़ोरम के लिए खेलूंगा।"
अग्नि ने अपने पिता के नक्शेक़दम पर नहीं चलने का फै़सला किया था, जो 30 वर्षों से अधिक समय से हिंदी फिल्मों का निर्देशन और लेखन कर रहे हैं और उन्होंने 3 इडियट्स, मुन्ना भाई एमबीबीएस और इसके सीक्वल लगे रहो मुन्नाभाई जैसी कई हिट फिल्में दी हैं।
उन्होंने कहा, "इसलिए मुझसे बचपन से यह सवाल पूछा जाता रहा है कि क्या आप फिल्मों में जाएंगे, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कभी फिल्मों में आऊंगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इसमें आना चाहिए क्योंकि मेरे पिताजी फिल्में बनाते हैं और यह मेरे लिए एक आसान रास्ता होगा।"
"मेरी कभी भी फिल्मों में दिल्चस्पी नहीं थी। मैं फिल्म देखना पसंद करता था लेकिन यह कभी मेरा पेशन नहीं रहा।"
अग्नि का कहना है कि उनके पिता ने उन्हें करियर संबंधी जो सलाह दी थी, वह यह थी कि कुछ भी चुनें और उसमें सर्वश्रेष्ठ बनने का प्रयास करें।
"जब हम छोटे थे तो मेरे पिताजी ने मुझे और मेरी बहन को वही बताया था जो उनके पिता ने उनसे कहा था: 'अगर तुमको सड़क पर मोची बनना है, अपने सड़क का सबसे अच्छा मोची बनना। (यदि आप मोची बनना चाहते हैं, तो अपनी गली में सर्वश्रेष्ठ मोची बनें)"
"उन्होंने हमें वह करने की आज़ादी दी जो हम चाहते थे लेकिन उन्होंने हमसे कहा कि हम पूर्ण रूप से सर्वश्रेष्ठ बनने का प्रयास करें। प्रतिभा ही आपको उतनी दूर तक ले जा सकती है, क्योंकि बाक़ी सब आपके काम पर निर्भर करता है और मैंने यह उनकी फिल्मों में देखा। मेरे पिता और मेरी मां ने अपने पेशे में जितना काम किया, मैंने देखा कि इसका मुझ पर असर पड़ा।"